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Pakistan: उठते सवालों से बेफिक्र इमरान की पार्टी को नष्ट करने में जुटा है एस्टेब्लिशमेंट

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद Published by: Harendra Chaudhary Updated Fri, 09 Jun 2023 03:08 PM IST
सार

पाकिस्तानी मीडिया में आई खबरों के मुताबिक एस्टेब्लिशमेंट पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के नेतृत्व में पार्टी बनवाना चाहता था। समझा जाता है कि इसीलिए जब उन्हें लाहौर हाई कोर्ट से जमानत मिली, तो उन्हें इस हफ्ते जेल से रिहा कर दिया गया...

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Pakistan: Pakistan Army is engaged in destroying Imran Khan Party Tehreek E Insaf
Imran Khan and Shah Mehmood Qureshi - फोटो : Agency (File Photo)
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विस्तार
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पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) से निकले नेता जहांगीर खान तरीन ने अपनी नई पार्टी बना ली है। इसका नाम इस्तेहकाम-ए-पाकिस्तान (आईपीपी) रखा गया है। पर्यवेक्षकों की राय में यह पार्टी ‘एस्टेब्लिशमेंट’ (सेना+खुफिया नेतृत्व) की शह पर बनाई गई है। इसका मकसद इमरान खान को राजनीति से अलग-थलग करना और पाकिस्तान में एस्टेब्लिशमेंट की मन-माफिक विपक्षी पार्टी का गठन है। आईपीपी में कई ऐसे नेता शामिल हुए हैं, जिन्होंने पिछले एक महीने के दौरान पीटीआई छोड़ी है।

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पाकिस्तानी मीडिया में आई खबरों के मुताबिक एस्टेब्लिशमेंट पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के नेतृत्व में पार्टी बनवाना चाहता था। समझा जाता है कि इसीलिए जब उन्हें लाहौर हाई कोर्ट से जमानत मिली, तो उन्हें इस हफ्ते जेल से रिहा कर दिया गया। लेकिन कुरैशी ने अभी तक जो कहा है, उसका संकेत है कि वे इमरान खान का साथ नहीं छोड़ेंगे। जेल से रिहा होते ही उन्होंने कहा कि वे खान से मिलने उनके निवास स्थान पर जाएंगे। कुरैशी पीटीआई के उप प्रमुख हैं और इमरान खान ने कहा था कि अगर उन्हें जेल में डाला गया, तो कुरैशी ही पार्टी का नेतृत्व करेंगे।

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इस बीच पीटीआई को तोडने की एस्टेब्लिशमेंट और शहबाज शरीफ सरकार की कोशिशों को लेकर सिविल सोसायटी और मीडिया के एक हिस्से में बेचैनी बढ़ने के संकेत हैं। इस घटनाक्रम के खिलाफ पाकिस्तान के मशहूर अखबार द डॉन ने सख्त भाषा में संपादकीय लिखा है। शुक्रवार के संस्करण में छपे संपादकीय में अखबार ने लिखा है- ‘ऐसी अटकलें हैं कि इमरान खान को यह संदेश दिया गया कि वे या तो खुद को राजनीति से अलग कर लें या अपनी आंखों के सामने अपनी पार्टी नष्ट होती देखें।’ अखबार ने लिखा है- ‘एक लोकप्रिय जन नेता के सामने ऐसे विकल्प रखना निर्विवाद रूप से गलत है। इससे इमरान खान की वास्तविक शक्ति में सेंध नहीं लगेगी। इस देश में लोकप्रिय नेता को राजनीति से हटाने की कोशिशें पहले भी हुई हैं, जिनके असाधारण नतीजे सामने आए और जिनके परिणामस्वरूप कोई टिकाऊ समाधान निकलने के बजाय असंतोष और स्थायी समस्याएं पैदा हुईं।’

इसी अखबार में छपी एक अन्य टिप्पणी में बताया गया है कि सियासी हलकों में यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि देश में इमरजेंसी लगा दी जाएगी। लेकिन इसमें चेतावनी दी गई है कि सरकार ने ऐसा कदम उठाया तो असाधारण स्थिति बनेगी, जिनका नतीजा कभी ना खत्म होने वाले संकट के रूप में सामने आएगा। उस स्थिति में मानव अधिकारों के हनन की आशंका को भी लेकर भी इस टिप्पणी में चेतावनी दी गई है।

कुछ अन्य टीकाकारों ने कहा है कि इमरान खान को अगले चुनाव से अलग कर देने से कुछ लोगों का अहंकार संतुष्ट हो सकता है, लेकिन इससे बहुत से लोगों के मन में पाकिस्तान की राज्य-व्यवस्था के खिलाफ गुस्सा पैदा होगा। द डॉन के संपादकीय में सवाल उठाया गया है- ‘अल्पकालिक मकसद साधने के लिए किसी को भी देश की युवा आबादी के मन में अलगाव पैदा करने का जोखिम क्यों उठाना चाहिए?’

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