Sri Lanka: एक हाथी बना श्रीलंका के लिए ‘राष्ट्रीय शर्म’ की बात! भेजा गया थाईलैंड वापस
श्रीलंका की संसद में सांसद डुलास अलाहापेरुमा ने कहा- ‘हाथी के साथ जैसा व्यवहार हुआ, उससे एक देश और यहां के नागरिक के रूप में हम शर्मिंदा हैं।’ उन्होंने कहा- ‘इस मामले में कई गलतियां हुईं। पहली गलती तो यह थी कि हाथी को अलुथगामा केंडे विहारा को दे दिया गया...
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थाईलैंड ने दो दशक पहले श्रीलंका को एक हाथी उपहार के रूप में दिया था। बीते रविवार को उस हाथी को वापस थाईलैंड भेज दिया गया। तब से यहां लोग इस घटना को श्रीलंका के लिए ‘राष्ट्रीय शर्म’ की बात बता रहे हैं। यह चर्चा आम है कि श्रीलंका एक हाथी की भी देखभाल नहीं कर पाया।
श्रीलंका की संसद में सांसद डुलास अलाहापेरुमा ने कहा- ‘हाथी के साथ जैसा व्यवहार हुआ, उससे एक देश और यहां के नागरिक के रूप में हम शर्मिंदा हैं।’ उन्होंने कहा- ‘इस मामले में कई गलतियां हुईं। पहली गलती तो यह थी कि हाथी को अलुथगामा केंडे विहारा को दे दिया गया। जब वहां हाथी के साथ हो रहे दुर्व्यवहार की खबर आई और हाथी जख्मी हो गया, तो उसकी शिकायत वन्य जीव अधिकारियों से की गई। लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। इसी वजह से पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने थाई दूतावास से शिकायत की।’
खबरों के मुताबिक थाई अधिकारियों को जब हाथी के बदहाल होने की खबर मिली, तो उन्होंने उसे वापस अपने देश ले जाने के लिए दबाव बनाया। इस हाथी को साल 2001 में थाईलैंड ने तत्कालीन राष्ट्रपति चंद्रिका कुमारतुंगा को भेंट किया था। तब हाथी इस आपसी समझदारी के साथ श्रीलंका लाया गया था कि टेंपल ऑफ टूथ में होने वाले वार्षिक समारोह के दौरान इस हाथी पर रखकर उस कास्केट को लाया जाएगा, जिसके बारे में मान्यता है कि उसमें भगवान बुद्ध के अवशेष रखे हुए हैं।
जानकारों के मुताबिक थाईलैंड के शाही परिवार ने इसे अपने लिए गौरव की बात माना था कि उनके दिए हाथी पर भगवान बुद्ध के अवशेष रखे जाएंगे। इस कास्केट को पूरे बौद्ध जगत में पवित्र माना जाता है। हाथी के श्रीलंका आने के बाद कुमारतुंगा ने उसे केंडे विहारा को दे दिया। तब इस खबर से थाईलैंड में निराशा जताई गई थी। पिछले साल पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने हाथी की दुर्दशा की तरफ लोगों का ध्यान खींचा। बाद में उन्होंने थाईलैंड सरकार से गुजारिश की कि वह हाथी को वापस ले जाए। जब थाईलैंड सरकार ने श्रीलंका सरकार पर दबाव बनाया, तब हाथी को केंडे विहारा से हटाया गया। उसके बाद पिछले साल नवंबर उसे डेहिवाला चिड़ियाघर में रखा गया। लेकिन वहां भी हाथी बीमार अवस्था में रहा।
हाथी की हालत न सुधरने के कारण थाईलैंड ने हाथी को वापस ले जाने का फैसला किया। शनिवार रात को उसे चिड़ियाघर से बाहर लाया गया और रविवार को वह थाईलैंड रवाना हो गया। वैसे चिड़ियाघर अधिकारियों का दावा है कि उनके यहां हुई देखभाल से मुथु राजा नाम के इस हाथी के जख्म 80 से 90 फीसदी तक ठीक हो गए थे।
कार्यकर्ताओं का आरोप है कि हाथी का इस्तेमाल सामान ढोने और पैसा कमाने के अन्य कार्यों में किया गया। उनके मुताबिक जिस मंदिर के लिए हाथी को लाया गया था, उस मंदिर के कर्ता-धर्ता ही व्यापारिक गतिविधियों में शामिल हैं। श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुनावर्धने ने पिछले महीने संसद में बताया था कि उन्होंने हाथी के साथ हुए व्यवहार को लेकर थाईलैंड के राजा से माफी मांगी है। उन्होंने दावा किया कि इस वजह से दोनों देशों के रिश्तों में आई दरार को अब पाट दिया गया है।