विद्रोह से भागे राष्ट्रप्रमुख: कहीं परिवार का छह दशक का शासन खत्म, कहीं भागते नेता सरेआम मौत के घाट उतारे गए
मेडागास्कर के राष्ट्रपति एंड्री राजोइलिना ने हाल ही में अपने पद से इस्तीफा देने के बाद से देश छोड़ने का निर्णय लिया। आइए जानते हैं कि अन्य देशों में से कौन - कौन नेता इन सूची में शामिल हैं।

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कभी अपने देश में सबसे ताकतवर और चर्चित माने जाने वाले कई नेताओं को हालिया समय में जनता के विरोध, सैन्य तख्तापलट या क्रांति की लहर में अपनी सत्ता गंवानी पड़ी है। कई नेताओं को अपनी जान बचाने के लिए देश छोड़कर भागना या छिपना तक पड़ा है। इसी सूची में अब मेडागास्कर के राष्ट्रपति एंड्री राजोएलिना भी शामिल हो गए हैं। राजोएलिना कुछ हफ्तों से जेन-जी के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों का सामना कर रहे थे। शनिवार को विरोध का नाटकीय मोड़ तब आया जब एक विशेष सैन्य इकाई ने विरोध में शामिल होकर राष्ट्रपति और अन्य मंत्रियों से इस्तीफा देने की मांग की। इसके बाद राजोएलिना ने कहा कि हिंद महासागर में स्थित द्वीप में सत्ता पर अवैध कब्जा करने का प्रयास हो रहा है और उन्होंने देश छोड़ने का निर्णय लिया।

25 सितंबर से शुरू हुए ये प्रदर्शन शुरू में पानी और बिजली की किल्लत को लेकर थे, लेकिन धीरे-धीरे यह आंदोलन राष्ट्रपति और उनकी सरकार के खिलाफ व्यापक असंतोष में बदल गया। तीन हफ्तों से चल रहे इस जेन-जी के नेतृत्व वाले विरोध में अब तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है और दर्जनों घायल हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र ने शुरुआती दिनों में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर सरकार की हिंसक प्रतिक्रिया की आलोचना की थी।
वहीं ऐसे अन्य नेता भी है, जिनके साथ भी ऐसा ही हुआ। आइए जानते हैं इन सूची किस देश के नेता शामिल हैं।
डिना बोलुआर्ते
इस सूची में पिछले हफ्तें में पेरू की राष्ट्रपति डिना बोलुआर्ते का नाम शामिल हुआ है। डिना बोलुआर्ते पेरू की पहली महिला राष्ट्रपति थीं। उन्होंने दिसंबर 2022 में पद संभाला था। उनके कार्यकाल में बढ़ते अपराध और लगातार प्रदर्शन उनके लिए चुनौती बने रहे। उन्होंने कुछ हिस्सों में देश में अवैध प्रवासियों को अपराध का कारण बताया। जनवरी से अगस्त 2025 तक 6,041 लोग मारे गए और उगाही की शिकायतों में 28% वृद्धि हुई। इसे लेकर सितंबर में डिना की सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए। इन प्रदर्शनों का नेतृत्व मुख्य तौर पर जेन-जी युवाओं ने ही किया।
बीते गुरुवार देर रात डिना बोलुआर्ते के खिलाफ महाभियोग प्रक्रिया शुरू की गई। उन्होंने बोलुआर्ते को अपने सामने उपस्थित होने के लिए बुलाया, लेकिन जब वह नहीं आईं, तो कांग्रेस ने तुरंत उन्हें पद से हटा दिया। कुल 124 सांसदों ने उनके खिलाफ मतदान किया। यह उनके खिलाफ नौवीं महाभियोग कोशिश थी।
केपी शर्मा ओली
नेपाल में बीते महीने गैर-पंजीकृत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले के बाद नेपाल के युवाओं ने आंदोलन छेड़ा। यह आंदोलन देखते ही देखते काठमांडू से लेकर पूरे देश में फैल गया। इस हिंसा के बाद से प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा।
बशर अल-असद
2024 में सीरिया के राष्ट्रपति नेता बशर अल-असद को भी अपना देश छोड़कर रूस भागना पड़ा। दरअसल, देश में बीते साल 26 नवंबर को इस्लामवादी संगठन हयात तहरीर-अल शाम के नेतृत्व में विद्रोही गुटों के हमले शुरू हुए थे। इसके बाद से राष्ट्रपति असद के नियंत्रण से शहर-दर-शहर छिनते चले गए। इसके चलते वर्षों तक अपने सहयोगी रूस और ईरान के समर्थन की बदौलत सीरिया पर शासन करने वाले असद को सीरिया छोड़कर भागना पड़ा। विपक्षी ताकतों के खिलाफ 13 साल के गृहयुद्ध के दौरान उनका साथ देने वाले रूस और ईरान इस दौरान अपनी-अपनी जंगों में उलझे रहे। ऐसे में सीरिया में हुए तख्तापलट के बाद से सीरिया में करीब छह दशक से ज्यादा वक्त तक शासन करने वाले असद वंश की सत्ता चली गई।
शेख हसीना
अगस्त 2024 में बांग्लादेश की सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना को विरोध प्रदर्शनों की लहरों के कारण देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय का अनुमान है कि कई सप्ताह तक चले छात्र-नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों पर सुरक्षा बलों की कार्रवाई में लगभग 1,400 लोग मारे गए।
