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Electric Buses: 10,900 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए केंद्र सरकार का बड़ा कदम, बंगलूरू को मिलेंगी सबसे ज्यादा
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Wed, 02 Jul 2025 07:08 PM IST
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सार
शहरी परिवहन को प्रदूषण से मुक्त करने की दिशा में केंद्र सरकार ने एक अहम पहल करते हुए 10,900 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए टेंडर जारी किया है। यह कदम प्रधानमंत्री ई-ड्राइव योजना के तहत उठाया गया है।

Electric Bus
- फोटो : Amar Ujala

विस्तार
शहरी परिवहन को प्रदूषण से मुक्त करने की दिशा में केंद्र सरकार ने एक अहम पहल करते हुए 10,900 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए टेंडर जारी किया है। यह कदम प्रधानमंत्री ई-ड्राइव योजना के तहत उठाया गया है, जिसका उद्देश्य शहरी सार्वजनिक परिवहन को इलेक्ट्रिक बनाना है।
बंगलूरू को सबसे ज्यादा बसें
इस टेंडर के तहत पांच प्रमुख शहरों को इलेक्ट्रिक बसें दी जाएंगी। इसमें बंगलूरू को सबसे ज्यादा 4,500 बसें मिलेंगी, उसके बाद दिल्ली को 2,800 बसें, हैदराबाद को 2,000 बसें, अहमदाबाद को 1,000 बसें और सूरत को 600 बसें दी जाएंगी। इस तरह कुल 10,900 बसों को शहरों की जरूरत के हिसाब से बांटा गया है।
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बंगलूरू को सबसे ज्यादा बसें
इस टेंडर के तहत पांच प्रमुख शहरों को इलेक्ट्रिक बसें दी जाएंगी। इसमें बंगलूरू को सबसे ज्यादा 4,500 बसें मिलेंगी, उसके बाद दिल्ली को 2,800 बसें, हैदराबाद को 2,000 बसें, अहमदाबाद को 1,000 बसें और सूरत को 600 बसें दी जाएंगी। इस तरह कुल 10,900 बसों को शहरों की जरूरत के हिसाब से बांटा गया है।
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टेंडर की प्रक्रिया और मॉडल
इस टेंडर को सरकारी कंपनी कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड (CESL) (सीईएसएल) ने 27 जून को जारी किया है। यह टेंडर ग्रॉस कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट (GCC) मॉडल पर आधारित है। जिसमें ऑपरेटर को प्रति किलोमीटर सेवा के आधार पर भुगतान किया जाएगा। इसमें बसों की खरीद, सप्लाई, संचालन और रखरखाव के साथ-साथ चार्जिंग स्टेशन और अन्य ढांचागत सुविधाओं का विकास भी शामिल है। टेंडर के लिए बिडिंग प्रक्रिया 12 अगस्त को खुलेगी।
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इस टेंडर को सरकारी कंपनी कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड (CESL) (सीईएसएल) ने 27 जून को जारी किया है। यह टेंडर ग्रॉस कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट (GCC) मॉडल पर आधारित है। जिसमें ऑपरेटर को प्रति किलोमीटर सेवा के आधार पर भुगतान किया जाएगा। इसमें बसों की खरीद, सप्लाई, संचालन और रखरखाव के साथ-साथ चार्जिंग स्टेशन और अन्य ढांचागत सुविधाओं का विकास भी शामिल है। टेंडर के लिए बिडिंग प्रक्रिया 12 अगस्त को खुलेगी।
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Electric Buses under PM E-Bus Sewa
- फोटो : GreenCell Mobility
निवेशकों के लिए बड़ा मौका
इस योजना के तहत दीर्घकालिक आमदनी की संभावनाओं को देखते हुए इसमें बड़े वाहन निर्माता और फ्लीट ऑपरेटरों की दिलचस्पी देखने को मिल सकती है। सीईएसएल का मानना है कि भारत एक ई-मोबिलिटी क्रांति के मुहाने पर खड़ा है। और सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक 30 प्रतिशत वाहनों को इलेक्ट्रिक बनाया जाए। ताकि आयातित ईंधन पर निर्भरता घटे, प्रदूषण कम हो और स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा मिले।
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इस योजना के तहत दीर्घकालिक आमदनी की संभावनाओं को देखते हुए इसमें बड़े वाहन निर्माता और फ्लीट ऑपरेटरों की दिलचस्पी देखने को मिल सकती है। सीईएसएल का मानना है कि भारत एक ई-मोबिलिटी क्रांति के मुहाने पर खड़ा है। और सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक 30 प्रतिशत वाहनों को इलेक्ट्रिक बनाया जाए। ताकि आयातित ईंधन पर निर्भरता घटे, प्रदूषण कम हो और स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा मिले।
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प्रधानमंत्री ई-ड्राइव योजना: क्या है यह?
पीएम ई-ड्राइव योजना, जिसकी लागत 10,900 करोड़ रुपये रखी गई है, 1 अक्तूबर 2024 से 31 मार्च 2026 तक लागू की जाएगी। यह योजना पहले से चल रही फेम इंडिया स्कीम के दूसरे चरण और ईएमपीएस-2024 योजना को मिलाकर लाई गई है। इसका मुख्य फोकस है - इलेक्ट्रिक बसों का उपयोग बढ़ाना, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना और इलेक्ट्रिक वाहन इकोसिस्टम को मजबूत करना।
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Electric Bus (For Representation only)
- फोटो : Freepik
भुगतान सुरक्षा योजना भी शुरू
इसके साथ ही भारी उद्योग मंत्रालय ने पीएम ई-बस सेवा - पेमेंट सिक्योरिटी मैकेनिज्म (PSM) नाम की एक स्कीम भी शुरू की है, जिसका बजट 3,435 करोड़ रुपये है। इसका मकसद है कि देशभर में 38,000 से ज्यादा इलेक्ट्रिक बसों की तैनाती को सुरक्षित किया जाए। अगर किसी सार्वजनिक परिवहन संस्था द्वारा भुगतान में चूक होती है तो यह योजना ऑपरेटरों को सुरक्षा देती है। साथ ही ट्रेनिंग और टेक्नोलॉजी अपनाने में भी यह मदद करती है।
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स्वच्छ और स्मार्ट पब्लिक ट्रांसपोर्ट की ओर भारत
भारी उद्योग और इस्पात मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने हाल ही में कहा कि भारत अब सस्टेनेबल शहरी परिवहन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, "बंगलूरू से दिल्ली तक सभी शहर इलेक्ट्रिक बसों को अपना रहे हैं ताकि पब्लिक ट्रांसपोर्ट को और ज्यादा स्मार्ट, क्लीन और असरदार बनाया जा सके। यह बसें भारत के ट्रांसपोर्ट सिस्टम को पर्यावरण-अनुकूल दिशा में ले जाएंगी।"
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