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Bihar Election : सरकार ने जिसे नौकरी से निकाला, उसने जदयू से छीन ली MLC सीट; जानिए कौन हैं वंशीधर बृजवासी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुजफ्फरपुर Published by: आदित्य आनंद Updated Tue, 10 Dec 2024 06:24 PM IST
सार

Graduate MLC Result : शिक्षा विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने जिस शख्स से शिक्षक की नौकरी छीन ली थी, वह अब सदन में 'माननीय' बन गए हैं। इस शख्स ने सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जदयू की स्नातक सीट पर जीत हासिल कर ली है।

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Bihar News : KK Pathak removed Vanshidhar brijwasi teacher leader now tirhut graduate mlc election result
जीत करने करने के बाद समर्थकों के साथ वंशीधर बृजवासी। - फोटो : अमर उजाला
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तिरहुत स्नातक उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी और शिक्षक नेता वंशीधर बृजवासी की जीत हुई है। वह करीब 10 हजार वोटों के अंतर से जीत गए। उन्होंने लालू प्रसाद, नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर की पार्टी के प्रत्याशियों को पीछे छोड़ते हुए जीत दर्ज की। यह सीट उपचुनाव से पहले जदयू के खाते में थी। पिछले चुनाव में इस सीट से जदयू के वरीय नेता देवेश चंद्र ठाकुर जीते थे। वह लोकसभा चले गए तो यह सीट खाली हुई। इसके बाद इस चुनाव में जदयू ने अभिषेक झा को टिकट दिया। लेकिन, अभिषेक चौथे स्थान पर रहे। वहीं राजद प्रत्याशी तीसरे और जनसुराज के प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे।

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Bihar News : KK Pathak removed Vanshidhar brijwasi teacher leader now tirhut graduate mlc election result
जीत के बाद परिवार और समर्थकों के साथ खुशी जाहिर करते वंशीधर बृजवासी - फोटो : अमर उजाला डिजिटल

वंशीधर तिरहुत स्नातक क्षेत्र के बने नए एमएलसी
वंशीधर तिरहुत स्नातक क्षेत्र के नए एमएलसी बन गये हैं। उन्होंने दूसरी काउंटिंग में भी अपनी बढत में वरीयता बनाई रखी थी। वंशीधर ब्रजवाशी10915 वोटों से विजयी हुए। तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से विजयी बने निर्दलीय उम्मीदवार वंशीधर ब्रजवासी जन सुराज के उम्मीदवार डा. विनायक गौतम को 10917 वोटों से हराया। 22 वर्षों के बाद से तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से यह नया चेहरा है जो एमएलसी बना है। वही राजद उम्मीदवार तीसरे और जदयू चौथे नंबर पर रहे। सोमवार को शुरू हुई वोटों की गिनती कुछ देर पहले खत्म हुई। अंतिम राउंड में जन सुराज के उम्मीदवार डा. विनायक गौतम एलिमिनेट हुए। वंशीधर ब्रजवासी को 27774 वोट मिले, जबकि डा. गौतम को 16829 वोट मिले।

इस वजह से लड़े थे चुनाव 
वंशीधर बृजवासी ने नामांकन के दौरान में कहा था कि अगर शिक्षको के आवाज उठाने पर सरकार ने मुझे बर्खास्त नहीं किया होता? तो मैं यहां कभी चुनाव लड़ता ही नहीं। शिक्षकों की आवाज को दबाने का किया गया था प्रयास।जिसके बाद मैने खुद चुनाव लड़ने का मन बनाया और यही वजह है कि मैं निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में आ गया हूं।और मेरा विश्वास है कि मैं अपनी जीत सुनिश्चित करेंगे। यही नहीं मेरे साथ में हजारों हजार की संख्या में शिक्षकों का साथ है और यही मेरी जीत को दर्ज कराएंगे।

जानिए, कौन हैं निर्दलीय प्रत्याशी वंशीधर बृजवासी
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के मड़वन प्रखंड क्षेत्र के राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय रक्सा पूर्वी में वो प्रखंड शिक्षक थे। बृजवासी 2005 में नौकरी में आए थे। इनकी पढ़ाई लिखाई की बात करें तो इन्होंने एमए और बीएड की डिग्री की है। बंशीधर ब्रजवासी के पिता स्व नंदकिशोर सहनी भी एक शिक्षक थे। बंशीधर ब्रजवासी बिहार सूबे में शिक्षकों के बड़े नेता माने जाते हैं और बिहार में शिक्षकों के कई आंदोलन का नेतृत्व भी किया है।

केके पाठक का खुला विरोध किया, शिक्षकों के मुद्दों को उठाते रहे
निर्दलीय प्रत्याशी वंशीधर बृजवासी को शिक्षा के क्षेत्र में लगातार बेहतरी लेकर आवाज उठाते रहे हैं। शिक्षकों के मुद्दों को लगातार उठाते रहे हैं। शिक्षा विभाग में अराजकता और घोर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर नीतीश सरकार पर लगातार हमलावर रहते हैं। वंशीधर बृजवासी चर्चा में तब आए थे जब इन्होंने तत्कालीन अपर मुख्य सचिव केके पाठक का खुला विरोध कर दिया था। बात इतनी बढ़ गई कि बृजवासी को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। बिहार सरकार ने इसी वर्ष जुलाई में उनको सरकार के आदेश पर बर्खास्त कर दिया गया था  बर्खास्त होने के बाद भी बंशीधर ब्रजवासी शिक्षकों के मुद्दों को लगातार उठाते रहे।

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