Murder Case : 53 घंटे बाद पहुंची FSL टीम, फिल्म अभिनेत्री की हत्या में भी कुछ ऐसा ही देखा था भागलपुर ने
Murder Case : “दो नावों पर सवार थी मेरी जिंदगी, हमने अपनी नौका डुबोकर उसकी राह आसान कर दी।” व्हाट्सएप्प के इसी स्टेटस को देखकर पिछले साल की घटना में पुलिस ने FSL के दावे को गलत साबित किया था। आज वही टीम घटनास्थल पर आने में 53 घंटे लगा दिए।
विस्तार
घटना 27 अप्रैल 2024 की है, जब भागलपुर जिले के जोगसर थाना क्षेत्र अंतर्गत आदमपुर स्थित जहाजघाट के दिव्य धाम अपार्टमेंट से भोजपुरी अभिनेत्री अमृता पाण्डेय का शव बरामद किया गया था। उस समय परिजनों ने दावा किया था कि अमृता ने फंदे से झूलकर आत्महत्या कर ली। मौत के बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट में तब गले पर दबाव के गहरे निशान मिले थे, और परिजन आत्महत्या की कहानी बुन रहे थे। उस समय परिजनों ने दावा किया था कि अमृता ने फिल्मों में काम नहीं मिलने के कारण डिप्रेशन में थी और इसी वजह से उसने फंदे से झूलकर आत्महत्या कर ली। इधर पुलिस जांच पड़ताल क्र ही रही थी। इसी दौरान पुलिस को मृतका के मोबाइल का व्हाट्सअप स्टेटस (सुबह करीब 10.16 मिनट पर लगा हुआ) हाथ लगा, जिसे देखकर पुलिस ने अपनी जांच की दिशा ही बदल दी। व्हाट्सअप स्टेटस पर उसने लिखा था – “दो नावों पर सवार थी मेरी जिंदगी, हमने अपनी नौका डुबोकर उसकी राह आसान कर दी।” पुलिस ने फिर से अनुसंधान शुरू किया, जिसमें उसके पति, बहन व अन्य करीबी परिजन पुलिस की जांच के दायरे में आए थे। लेकिन आश्चर्य अब तक मामले का अनुसंधान पूरा नहीं हो पाया। हत्या किसने और क्यों की यह रहस्य अब तक रहस्य ही रह गया।
यह खबर भी पढ़ें-Year Ender 2025: 15 साल बाद 2025 में क्या हुआ कि 2026 में राहें जुदा होने का खतरा! राजद-कांग्रेस में आगे क्या?
पानी की टंकी में संदिग्ध हालत में मिला था शव
अमृता पाण्डेय हत्याकांड आज की मुख्य कहानी की पृष्ठभूमि है, जिसका वर्णन करना जरुरी था। यह कहानी भी उसी जोगसर थाना क्षेत्र से शुरू होती है, जिस थाना क्षेत्र के अंदर अमृता पाण्डेय हत्याकांड का मामला हुआ था। आज का ताजा मामला भी जोगसर थाना क्षेत्र अंतर्गत खरमन चक स्थित ढेवर गेट के समीप की है, जहां तीन मंजिल मकान के सबसे उपर बने पानी की टंकी से एक युवक की संदिग्ध अवस्था में लाश बरामद की गई। मृतक की पहचान स्वर्गीय अर्जुन प्रसाद दास के पुत्र नीरज उर्फ़ रॉकी (43) के रूप में की गई। मामला रविवार सुबह 7 बजे का है। दिन और समय बताना आवश्यक है क्यों कि इस कहानी में समय नायक की भूमिका में है, जबकि पुलिस का किरदार आपके लिए छोड़ दे रहा हूं। कहानी को आगे बढ़ाते हैं। लाश को सबसे पहले मृतक के केयर टेकर मनीष कुमार और मृतक के पटेदार मुन्ना ने देखा। लिहाजा उसने पुलिस को घटना की जानकारी दी। स्थानीय लोगों की माने तो पुलिस भी आराम से लगभग 8 बजे घटनास्थल पर पहुंची। फिर केयर टेकर मनीष यादव ने ही लाश ढोनेवाले 5 मजदूरों (डोम राजा) को बुलाया और फिर पुलिसबल के सामने उस लाश को टंकी से बाहर निकाला गया। पुलिस ने अपने दस्तावेज में लिखा है कि लाश 500 लीटर वाले टंकी में आधा शरीर यानी सिर से छाती तक पानी के अंदर था। लाश निकालने वाले का कहना है कि आधा शरीर टंकी के बाहर था और शव पेट के बल नहीं, बल्कि पीठ के बल था। घटनास्थल पर मौजूद स्थानीय लोग शव की स्थिति को देखते हुए इसे आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या होने की चर्चा कर रहे थे। हालांकि सच पुलिस के अनुसंधान का हिस्सा है। लिहाजा पुलिस शव को करीब 1 बजे पोस्टमोर्टम के लिए जवाहर लाल नेहरु मेडिकल कॉलेज भागलपुर ले गई और पोस्टमोर्टम कराकर 4 बजे पार्थिव देह को उनके परिजनों को सौंप दिया।
