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India-Russia: 'भारत पर कोई हुक्म नहीं चला सकता'; तेल मामले में ट्रंप के बयान पर बोले रूस के उपप्रधानमंत्री
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, मॉस्को
Published by: शिवम गर्ग
Updated Fri, 17 Oct 2025 06:33 AM IST
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सार
रूस के उप-प्रधानमंत्री नोवाक ने कहा कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार रूस से तेल खरीद जारी रखेगा। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने यह साबित कर दिया कि कोई उस पर हुक्म नहीं चला सकता।

रूस के उपप्रधानमंत्री एलेक्जेंडर नोवाक
- फोटो : X (@MinenergoGov)
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विस्तार
रूसी तेल की खरीद पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान पर रूस के उप-प्रधानमंत्री एलेक्जेंडर नोवाक ने कहा मुझे विश्वास है कि हमारे साझेदार हमारे साथ काम करना जारी रखेंगे। हमारे ऊर्जा संसाधनों की मांग है, यह आर्थिक रूप से लाभदायक और व्यावहारिक है।

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भारत पर कोई हुक्म नहीं चला सकता
हमारे साझेदार भारत ने लगातार यह घोषणा की है कि कोई उन पर हुक्म नहीं चला सकता और वे अपना रास्ता स्वयं चुनेंगे। यही हमारे रिश्ते की कसौटी है। नोवाक ने यह भी कहा कि भारत ने अब तेल का भुगतान चीन की मुद्रा युआन में करना शुरू कर दिया है हालांकि अब भी ज्यादातर भुगतान रूबल में ही हो रहा है। भारत ने सितंबर में रूस से 25597 करोड़ रुपये का तेल खरीदा है जो चीन के मुकाबले कम है।
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दोनों देशों में द्विपक्षीय व्यापार संबंध बेहतर
वहीं, भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा भारत के साथ रूस के ऊर्जा संबंध नई दिल्ली के राष्ट्रीय हितों के अनुरूप हैं। दोनों देशों में समग्र द्विपक्षीय व्यापार संबंध बेहतर हो रहे हैं। रूसी राजदूत से जब पूछा गया कि क्या ट्रंप की टिप्पणियों के मद्देनजर भारत रूसी कच्चे तेल की खरीद जारी रखेगा, तो उन्होंने कहा, इसका जवाब भारत सरकार को देना है। भारत सरकार अपने देश के राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखकर इस मामले से निपट रही है। अलीपोव ने यह भी कहा कि भारत के कुल हाइड्रोकार्बन आयात में रूसी कच्चे तेल का योगदान लगभग एक-तिहाई है।
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भारत अपने फैसले खुद लेता है- जैमीसन ग्रीर
इससे पहले अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि और राष्ट्रपति ट्रंप के व्यापार सलाहकार जैमीसन ग्रीर ने कहा था कि भारत अपने फैसले खुद लेता और अमेरिका दूसरे देशों को यह निर्देश नहीं दे रहा है कि वे किसके साथ संबंध रखें। न्यूयॉर्क के इकोनॉमिक क्लब द्वारा आयोजित एक बातचीत के दौरान ग्रीर ने कहा था कि भारत ने हमेशा इतना रूसी तेल नहीं खरीदा है। रूस के साथ उनके हमेशा मजबूत संबंध रहे हैं, लेकिन पिछले दो या तीन वर्षों में उन्होंने न केवल उपभोग के लिए, बल्कि रिफाइनिंग और बेचने के लिए भी रूस से कम कीमत पर तेल खरीदना शुरू किया है।