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Useless Car Features: कार के 5 बेकार फीचर्स जिनकी कोई जरूरत नहीं, इनके झांसे में मत आना! कर देंगे जेब खाली
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Mon, 23 Dec 2024 12:35 PM IST
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सार
आजकल कारों में कई ऐसे फीचर्स आ रहे हैं जिनके लिए लोग पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं. लेकिन असलियत में इन फीचर्स का कोई खास उपयोग नहीं होता. यहां हम आपको कार में मिलने वाले 5 ऐसे ही यूजलेस फीचर्स के बारे में बता रहे हैं.

कार के ये फीचर्स ज्यादा उपयोगी नहीं होते
- फोटो : Freepik

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विस्तार
आजकल की कारों में कई तरह के जबरदस्त फीचर्स आ रहे हैं। गाड़ी बेचते समय कंपनियां इन फीचर्स को कफी हाइलाइट करती हैं। कार में एयरबैग, एबीएस, ट्रैक्शन कंट्रोल और डिजिटल डिस्प्ले जैसे फीचर्स तो अब काफी काॅमन हो गए हैं। लेकिन कई ऐसे फीचर्स भी हैं जिन्हें काफी बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया जाता है ताकि ग्राहकों के बीच इनकी जरूरत पैदा की जा सके। इन फीचर्स के प्रचार पर लोग लट्टू हो जाते हैं और कार खरीदते समय इन फीचर्स के साथ आने वाले वेरिएंट की डिमांड करते हैं। ये गैर जरूरी फीचर्स वाली कारों से कई बार कार ग्राहकों का बजट भी बढ़ जाता है। आइए जानते हैं कारों में मिलने वाले कुछ ऐसे ही गैरजरूरी फीचर्स के बारे में...
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सनरूफ
- फोटो : Freepik
सनरूफ
सनरूफ पहले केवल कुछ प्रीमियम और लग्जरी कारों में ही मिलता था, लेकिन आजकल 8-10 लाख रुपये वाली किफायती कारें भी इस फीचर के साथ आने लगी हैं। वजह है लोगों के बीच इस फीचर की बढ़ती डिमांड। भारत जैसे गर्म और नमी वाले देश में सनरूफ वाली कार खरीदना समझदारी नहीं है। भारत में कार ग्राहक सनरूफ वाली कार खरीद तो लेते हैं लेकिन इस फीचर का इस्तेमाल नहीं कर पाते, क्योंकि इसकी जरूरत ही नहीं पड़ती। ज्यादातर कार ग्राहकों की शिकायत रहती है कि सनरूफ खुला रहने से सड़क की धूल-मिट्टी अंदर आ जाती है। वहीं, ज्यादातर महीनों में तेज धूप रहने के कारण लोग सनरूफ खुला रखने से बचते हैं। सनरूफ वाली कारों में पैसेंजर्स की सेफ्टी को लेकर भी डर बना रहता है।
सनरूफ पहले केवल कुछ प्रीमियम और लग्जरी कारों में ही मिलता था, लेकिन आजकल 8-10 लाख रुपये वाली किफायती कारें भी इस फीचर के साथ आने लगी हैं। वजह है लोगों के बीच इस फीचर की बढ़ती डिमांड। भारत जैसे गर्म और नमी वाले देश में सनरूफ वाली कार खरीदना समझदारी नहीं है। भारत में कार ग्राहक सनरूफ वाली कार खरीद तो लेते हैं लेकिन इस फीचर का इस्तेमाल नहीं कर पाते, क्योंकि इसकी जरूरत ही नहीं पड़ती। ज्यादातर कार ग्राहकों की शिकायत रहती है कि सनरूफ खुला रहने से सड़क की धूल-मिट्टी अंदर आ जाती है। वहीं, ज्यादातर महीनों में तेज धूप रहने के कारण लोग सनरूफ खुला रखने से बचते हैं। सनरूफ वाली कारों में पैसेंजर्स की सेफ्टी को लेकर भी डर बना रहता है।
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एम्बिएंट लाइट
- फोटो : Freepik
एम्बिएंट लाइटिंग
पहले कार के अंदर एक या दो जहग लाइटें होती थी, जिनसे ग्राहकों का काम चल जाता था। लेकिन आजकल की गाड़ियां वाइब्रेंट एम्बिएंट लाइट के साथ आ रही हैं, जो पूरे केबिन को रौशन कर देता है। इस फीचर को ग्राहकों को प्रीमियम बताकर बेचा जाता है और इसे ऊंचे वेरिएंट में रखा जाता है। देखा जाए तो कार के अंदर चारों ओर एम्बिएंट लाइट की जरूरत नहीं होती। लाइट अगर सिर्फ पैरों की ओर हो तो ज्यादा उपयोगी हो सकती हैं। एम्बिएंट लाइट से कई बार ड्राइवर का ध्यान भटकने का भी खतरा रहता है।
पहले कार के अंदर एक या दो जहग लाइटें होती थी, जिनसे ग्राहकों का काम चल जाता था। लेकिन आजकल की गाड़ियां वाइब्रेंट एम्बिएंट लाइट के साथ आ रही हैं, जो पूरे केबिन को रौशन कर देता है। इस फीचर को ग्राहकों को प्रीमियम बताकर बेचा जाता है और इसे ऊंचे वेरिएंट में रखा जाता है। देखा जाए तो कार के अंदर चारों ओर एम्बिएंट लाइट की जरूरत नहीं होती। लाइट अगर सिर्फ पैरों की ओर हो तो ज्यादा उपयोगी हो सकती हैं। एम्बिएंट लाइट से कई बार ड्राइवर का ध्यान भटकने का भी खतरा रहता है।

