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No Fuel Policy: क्या नोएडा के लोगों को भी मिलेगा दिल्ली वालों जैसा दर्द, पुरानी गाड़ियों पर लागू होगा ये नियम?
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Wed, 02 Jul 2025 07:52 PM IST
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सार
दिल्ली में 1 जुलाई से पुरानी गाड़ियों को फ्यूल नहीं दिया जा रहा है, लेकिन क्या ये नियम नोएडा और अन्य एनसीआर इलाकों में भी लागू हो सकते हैं? आइए जानते हैं।

पेट्रोल पंप
- फोटो : Adobe Stock

विस्तार
दिल्ली के लोगों में पुरानी गाड़ियों को फ्यूल न मिलने के नए नियम को लेकर कफी निराशा है। सोशल मीडिया पर लोग दिल्ली सरकार की इस नीति को लेकर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। वहीं, अब इस बात पर भी चर्चा हो रही है कि क्या इस तरह के नियम पूरे भारत में लागू हो सकते हैं और क्या दिल्ली के आस-पास वाले इलाके जैसे नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम में भी इस तरह के नियमों को लाया जा सकता है?
आपको बता दें कि फिलहाल यह नियम केवल दिल्ली के लिए है। चूकिं दिल्ली में वायु प्रदूषण एक बड़ा मुद्दा बन चुका है और सरकार बड़े मेट्रो शहरों में पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों की संख्या घटाने और इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ाने की पुरजोर कोशिश में लगी हुई है। इसलिए इसे वाहनों के होने वाले प्रदूषण को कम करने में अहम कदम माना जा रहा है।
नोएडा में भी लागू होगा नो-फ्यूल का नियम
पुरानी गाड़ी चलाने वालों को यह जानकर निराशा होगी कि बहुत जल्द दिल्ली-एनसीआर के तहत आने वाले सभी इलाकों में भी दिल्ली जैसी है नो-फ्यूल पॉलिसी लागू की जाएगी। दिल्ली से सटे शहर जैसे नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम जैसे शहरों में यह नीति इस साल 1 नवंबर से लागू की जाएगी। यानी इन शहरों में भी पुराने वाहनों को फ्यूल नहीं मिलेगा।
दिल्ली में 62 लाख से ज्यादा पुराने वाहन
बता दें कि 2014 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए पुरानी गाड़ियों पर बैन लगाने का फैसला सुनाया था। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी 2018 के अपने फैसले में इस नीति का समर्थन करते हुए दिल्ली-एनसीआर में 10 साल से ज्यादा पुरानी डीजल और 15 साल से ज्यादा पुरानी पेट्रोल गाड़ियों को सड़कों से हटाने का आदेश जारी किया था। इसके अलावा, पुराने वाहनों को जब्त करने और नियम के अनुसार स्क्रैप करवाने का भी निर्देश दिया था।
दिल्ली में सरकार ने पुरानी गाड़ियों को फ्यूल देने से रोकने के लिए सभी पेट्रोल पंप को कडे़ निर्देश जारी किए हैं। वहीं, इन गाड़ियों की पहचान करने के लिए 350 से ज्यादा पेट्रोल पंप पर ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (APNR) कैमरे भी लगाए हैं। ये कैमरे तेल भरवाने आई पुरानी गाड़ियों की पहचान कर हूटर बजा देते हैं जिससे उनकी पहचान हो जाती है।
दिल्ली सरकार ने मौजूदा समय में शहर में चल रहे 62 लाख पुरानी गाड़ियों को आइडेंटिफाई किया है। इनमें लगभग 41 लाख दोपहिया और 18 लाख चारपहिया वाहन हैं। एनसीआर और अन्य इलाकों में भी लाखों पुराने वाहन चल रहे हैं।
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आपको बता दें कि फिलहाल यह नियम केवल दिल्ली के लिए है। चूकिं दिल्ली में वायु प्रदूषण एक बड़ा मुद्दा बन चुका है और सरकार बड़े मेट्रो शहरों में पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों की संख्या घटाने और इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ाने की पुरजोर कोशिश में लगी हुई है। इसलिए इसे वाहनों के होने वाले प्रदूषण को कम करने में अहम कदम माना जा रहा है।
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नोएडा में भी लागू होगा नो-फ्यूल का नियम
पुरानी गाड़ी चलाने वालों को यह जानकर निराशा होगी कि बहुत जल्द दिल्ली-एनसीआर के तहत आने वाले सभी इलाकों में भी दिल्ली जैसी है नो-फ्यूल पॉलिसी लागू की जाएगी। दिल्ली से सटे शहर जैसे नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम जैसे शहरों में यह नीति इस साल 1 नवंबर से लागू की जाएगी। यानी इन शहरों में भी पुराने वाहनों को फ्यूल नहीं मिलेगा।
दिल्ली में 62 लाख से ज्यादा पुराने वाहन
बता दें कि 2014 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए पुरानी गाड़ियों पर बैन लगाने का फैसला सुनाया था। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी 2018 के अपने फैसले में इस नीति का समर्थन करते हुए दिल्ली-एनसीआर में 10 साल से ज्यादा पुरानी डीजल और 15 साल से ज्यादा पुरानी पेट्रोल गाड़ियों को सड़कों से हटाने का आदेश जारी किया था। इसके अलावा, पुराने वाहनों को जब्त करने और नियम के अनुसार स्क्रैप करवाने का भी निर्देश दिया था।
दिल्ली में सरकार ने पुरानी गाड़ियों को फ्यूल देने से रोकने के लिए सभी पेट्रोल पंप को कडे़ निर्देश जारी किए हैं। वहीं, इन गाड़ियों की पहचान करने के लिए 350 से ज्यादा पेट्रोल पंप पर ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (APNR) कैमरे भी लगाए हैं। ये कैमरे तेल भरवाने आई पुरानी गाड़ियों की पहचान कर हूटर बजा देते हैं जिससे उनकी पहचान हो जाती है।
दिल्ली सरकार ने मौजूदा समय में शहर में चल रहे 62 लाख पुरानी गाड़ियों को आइडेंटिफाई किया है। इनमें लगभग 41 लाख दोपहिया और 18 लाख चारपहिया वाहन हैं। एनसीआर और अन्य इलाकों में भी लाखों पुराने वाहन चल रहे हैं।