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Sri Lanka Strike: श्रीलंका में हड़ताली कर्मचारियों को गद्दार और विश्वासघाती करार दिया सरकार ने

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, कोलंबो Published by: Harendra Chaudhary Updated Wed, 15 Mar 2023 05:27 PM IST
सार

Sri Lanka Strike: श्रीलंका सरकार के प्रवक्ता बदुला गुनावर्धने ने आरोप लगाया है कि ट्रेड यूनियनों की मांग बिल्कुल अनुचित है। उन्होंने हड़ताल को देश के साथ ‘गद्दारी’ करार दिया। उन्होंने कहा कि आईएमएफ से कर्ज मिलने के बाद देश की स्थिति सुधरेगी...

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Sri Lanka Strike: government termed the striking employees as traitors and traitors
Sri Lanka Strike - फोटो : Agency (File Photo)
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श्रीलंका की सरकार ने हड़ताल पर गए कर्मचारियों के प्रति सख्त रुख अपना लिया है। सरकार ने सीधे आरोप लगाया है कि ट्रेड यूनियनों का मकसद अपनी मांगें मनवाना नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के ऋण कार्यक्रम को नाकाम करना है। आईएमएफ आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को 2.9 बिलियन डॉलर का अतिरिक्त ऋण देने को तैयार हुआ है, लेकिन उसे पाने के लिए उसने श्रीलंका सरकार को कई शर्तों को पूरा करने को कहा है। इसके तहत बिजली सहित कई सेवाएं सरकार ने महंगी कर दी हैं और इनकम टैक्स की दर बढ़ा दी है। विभिन्न क्षेत्रों की ट्रेड यूनियनों ने इन्हीं शर्तों के खिलाफ हड़ताल की है।  

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श्रीलंका सरकार के प्रवक्ता बदुला गुनावर्धने ने आरोप लगाया है कि ट्रेड यूनियनों की मांग बिल्कुल अनुचित है। उन्होंने हड़ताल को देश के साथ ‘गद्दारी’ करार दिया। उन्होंने कहा कि आईएमएफ से कर्ज मिलने के बाद देश की स्थिति सुधरेगी। उसके बाद श्रीलंका को एशियन डेवलपमेंट बैंक, विश्व बैंक आदि से भी ऋण मिलने का रास्ता साफ होगा। ऋण मिलने के बाद श्रीलंकाई मुद्रा की कीमत बढ़ेगी। गुनावर्धने ने दावा किया कि अर्थव्यवस्था सुधरने का सबसे ज्यादा लाभ सरकारी कर्मचारियो को ही मिलेगा, जबकि उनकी यूनियनें आईएमएफ से कर्ज मिलने के रास्ते में रुकावट डाल रही हैं।

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आईएमएफ के गवर्निंग बोर्ड की बैठक 20 मार्च को होने वाली है। संभावना है कि उसमें श्रीलंका को 2.9 बिलियन डॉलर का ऋण जारी करने का फैसला होगा। गुनावर्धने ने इसका जिक्र करते हुए ट्रेड यूनियनों से कहा कि वे ‘अनुचित मांग करके गद्दारी और विश्वासघात का रास्ता ना अपनाएं।’

इस बीच सरकार ने रेलवे कर्मियों की हड़ताल को रोकने के लिए रेल सेवा को आवश्यक सार्वजनिक सेवा घोषित कर दिया है। इसके तहत रेल कर्मचारियों की तमाम छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। इसके तहत कर्मचारियों को बुधवार से अनिवार्य रूप से ड्यूटी पर आने को कहा गया है। अगर कोई कर्मचारी इस आदेश का उल्लंघन करेगा और उसका स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं हुआ, तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

इस बीच श्रीलंका की वामपंथी विपक्षी पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) भी हड़ताल को बिना शर्त समर्थन देने से मुकर गई है। पार्टी से जुड़ी ट्रेड यूनियन के नेता लाल कांता ने कहा कि अनिश्चितकालीन हड़ताल का समर्थन नहीं किया जाएगा। हालांकि जेवीपी ने हड़ताल के पहले दिन यानी 15 मार्च को होने वाली ट्रेड यूनियन कार्रवाई का समर्थन करने का फैसला किया है।

श्रीलंका में लगभग 50 ट्रेड यूनियनों ने हड़ताल का आह्वान किया है। इनमें बिजली और बंदरगाह कर्मी, यूनिवर्सिटी और स्कूल शिक्षकों, बैंक कर्मचारियों, मेडिकल कर्मचारियों आदि की यूनियनें शामिल हैं। श्रीलंका के सेंट्रल बैंक की कर्मचारी यूनियन ने मंगलवार को एलान किया कि उसके सदस्य भी हड़ताल में शामिल होंगे। डाक विभाग के कर्मचारियों ने भी हड़ताल में शामिल होने की घोषणा की है। फिलहाल कुछ सेक्टरों के कर्मचारियों ने 24 घंटे तक ही हड़ताल में रहने का फैसला किया है। लेकिन ज्यादातर ट्रेड यूनियनें अनिश्चितकाल की हड़ताल पर चली गई हैं।

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