पैडल शिफ्टर
- फोटो : Freepik
पैडल शिफ्टर
अगर आप हायएंड महंगी स्पोर्ट्स कार या एसयूवी चलाते हैं, तो आपको थ्रिलिंग कंट्रोल करने के लिए पैडल शिफ्टर की जरूरत होती है। लेकिन आजकल 100 बीएचपी की पावर वाली गाड़ियों में पैडल शिफ्टर की कोई आवश्यकता नहीं है। वैसे भी आजकल स्पीड लीमिट तय है और हाईवे पर ही इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
अगर आप हायएंड महंगी स्पोर्ट्स कार या एसयूवी चलाते हैं, तो आपको थ्रिलिंग कंट्रोल करने के लिए पैडल शिफ्टर की जरूरत होती है। लेकिन आजकल 100 बीएचपी की पावर वाली गाड़ियों में पैडल शिफ्टर की कोई आवश्यकता नहीं है। वैसे भी आजकल स्पीड लीमिट तय है और हाईवे पर ही इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

कीलेस पुश बटन स्टार्ट
- फोटो : Freepik
कीलेस पुश बटन स्टार्ट
कीलेस पुश बटन आजकल कई कारों में कॉमन फीचर बन चुका है। कार कंपनियां इसे भी एक प्रीमियम फीचर बताकर बेचती हैं। बी-सेगमेंट की हैचबैक कारों में यह फीचर बहुत मिलता है। पहले ये फीचर केवल टॉप वैरिएंट के मॉडल्स में ही दिखता था। लोग आकर्षित हो कर इस फीचर के चलते कार को खरीद लेते हैं, लेकिन इस फीचर से आपके ड्राइविंग हैबिट में कोई सुधार नहीं होगा। इसमें केवल कार को बिना चाबी के अनलॉक किया जा सकता है और केवल एक बटन दबाने से कार को स्टार्ट किया जा सकता है। आजकल आने वाली ज्यादातर कारों में रिमोट लॉकिंग फीचर मिलता है और बटन दबा कर कार को लॉक-अनलॉक किया जा सकता है। कीलेस पुश बटन स्टार्ट अगर आपको स्टैंडर्ड मले तब ये ठीक है, लेकिन इसके लिए एक्स्ट्रा पैसे खर्च करना बिल्कुल भी समझदारी नहीं है।
कीलेस पुश बटन आजकल कई कारों में कॉमन फीचर बन चुका है। कार कंपनियां इसे भी एक प्रीमियम फीचर बताकर बेचती हैं। बी-सेगमेंट की हैचबैक कारों में यह फीचर बहुत मिलता है। पहले ये फीचर केवल टॉप वैरिएंट के मॉडल्स में ही दिखता था। लोग आकर्षित हो कर इस फीचर के चलते कार को खरीद लेते हैं, लेकिन इस फीचर से आपके ड्राइविंग हैबिट में कोई सुधार नहीं होगा। इसमें केवल कार को बिना चाबी के अनलॉक किया जा सकता है और केवल एक बटन दबाने से कार को स्टार्ट किया जा सकता है। आजकल आने वाली ज्यादातर कारों में रिमोट लॉकिंग फीचर मिलता है और बटन दबा कर कार को लॉक-अनलॉक किया जा सकता है। कीलेस पुश बटन स्टार्ट अगर आपको स्टैंडर्ड मले तब ये ठीक है, लेकिन इसके लिए एक्स्ट्रा पैसे खर्च करना बिल्कुल भी समझदारी नहीं है।

एलईडी डे-टाइम रनिंग लाइट्स (LED DRL)
- फोटो : Freepik
एलईडी डे-टाइम रनिंग लाइट्स (LED DRL)
लगभग सभी कारों में, चाहे वह किसी भी बजट की हो, अब LED डे-टाइम रनिंग लाइट्स (DRL) के साथ आ रही हैं। अब केवल एंट्री-लेवल मॉडल को छोड़कर, लगभग सभी कारों में DRL मिलता है. इसका मकसद है कि सड़क पर सामने से आने वाले वाहनों को आपकी गाड़ी दिखाई दे। लेकिन इसे भी प्रीमिय फीचर और स्टाइल स्टेमेंट के तौर पर देखा जाने लगा है। कई ग्राहक DRL वाली कार इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि ये बेस या मिड वेरिएंट से ज्यादा स्टाइलिश दिखती हैं.
लगभग सभी कारों में, चाहे वह किसी भी बजट की हो, अब LED डे-टाइम रनिंग लाइट्स (DRL) के साथ आ रही हैं। अब केवल एंट्री-लेवल मॉडल को छोड़कर, लगभग सभी कारों में DRL मिलता है. इसका मकसद है कि सड़क पर सामने से आने वाले वाहनों को आपकी गाड़ी दिखाई दे। लेकिन इसे भी प्रीमिय फीचर और स्टाइल स्टेमेंट के तौर पर देखा जाने लगा है। कई ग्राहक DRL वाली कार इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि ये बेस या मिड वेरिएंट से ज्यादा स्टाइलिश दिखती हैं.