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Saudi Crash: हादसे के दौरान बस ड्राइवर के साथ कूदकर बचाई जान, नींद न आना हैदराबाद के शोएब के लिए बना जीवनदान

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, मक्का Published by: पवन पांडेय Updated Tue, 18 Nov 2025 09:56 AM IST
सार

Saudi Accident: हैदराबाद के जिर्राह इलाके में रहने वाला शख्स शोएब अपने माता-पिता के साथ उमरा करने गया था। जो सऊदी अरब में हुए भीषण बस हादसे में बचने वाला एकमात्र शख्स है। इस हादसे में नींद की आगोश में समाए 42 लोग जहां जिंदा जल गए, वहीं नींद न आने से परेशान शोएब की जान कैसे बच गई, इस खबर में पढ़िए...

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Saudi Accident: Hyderabad man become lone survivor of the crash, losing sleep helped him
सऊदी अरब में बस हादसा - फोटो : ANI
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विस्तार
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सऊदी अरब में मक्का से मदीना जा रही एक बस भीषण सड़क हादसे का शिकार हुई। इस दौरान बस में सवार सभी 46 लोगों में से केवल एक युवक- 24 वर्षीय मोहम्मद अब्दुल शोएब- जिंदा बच पाया। बाकी सभी यात्री कुछ ही सेकेंड में आग की लपटों में समा गए।
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कैसे बची शोएब की जान?
शोएब पूरी रात ठीक से सो नहीं पाए थे। बाकी सभी यात्री गहरी नींद में थे, पर वह जाग रहे थे। समय काटने के लिए वह बस के आगे की सीट पर ड्राइवर के पास आकर बैठ गए और शायद उससे बातचीत भी कर रहे थे। तभी अचानक, एक तेज रफ्तार डीजल टैंकर उनकी बस से भिड़ गया। टक्कर इतनी जोरदार थी कि बस तुरंत आग की चपेट में आ गई। सिर्फ कुछ सेकेंड का मौका था, शोएब और ड्राइवर ने तुरंत खिड़की से कूदकर जान बचाई। बाकी लोगों को बाहर निकलने का मौका ही नहीं मिला।

दर्दनाक में पूरा परिवार हो गया खत्म
हैदराबाद के हज हाउस में शोएब के रिश्तेदार बेचैनी से जानकारी जुटा रहे थे। शोएब के करीबी मोहम्मद तहसीन ने बताया, 'सुबह करीब 5.30 बजे शोएब ने फोन करके बताया कि वह बच गया है, लेकिन बाकी सब आग में जिंदा गए। बाद में पता चला कि उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।' शोएब हैदराबाद के जिर्राह इलाके के निवासी हैं और एक निजी कंपनी में काम करते थे। वे अपने माता-पिता अब्दुल खदीर और घौसिया बेगम के साथ उमरा करने गए थे। इसी यात्रा में उनका पूरा परिवार, माता-पिता, दादा और चाचा के परिवार के कई लोग, इस हादसे में खत्म हो गया। शोएब को बस से कूदने के दौरान चोट लगी है और उसे मदीना के जर्मन अस्पताल में आईसीयू में भर्ती किया गया है।

एक परिवार के 18 सदस्यों की मौत
35 वर्षीय सैयद राशिद के लिए यह हादसा जीवनभर का घाव बन गया। उनके 18 परिजन इसी बस में थे, और कोई भी नहीं बच पाया। इनमें राशिद के पिता और पूर्व रेलवे कर्मचारी शेख नसीरुद्दीन, मां अख्तर बेगम, भाई, भाभी और उनके तीन बच्चे, अमेरिका में रहने वाले सिराजुद्दीन, उनकी पत्नी और तीन बच्चे, उनकी बहनें और उनके बच्चे शामिल हैं। राशिद ने रोते हुए कहा, 'मैंने उन्हें एयरपोर्ट पर छोड़ा था… कभी सोचा नहीं था कि वह आखिरी बार होगा। मैंने कहा था कि सब लोग साथ में सफर मत करो, पर उन्होंने बात नहीं मानी।'

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अन्य परिवारों पर टूटा दुखों का पहाड़
एक और रिश्तेदार ने बताया कि उसने अपने परिवार के सभी पांच सदस्य खो दिए, दो बहनोई, सास और एक भांजी। हादसे की खबर सुनते ही सैकड़ों परिजन हैदराबाद के हज हाउस और ट्रैवल एजेंसियों के दफ्तरों में भागते पहुंचे। सभी के चेहरे पर डर, बेचैनी और उम्मीद की आखिरी किरण थी। लेकिन जानकारी धीरे-धीरे सामने आई, बस में मौजूद कोई भी यात्री नहीं बचा। वहीं अल मीना ट्रैवल एजेंसी के प्रतिनिधि ने बताया कि 9 नवंबर को उनकी एजेंसी से 20 लोग सऊदी गए थे, उनमें से 16 मक्का से मदीना लौटते समय इसी बस में थे, सुबह तक उनके बारे में कोई जानकारी नहीं थी, बाद में सभी के मौत की पुष्टि हो गई।
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