हसीना फिलहार भारत में निर्वासित हैं। वह पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री बनीं और फिर 2008 में दोबारा जीतकर इस पद पर लौटीं और अपने इस्तीफे तक इस पद पर रहीं। बता दें कि उनके पिता, शेख मुजीब उर-रहमान, स्वतंत्र बांग्लादेश के पहले नेता थे। 1975 में एक सैन्य तख्तापलट में उनकी हत्या कर दी गई थी।
गोटाबाया राजपक्षे
श्रीलंका में विनाशकारी आर्थिक संकट के कारण महीनों तक चले विरोध प्रदर्शनों के बाद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को अपने परिवार के साथ देश छोड़कर भागना पड़ा। वे जुलाई 2022 में देश छोड़कर मालदीव चले गए।
राजपक्षे के खिलाफ प्रदर्शनों की शुरुआत आर्थिक मंदी के कारण हुई। दरअसल, ऑर्गेनिक खेती को अंधाधुंध बढ़ावा देने के चलते श्रीलंका में खाद्यान्न संकट पैदा होने लगा। इतना ही नहीं देश में ईंधन के आयात और कर्ज चुकाने के लिए भी नकदी की कमी होने लगी। उसके ऋण भुगतान में चूक हो गई। इसके साथ ही लोगों को रसोई गैस और पेट्रोल के लिए कई दिनों तक कतार में खड़ा होना पड़ा। इन सब आपदा के पीछे श्रीलंकाई लोगों ने राजपक्षे और उनकी नीतियों को दोषी ठहराया।
गोटबाया राजपक्षे एक शक्तिशाली पारिवारिक राजनीतिक वंश का हिस्सा हैं। उन्हें अपने भाई महिंदा राजपक्षे, जो प्रधानमंत्री थे और उनके मंत्रिमंडल में शामिल थे और दो अन्य भाई और एक भतीजे को प्रदर्शनों के बाद एक साथ इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा।
विक्टर यानुकोविच
यूक्रेनी राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को फरवरी 2014 में, जबरदस्त विरोध प्रदर्शनों के बाद राजधानी कीव से भागना पड़ा। कीव में विरोध प्रदर्शन यानुकोविच द्वारा यूरोपीय संघ के साथ एक समझौते को रद्द करने और उसकी जगह रूस से 15 अरब डॉलर के बेलआउट ऋण की ओर रुख करने के बाद भड़के थे। यानुकोविच और विपक्षी नेता यूक्रेन के राजनीतिक संकट को समाप्त करने के उद्देश्य से एक समझौता करने वाले थे। बाद में यूक्रेनी सांसदों ने उन पर महाभियोग चलाने और समय से पहले राष्ट्रपति चुनाव कराने के लिए मतदान किया, जबकि विरोध प्रदर्शनों के बाद उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था। इन विरोध प्रदर्शनों में दर्जनों नागरिकों की मौत हो गई थी। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बाद में कहा कि रूसी सेना ने क्रीमिया के रास्ते रूस जाने में यानुकोविच की मदद की थी।
मुअम्मर गद्दाफी
इस कड़ी में अगला नाम नेता मुअम्मर गद्दाफी का है। उन्होंने 2011 के लीबियाई गृहयुद्ध के दौरान सत्ता पर अपनी चार दशक पुरानी पकड़ खो दी। पश्चिम एशिया में 2011 में शुरू हुई व्यापक अरब स्प्रिंग विद्रोह में सत्ता गंवाने वालों में गद्दाफी एक बड़ा चेहरा थे। विद्रोही सेनाओं ने राजधानी त्रिपोली पर कब्जा करने के बाद गद्दाफी को सत्ता से बेदखल कर दिया। इसके साथ ही उन्हें अपने कुछ वफादारों के साथ भागने पर मजबूर कर दिया। विद्रोही सेनाओं द्वारा खूनी घेराबंदी के बीच, वह हफ्तों तक अपने गृहनगर सिरते में छिपे रहे।
गद्दाफी ने 20 अक्टूबर, 2011 को अपने वफादार लड़ाकों के एक काफिले के साथ घेरे हुए शहर से भागने की कोशिश की। हालांकि, नाटो सेनाओं के हवाई हमले में उनके लड़ाकों की मौत हो गई। इसके बाद विपक्षी सेनाओं ने गद्दाफी को पकड़ लिया। उनकी मृत्यु के बाद उनके शरीर को कुछ दिनों तक सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए रखा गया। उसके बाद उसे एक सुनसान रेगिस्तानी स्थान पर दफना दिया गया।
मार्क रावलोमनाना
मार्क रावलोमनाना 2002 से 2009 तक मेडागास्कर के छठे राष्ट्रपति रहे। इसके बाद सेराजोएलिना के नेतृत्व में सैन्य तख्तापलट के जरिए उन्हें पद से हटा दिया गया।रावलोमनाना ने अपनी शक्ति एक सैन्य परिषद को हस्तांतरित कर दी और दक्षिण अफ्रीका भाग गए। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इसे तख्तापलट माना और मानवीय सहायता को छोड़कर शेष सभी सहायता वापस ले ली। बाद में रावलोमनाना को उनके तख्तापलट के दौरान हुई हिंसा से जुड़े एक मामले में हत्या की साजिश रचने का दोषी ठहराया गया। उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। पांच साल से ज्यादा के निर्वासन के बाद वे मैडागास्कर लौटे और उन्हें उनके घर पर ही गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद अगले साल उनकी सजा हटा दी गई और उन्हें नजरबंदी से आजाद कर दिया गया।