बड़ी खामियों के कारण 5 लाख से ज्यादा कारें रिकॉल
देश में कार कंपनियां द्वारा वाहनों में खामियों को देखते हुए गाडि़यों को रिकॉल करने के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। पिछले दो साल में देश में 5 लाख से ज्यादा कारें रिकॉल की जा चुकी हैं। इसे देखते हुए अब सरकार रिकॉल पॉलिसी बनाने की तैयार कर रही है। इसमें पेनॉल्टी के प्रावधान लागू किए जा सकते हैं।
इससे कंपनियों की ज्यादा जवाबदेही तय हो सकेगी। अभी कंपनियों के लिए ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री एसोसिएशन सिआम ने स्वैच्छिक आधार पर रीकॉल पॉलिसी बना रखी है, जो 1 जुलाई 2012 से वाहन कंपनियों के लिए लागू है।
किस कंपनी की कितनी कारें
सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चर्स (सिआम) के आंकड़ों के मुताबिक स्वैच्छिक रिकॉल पॉलिसी लागू होने के बाद से 5 लाख से ज्यादा कारें रीकॉल की जा चुकी हैं। इसमें सबसे ज्यादा फोर्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने 2,95,648 कारें रिकाल किया है। इसके बाद मारुति सुजुकी 1,04,803 कारें रिकाल कर चुकी है। इनके अलावा महिंद्रा एंड महिंद्रा 25,680, टोयोटा किर्लोस्कर 9,763, जगुआर लैंड रोवर 517, होंडा कार 42,672, निसान मोटर 22188, रेनो इंडिया 7,016 वाहनों को रिकॉल कर चुकी है।
सिआम की रिकॉल नीति के पहले भी कंपनियां वाहनों को रीकॉल करती थी, लेकिन रिकॉल के ज्यादा मामले सामने नहीं आते थे। ज्यादातर रीकॉल ग्लोबल रिकॉल का हिस्सा होते थे। मारुति साल 2010 में एक बड़ा रिकॉल अपने मॉडल ए-स्टार का कर चुकी है। इसके तहत करीब एक लाख ए-स्टार को बाजार से वापस लिया गया था।
50 लाख की बिक्री, बजाज प्लेटिना और सस्ती
जनरल मोटर्स भी 1.14 लाख टवेरा रिकाल कर चुकी है। सिआम के डायरेक्टर जनरल विष्णु माथुर ने अमर उजाला को बताया कि कंपनियां स्वैच्छिक आधार पर रीकॉल कर रही हैं। इसका सीधा सा मतलब है कि वह अपनी साख और ग्राहकों की सुरक्षा को लेकर काफी सतर्क हैं। यह एक अच्छा कदम है।
इंडस्ट्री का नजरिया बदला
रिकॉल के बढ़ते मामलों पर एक प्रमुख कार कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार भारत में कारों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। इसकी वजह से भी रिकॉल के मामले बढ़े हैं। अब पहले की तुलना में इंडस्ट्री का नजरिया भी बदला है। कंपनियां पहले रीकॉल को अपनी साख के लिए अच्छा नहीं मानती थीं, लेकिन अब ऐसा नहीं है।
अब कंपिनयों को लगता है कि रिकॉल से ग्राहकों की प्रति उनकी सतर्कता सामने आती है। साथ ही यह भी साबित होता है कि कार कंपनियां अपनी साख और ग्राहकों की सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं करना चाहती हैं।