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Op Sindoor: ब्रह्मोस की ताकत देख चौंक गए थे ट्रंप, परमाणु वारहेड लगाने का सता रहा था डर; WSJ रिपोर्ट में दावा
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन।
Published by: निर्मल कांत
Updated Wed, 06 Aug 2025 11:12 PM IST
सार
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पाकिस्तान के भीतर मिसाइलें दागीं, जिससे अमेरिका को भारत-पाक के बीच परमाणु युद्ध का डर सताने लगा था। एक अमेरिकी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप प्रशासन को आशंका थी कि भारत ब्रह्मोस को परमाणु हथियार से लैस कर सकता है।
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ब्रह्मोस
- फोटो : Adobe Stock
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विस्तार
ऑपरेशन सिंदूर के समय अमेरिका को खुफिया जानकारी मिली थी कि भारत ने पाकिस्तान के भीतर निशाने पर ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलें दागी हैं। अमेरिका को चिंता थी कि अगर भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव और बढ़ा, तो भारत इन मिसाइलों में परमाणु हथियार भी लगा सकता है। यह जानकारी वॉल स्ट्रीट जर्नल (डब्ल्यूएसजे) की एक रिपोर्ट में दी गई है।
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ट्रंप प्रशासन को मिसाइलों में परमाणु बम जोड़ने की आशंका थी
रिपोर्ट में ट्रंप प्रशासन के मौजूदा और पूर्व अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने ब्रह्मोस मिसाइल को एक ऐसा हथियार माना जो परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चिंता थी कि अगर हालात बिगड़ते हैं, तो भारत इन मिसाइलों में परमाणु बम जोड़ सकता है। साथ ही यह आशंका भी थी कि जवाब में पाकिस्तान भी परमाणु हमला कर सकता है। इसी डर की वजह से ट्रंप ने उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रुबियो को भारत और पाकिस्तान के नेताओं से बात करने को कहा।
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भारत ने हमेशा यह स्पष्ट कहा है कि ब्रह्मोस मिसाइल केवल पारंपरिक (नॉन-न्यूक्लियर) हथियारों से लैस है। इनका संचालन भारतीय सेना की तोपखाना रेजिमेंट, वायुसेना और नौसेना करते हैं। भारत की जो मिसाइलें परमाणु हथियार ले जा सकती हैं, वे रणनीतिक बल कमान (एसएफसी) के कंट्रोल में रहती हैं। ब्रह्मोस मिसाइल में 200 से 300 किलो के पारंपरिक विस्फोटक लगाए जा सकते हैं। यह मिसाइल एक बहुत ही सटीक और तेज गति वाला हमला कर सकती है।
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वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप की चिंता इस बात से थी कि भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़कर कहीं परमाणु युद्ध न बन जाए। व्हाइट हाउस को लग रहा था कि स्थिति इतनी गंभीर है कि अमेरिका को सीधे दखल देना पड़ा। रिपोर्ट में व्हाइट हाउस के एक अधिकारी के हवाले से कहा गया कि ट्रंप ने अपने व्यक्तिगत संबंधों का इस्तेमाल कर भारत और पाकिस्तान दोनों के नेताओं से बात कर इस संकट को टालने की कोशिश की। हालांकि अधिकारी ने यह नहीं बताया कि ब्रह्मोस के इस्तेमाल से ही डर पैदा हुआ था या नहीं।
जब वॉल स्ट्रीट जर्नल ने वॉशिंगटन में भारतीय दूतावास से इस बारे में सवाल किया, तो वहां के अधिकारियों ने बताया कि भारत 'नो फर्स्ट यूज' यानी पहले परमाणु हमला न करने की नीति पर चलता है। इसलिए ब्रह्मोस मिसाइल के इस्तेमाल से परमाणु युद्ध का डर नहीं होना चाहिए था। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मई की शुरुआत में पाकिस्तान के साथ संघर्ष के दौरान भारत ने ब्रह्मोस मिसाइलों से कई अहम पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर हमला किया था। इनमें वायुसेना के रनवे, बंकर और हैंगर शामिल थे।
ब्रह्मोस मिसाइल भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मॉस्कवा नदी के नामों से मिलकर बनाई गई है। यह दुनिया की इकलौती सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जो ऑपरेशनल सेवा में है और लगभग 3450 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकती है।
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इस मिसाइल को भारत के डीआरडीओ और रूस की एनपीओ मशीनोस्त्रोयेनीया ने 1998 में शुरू हुई रणनीतिक साझेदारी के तहत मिलकर विकसित किया था। अब इसका उत्पादन भारत में ही हो रहा है और यह नौसेना, वायुसेना और थलसेना में दुश्मन के जहाजों पर हमला करने, जमीन पर निशाना लगाने और तटीय सुरक्षा करने जैसे अलग-अलग कामों के लिए इस्तेमाल होती है।
ब्रह्मोस का ऊंचाई पर उड़ने वाला हिस्सा 15 किलोमीटर तक जा सकता है, जबकि अंतिम चरण में यह जमीन या समुद्र की सतह से महज 10 मीटर ऊपर उड़ती है, जिससे इसे रोकना बहुत मुश्किल होता है। इसमें दो इंजन लगे होते हैं – पहले चरण में ठोस ईंधन वाला बूस्टर मिसाइल को रफ्तार देता है, फिर रैमजेट इंजन क्रूज चरण में काम करता है। यह 'फायर एंड फॉरगेट' प्रणाली पर काम करती है, यानी इसे दागने के बाद किसी दिशा-निर्देश की ज़रूरत नहीं होती। यह बहुत ही तेजी से दिशा बदल सकती है और रडार को चकमा देने में सक्षम है।
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