US: 'डोभाल को समन देने की बात का प्रमाण नहीं', अमेरिकी अदालत ने खारिज किया खालिस्तानी आतंकी पन्नू का दावा
खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने दावा किया था कि अजित डोभाल को वाशिंगटन में समन और अदालती दस्तावेज दिए गए थे। इस बात पर आज सुनवाई करते हुए अमेरिका की एक कोर्ट ने पन्नू के इस दावे को खारिज कर दिया।
विस्तार
अमेरिका की एक अदालत ने खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू को एक बड़ा झटका दिया है। इसके तहत अदालत ने पन्नू के उस दावे को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि फरवरी में वाशिंगटन यात्रा के दौरान भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को समन और अदालती दस्तावेज दिए गए थे। अदालत ने कहा कि यह दस्तावेज डोभाल तक नहीं पहुंचे थे और न ही उन्हें कोई शिकायत दी गई थी।
अमेरिकी जिला न्यायाधीश की टिप्पणी
मामले में सुनवाई के दौरान अमेरिकी जिला न्यायाधीश कैथरीन पोल्क फेला ने अपने आदेश में कहा कि अदालत ने सभी दस्तावेजों की समीक्षा की और पाया कि अदालत के आदेश के अनुसार डोभाल तक दस्तावेज नहीं पहुंचे थे। इसके अलावा, डोभाल के ठहरने की जगह पर सुरक्षा बहुत कड़ी थी और वहां किसी भी कर्मचारी को दस्तावेज देने की अनुमति नहीं थी।
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डोभाल को दस्तावेज देने का दावा
पन्नू ने अपने दावे में कहा था कि जब डोभाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलने के लिए वाशिंगटन गए थे, तब पन्नू ने दो प्रोसेस सर्वर और एक जांचकर्ता को डोभाल को दस्तावेज देने के लिए भेजा था।
साथ ही उन्होंने कहा था कि पहले प्रयास में 12 फरवरी को ब्लेयर हाउस में सीक्रेट सर्विस एजेंटों ने दस्तावेज लेने से इनकार कर दिया। अगले दिन, 13 फरवरी को भी डोभाल को दस्तावेज देने का प्रयास किया गया, लेकिन फिर से सीक्रेट सर्विस एजेंटों ने इसे रोक दिया और दस्तावेज लेने से इनकार कर दिया। इसके बाद पन्नू ने कहा कि उन्होंने दस्तावेज़ों को एक कॉफी शॉप में छोड़ दिया, लेकिन अदालत ने इस प्रक्रिया को मान्यता नहीं दी।
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पन्नू ने डोभाल और निखिल गुप्ता के खिलाफ दायर किया था मुकदमा
गौरतलब है कि पन्नू ने मामले में डोभाल और निखिल गुप्ता के खिलाफ एक दीवानी मुकदमा दायर किया था। गुप्ता पर आरोप है कि उन्होंने अमेरिकी धरती पर पन्नू की हत्या की साजिश को नाकाम करने के लिए भारतीय सरकारी कर्मचारियों के साथ मिलकर काम किया था।