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Traffic Light 4th Color: ट्रैफिक लाइट में जुड़ सकता है चौथा रंग! जानें कौन-सा रंग होगा और कैसे होगा मददगार
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Sat, 11 Oct 2025 06:24 PM IST
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सार
शोधकर्ताओं ने ट्रैफिक सिग्नल सिस्टम में एक नया रंग सफेद (White) जोड़ने का प्रस्ताव दिया है। अब तक ट्रैफिक लाइट में लाल, पीला और हरा रंग इस्तेमाल होता है। लेकिन अब यह "सफेद लाइट" ट्रैफिक फ्लो को और सुचारू बनाने में मदद कर सकती है।

Red light traffic signal
- फोटो : Adobe Stock
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विस्तार
नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने ट्रैफिक सिग्नल सिस्टम में एक नया रंग सफेद (White) जोड़ने का प्रस्ताव दिया है। यह नया रंग खास तौर पर ऑटोनॉमस व्हीकल्स (Self-Driving Cars) (सेल्फ ड्राइविंग कार) के लिए बनाया गया है। अब तक ट्रैफिक लाइट में लाल (रुकने के लिए), पीला (सावधानी के लिए) और हरा (चलने के लिए) रंग इस्तेमाल होता है। लेकिन अब यह "सफेद लाइट" ट्रैफिक फ्लो को और सुचारू बनाने में मदद कर सकती है।
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क्या है 'व्हाइट लाइट' का कॉन्सेप्ट
शोध के अनुसार, सफेद रंग की यह लाइट सेल्फ-ड्राइविंग कारों की टेक्नोलॉजी का उपयोग कर ट्रैफिक जाम कम करने में मदद करेगी। इस विचार को सबसे पहले 2024 में प्रोफेसर अली हजबाबाई ने पेश किया था। वे सिविल, कंस्ट्रक्शन और एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर हैं।
उन्होंने बताया, "पहले हमारे शोध में हमने 'व्हाइट फेज' का कॉन्सेप्ट रखा था, जो सेल्फ-ड्राइविंग कारों के बीच कोऑर्डिनेशन बढ़ाकर इंटरसेक्शन पर ट्रैफिक को तेजी से क्लियर करने में मदद करता है। अब हमने इसमें पैदल यात्रियों को भी शामिल किया है, और नतीजे काफी सकारात्मक रहे हैं।"
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शोध के अनुसार, सफेद रंग की यह लाइट सेल्फ-ड्राइविंग कारों की टेक्नोलॉजी का उपयोग कर ट्रैफिक जाम कम करने में मदद करेगी। इस विचार को सबसे पहले 2024 में प्रोफेसर अली हजबाबाई ने पेश किया था। वे सिविल, कंस्ट्रक्शन और एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर हैं।
उन्होंने बताया, "पहले हमारे शोध में हमने 'व्हाइट फेज' का कॉन्सेप्ट रखा था, जो सेल्फ-ड्राइविंग कारों के बीच कोऑर्डिनेशन बढ़ाकर इंटरसेक्शन पर ट्रैफिक को तेजी से क्लियर करने में मदद करता है। अब हमने इसमें पैदल यात्रियों को भी शामिल किया है, और नतीजे काफी सकारात्मक रहे हैं।"
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कैसे काम करेगी सफेद लाइट
यह सफेद लाइट ऑटोनॉमस वाहनों के साथ वायरलेस तरीके से संवाद करेगी। जब किसी चौराहे पर एक निश्चित संख्या में सेल्फ-ड्राइविंग कारें पहुंचेंगी, तो यह लाइट एक्टिवेट हो जाएगी। इसका मतलब यह होगा कि आसपास मौजूद मानवीय ड्राइवर अपने आगे चल रही गाड़ी को फॉलो करें, क्योंकि उस समय सेल्फ-ड्राइविंग कारें अपने आप ट्रैफिक को मैनेज कर रही होंगी।
प्रोफेसर हजबाबाई ने बताया, "जितनी ज्यादा ऑटोनॉमस गाड़ियां सड़कों पर होंगी, उतना ही बेहतर और सुरक्षित ट्रैफिक फ्लो होगा। इससे यात्रा का समय घटेगा, फ्यूल एफिशिएंसी बढ़ेगी और सड़क सुरक्षा में सुधार होगा।"
