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Traffic: बेंगलुरु का ट्रैफिक पागलपन है!' - Hotmail के को-फाउंडर का पोस्ट हुआ वायरल, मचा बवाल
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Thu, 03 Jul 2025 07:32 AM IST
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सार
Hotmail के को-फाउंडर और भारतीय-अमेरिकी उद्यमी सबीर भाटिया ने बेंगलुरु के ट्रैफिक को 'पागलपन' करार दिया है। उनका यह कमेंट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है और इसने एक नई बहस को जन्म दे दिया है।

ट्रैफिक जाम
- फोटो : AI

विस्तार
ऑफिस जाने की भगदड़, गाड़ियों की आवाज, और ट्रैफिक जाम से आज हर कोई परेशान है। खासकर मेट्रो शहरों में गाड़ियों की बढ़ती तादाद ने एक आपदा का रूप ले लिया है। चाहे दिल्ली हो या मुंबई ट्रैफिक लोगों का सिरदर्द बनता जा रहा है। देश की खराब ट्रैफिक व्यवस्था दूसरे देश से आने वाले पर्यटक और सैलानियों को भी परेशान कर देती है और वे अपनी बातों को जाहिर करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लेते हैं।
बंगलूरू के ट्रैफिक से परेशान हुए टेक फाउंडर
भारत की टेक कैपिटल कही जाने वाली बेंगलुरु की ट्रैफिक समस्या पर अब Hotmail के को-फाउंडर और भारतीय-अमेरिकी उद्यमी सबीर भाटिया का गुस्सा फूटा है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट में बेंगलुरु के ट्रैफिक को "INSANE" यानी पागलपन बताया, जिसके बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है।
भाटिया ने लिखा, “मुझे पता है बेंगलुरु वाले इसे निगेटिव कह सकते हैं… लेकिन यहां का ट्रैफिक पागलपन है। मैं जो दूरी बेंगलुरु में तय करता हूं, वही दूरी Bay Area (सैन फ्रांसिस्को) में साइकल से एक-तिहाई समय में पूरी कर लेता हूं। लोग इसे हर दिन कैसे झेलते हैं?"
यूजर्स ने दिए तीखे और दिलचस्प जवाब
उनकी इस टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। कुछ लोगों ने जहां उनकी बात का समर्थन किया, वहीं कई यूजर्स ने अमेरिका की तुलना में भारत की सुरक्षा व्यवस्था की तारीफ की।
एक यूजर ने पलटवार करते हुए लिखा, “क्या आप शाम 5 बजे के बाद Bay Area के ओकलैंड में साइकिल चला सकते हैं? बेंगलुरु में लोग आधी रात को भी मैसूर तक सुरक्षित यात्रा कर सकते हैं।”
वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा, “शिकायत करने से कुछ नहीं होगा। सरकार तो बुनियादी शहरी समस्याएं भी नहीं सुलझा पाई। अगर मदद करना चाहते हैं, तो मेट्रो शहरों को और न जाम करके छोटे शहरों में कंपनियां बनाइए।”
ट्रैफिक से लड़ने के अपने-अपने तरीके
कुछ यूजर्स ने बताया कि उन्होंने ट्रैफिक से निपटने के लिए क्या उपाय किए हैं। एक यूजर ने लिखा, “मैं मेट्रो स्टेशन के पास रहता हूं। पत्नी का ऑफिस 1 किमी दूर है और बच्चे का स्कूल भी पास ही है। जगह का किराया ज्यादा है, लेकिन शांति के लिए सही है।”
एक और यूजर ने बताया कि कोविड से पहले ऑफिस पैदल 20 मिनट या बाइक से 10-15 मिनट की दूरी पर था, लेकिन अब हालत और भी बदतर हो गई है।
समस्या वही, समाधान कहीं नहीं
बेंगलुरु की ट्रैफिक समस्या कोई नई नहीं है। आए दिन जाम और देर से पहुंचने की खबरें आम हो गई हैं। शहर की आधारभूत संरचना और बेतरतीब विकास ने हालात और भी जटिल बना दिए हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सबीर भाटिया की यह टिप्पणी सरकार और प्रशासन को कुछ कदम उठाने पर मजबूर कर पाती है या नहीं।
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बंगलूरू के ट्रैफिक से परेशान हुए टेक फाउंडर
भारत की टेक कैपिटल कही जाने वाली बेंगलुरु की ट्रैफिक समस्या पर अब Hotmail के को-फाउंडर और भारतीय-अमेरिकी उद्यमी सबीर भाटिया का गुस्सा फूटा है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट में बेंगलुरु के ट्रैफिक को "INSANE" यानी पागलपन बताया, जिसके बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है।
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भाटिया ने लिखा, “मुझे पता है बेंगलुरु वाले इसे निगेटिव कह सकते हैं… लेकिन यहां का ट्रैफिक पागलपन है। मैं जो दूरी बेंगलुरु में तय करता हूं, वही दूरी Bay Area (सैन फ्रांसिस्को) में साइकल से एक-तिहाई समय में पूरी कर लेता हूं। लोग इसे हर दिन कैसे झेलते हैं?"
I know Bengaluru folks may call this negative… but the traffic here is INSANE. I ride the same distance on my bicycle in 1/3 the time in the Bay Area. How do people tolerate this every day?
— Sabeer Bhatia (@sabeer) July 1, 2025
यूजर्स ने दिए तीखे और दिलचस्प जवाब
उनकी इस टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। कुछ लोगों ने जहां उनकी बात का समर्थन किया, वहीं कई यूजर्स ने अमेरिका की तुलना में भारत की सुरक्षा व्यवस्था की तारीफ की।
एक यूजर ने पलटवार करते हुए लिखा, “क्या आप शाम 5 बजे के बाद Bay Area के ओकलैंड में साइकिल चला सकते हैं? बेंगलुरु में लोग आधी रात को भी मैसूर तक सुरक्षित यात्रा कर सकते हैं।”
वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा, “शिकायत करने से कुछ नहीं होगा। सरकार तो बुनियादी शहरी समस्याएं भी नहीं सुलझा पाई। अगर मदद करना चाहते हैं, तो मेट्रो शहरों को और न जाम करके छोटे शहरों में कंपनियां बनाइए।”
ट्रैफिक से लड़ने के अपने-अपने तरीके
कुछ यूजर्स ने बताया कि उन्होंने ट्रैफिक से निपटने के लिए क्या उपाय किए हैं। एक यूजर ने लिखा, “मैं मेट्रो स्टेशन के पास रहता हूं। पत्नी का ऑफिस 1 किमी दूर है और बच्चे का स्कूल भी पास ही है। जगह का किराया ज्यादा है, लेकिन शांति के लिए सही है।”
एक और यूजर ने बताया कि कोविड से पहले ऑफिस पैदल 20 मिनट या बाइक से 10-15 मिनट की दूरी पर था, लेकिन अब हालत और भी बदतर हो गई है।
समस्या वही, समाधान कहीं नहीं
बेंगलुरु की ट्रैफिक समस्या कोई नई नहीं है। आए दिन जाम और देर से पहुंचने की खबरें आम हो गई हैं। शहर की आधारभूत संरचना और बेतरतीब विकास ने हालात और भी जटिल बना दिए हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सबीर भाटिया की यह टिप्पणी सरकार और प्रशासन को कुछ कदम उठाने पर मजबूर कर पाती है या नहीं।