यह खबर भी पढ़ें-Bihar News: इन दो चीनी मिलों को जल्द शुरू करने की तैयारी में नीतीश सरकार, मंत्री बोले- मास्टर प्लान तैयार है
मानवता भी हुई थी शर्मसार
परिजन पार्थिव देह लेकर घर पहुंचे, लेकिन मानवता को यहां भी शर्मसार होना अभी बाकी था। घर के दरवाजे तक शव को ले जाना जरुरी था, लेकिन सबसे पहली अड़चन उसके घर के पहले कुछ वैसे घर थे, जिसे लोग इज्जत से अल्पसंख्यक समुदाय कहते हैं। अब उनका भी किरदार समझना इस समाज को जरुरी है, जिसने संकीर्ण गली होने की वजह से पार्थिव शरीर को वहां रखने से मनाही कर दी। खैर, एक अभी और बड़ी ठोकर लगनी बाकी थी उस मां के द्वारा जिस मां के लिए नीरज उर्फ़ रॉकी ने अपने 43 सावन को मां की सेवा में अविवाहित रहकर अर्पण कर दिया था। उस मां ने भी अपने घर के पास उस पार्थिव देह को रखने से मना कर दिया। लेकिन उसी भीड़ में एक और किरदार था राजेश नंदन, जिसका नाम था, उसकी संवेदना जगी और उसने अपने घर के सामने उस पार्थिव देह को रखने की जगह दी। एक दो घंटे नहीं बल्कि 52 घंटों में 43 घंटे तक। उस पार्थिव देह को अपने छोटे भाई के विदेश से आने का इंतजार था।
यह खबर भी पढ़ें-Bihar News: अब पटनावासियों को जल्द मिलेगी जाम से राहत, नीतीश सरकार इन सड़कों पर तेजी से कर रही काम
5 किलोमीटर की दूरी तय करने में लगे 53 घंटे
मौत के 52 घंटों के बाद मंगलवार करीब 11 बजे दिन में परिजन उस पार्थिव देह को अंतिम संस्कार के लिए बरारी स्थित गंगा घाट गए। उधर श्मशान घाट पर छोटा भाई पंकज कुमार दास अपने बड़े भाई को भारी मन से मुखाग्नि दे रहा था और इधर 53 वें घंटे में अब जोगसर पुलिस की टीम के साथ एफएसएल टीम की इंट्री घटनास्थल पर हुई। इस संबंध में 'अमर उजाला' से बातचीत के दौरान बुधवार को जोगसर थानाध्यक्ष मंटू कुमार ने बताया कि "एफएसएल टीम की जांच में फिलहाल कुछ भी स्पष्ट नहीं हुआ है। एफएसएल टीम ने वेसरा भेजने का निर्देश दिया है।" स्थानीय लोग यह चर्चा करने लगे कि एफएसएल टीम को राजधानी पटना या मुंगेर से नहीं आना था, बल्कि टीम को घटनास्थल से महज 5 किलोमीटर की परिधि से ही तो आना था, यानी नाथनगर स्थित सीटीएस से ही आना था, फिर भी उन्हें आने में 53 घंटे क्यों लग गए? चर्चा इस बात की भी हो रही थी कि स्वान दस्ता को क्यों नहीं बुलाया गया? चर्चा यह भी कि अगर समय रहते घटनास्थल पर एफएसएल टीम और स्वान दस्ता एक साथ सूक्ष्म जांच की होती तो हत्या और आत्महत्या की अनसुलझी गुत्थी अब तक सुलझ गई होती, लेकिन समय का इंतजार शायद अब भी बाकी है। चर्चा तो यह भी है कि क्या नीरज की मौत की गुत्थी सुलझेगी या फिर भोजपुरी अभिनेत्री अमृता पाण्डेय हत्या कांड की तरह यह मामला भी मैराथन जांच में ही पड़ा रहेगा? समय के साथ सवाल भी यही है।
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.