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यह सफेद लाइट ऑटोनॉमस वाहनों के साथ वायरलेस तरीके से संवाद करेगी। जब किसी चौराहे पर एक निश्चित संख्या में सेल्फ-ड्राइविंग कारें पहुंचेंगी, तो यह लाइट एक्टिवेट हो जाएगी। इसका मतलब यह होगा कि आसपास मौजूद मानवीय ड्राइवर अपने आगे चल रही गाड़ी को फॉलो करें, क्योंकि उस समय सेल्फ-ड्राइविंग कारें अपने आप ट्रैफिक को मैनेज कर रही होंगी।
प्रोफेसर हजबाबाई ने बताया, "जितनी ज्यादा ऑटोनॉमस गाड़ियां सड़कों पर होंगी, उतना ही बेहतर और सुरक्षित ट्रैफिक फ्लो होगा। इससे यात्रा का समय घटेगा, फ्यूल एफिशिएंसी बढ़ेगी और सड़क सुरक्षा में सुधार होगा।"
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नए सिस्टम के फायदे
शोध से यह भी पता चला कि पैदल यात्रियों के बावजूद व्हाइट लाइट सिस्टम से ट्रैफिक की आवाजाही में सुधार देखने को मिला। अगर भविष्य में ज्यादातर गाड़ियां ऑटोनॉमस हो जाती हैं, तो चौराहों पर वेटिंग का समय 25 प्रतिशत से भी कम हो सकता है। भले ही सभी गाड़ियां सेल्फ-ड्राइविंग न हों, फिर भी इस सिस्टम से यात्रा समय और ट्रैफिक जाम दोनों में कमी आने की उम्मीद है।
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भविष्य में कब लागू होगा यह सिस्टम
अभी तक इस सिस्टम का कंप्यूटर सिमुलेशन में परीक्षण किया गया है। लेकिन अब स्थानीय प्रशासन पायलट प्रोजेक्ट्स पर विचार कर रहा है ताकि इसे वास्तविक सड़कों पर आजमाया जा सके।
प्रोफेसर हजबाबाई ने कहा, "हम एक फिजिकल टेस्टबेड तैयार कर रहे हैं जहां छोटे पैमाने पर इसका प्रयोग किया जाएगा। इससे हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि वास्तविक ट्रैफिक में इसे लागू करने में कौन-सी चुनौतियां आ सकती हैं।"
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अभी तक इस सिस्टम का कंप्यूटर सिमुलेशन में परीक्षण किया गया है। लेकिन अब स्थानीय प्रशासन पायलट प्रोजेक्ट्स पर विचार कर रहा है ताकि इसे वास्तविक सड़कों पर आजमाया जा सके।
प्रोफेसर हजबाबाई ने कहा, "हम एक फिजिकल टेस्टबेड तैयार कर रहे हैं जहां छोटे पैमाने पर इसका प्रयोग किया जाएगा। इससे हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि वास्तविक ट्रैफिक में इसे लागू करने में कौन-सी चुनौतियां आ सकती हैं।"
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
सवाल 1: व्हाइट ट्रैफिक लाइट क्या है?
यह एक प्रस्तावित चौथा ट्रैफिक सिग्नल है, जो ऑटोनॉमस व्हीकल्स के बीच तालमेल बनाने और ट्रैफिक फ्लो को बेहतर करने में मदद करेगा।
सवाल 2: इसे किसने प्रस्तावित किया है?
यह विचार नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं, खासकर प्रोफेसर अली हजबाबाई की टीम ने दिया है।
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सवाल 1: व्हाइट ट्रैफिक लाइट क्या है?
यह एक प्रस्तावित चौथा ट्रैफिक सिग्नल है, जो ऑटोनॉमस व्हीकल्स के बीच तालमेल बनाने और ट्रैफिक फ्लो को बेहतर करने में मदद करेगा।
सवाल 2: इसे किसने प्रस्तावित किया है?
यह विचार नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं, खासकर प्रोफेसर अली हजबाबाई की टीम ने दिया है।
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