Uranium in Breast Milk : मां के दूध में यूरेनियम; अमृत में जहर ढूंढने वाले डॉक्टरों की टीम ने क्या-क्या बताया?
पटना के महावीर कैंसर संस्थान की स्टडी में 40 दूध पिलाने वाली महिलाओं के ब्रेस्ट मिल्क में यूरेनियम की मौजूदगी पाई गई है। शोध के अनुसार सभी सैंपल यूरेनियम से कंटैमिनेटेड थे, जिनमें से 70% बच्चों पर नॉन-कार्सिनोजेनिक स्वास्थ्य असर का जोखिम देखा गया है।
विस्तार
पटना के महावीर कैंसर संस्थान ने मां के दूध में यूरेनियम की मात्रा होने की बात बताई है। महावीर कैंसर संस्थान के शोध विभाग ने इस मामले को उजागर किया है। महावीर कैंसर संस्थान के रिसर्च विभाग के प्रभारी डॉ. अशोक कुमार घोष ने बताया कि ग्राउंडवॉटर यूरेनियम कंटैमिनेशन भारत में एक बड़ी चिंता का विषय है, जो बिहार सहित 18 राज्यों के 151 जिलों को प्रभावित करता है। कई स्टडीज़ में बिहार के कुछ जिलों में ग्राउंडवॉटर में यूरेनियम की मौजूदगी की रिपोर्ट मिली है।
बिहार राज्य के गोपालगंज, सारण, सीवान, पूर्वी चंपारण, पटना, वैशाली, नवादा, नालंदा, सुपौल, कटिहार, भागलपुर जैसे 11 जिलों में यूरेनियम पॉइज़निंग की रिपोर्ट मिली है। यह स्टडी बिहार के भोजपुर, बेगूसराय, खगड़िया, कटिहार और नालंदा जैसे पहले यूरेनियम रिपोर्ट किए गए जिलों में की गई थी। यह स्टडी अक्टूबर 2021 से जुलाई 2024 के बीच की गई।
ब्रेस्ट मिल्क सैंपल का एनालिसिस किया गया
उन्होंने बताया कि इसके लिए 17 से 35 साल की 40 दूध पिलाने वाली महिलाओं के ब्रेस्ट मिल्क सैंपल का एनालिसिस किया गया। ब्रेस्ट मिल्क सैंपल में माताओं के यूरेनियम (U238) की मात्रा को USA के एजिलेंट 7850 LC-ICP-MS इंस्ट्रूमेंट का इस्तेमाल करके मापा गया था। यूरेनियम एनालिसिस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (NIPER)-हाजीपुर, वैशाली, बिहार में किया गया था।
कोई तय लिमिट या बेंचमार्क नहीं है
ब्रेस्ट मिल्क यूरेनियम कंसंट्रेशन नतीजों में सभी 40 ब्रेस्ट मिल्क सैंपल में 0 और 6 माइक्रोग्राम प्रति लीटर के बीच यूरेनियम का ज़रूरी कंसंट्रेशन था। ब्रेस्ट मिल्क यूरेनियम कंसंट्रेशन के लिए कोई तय लिमिट या बेंचमार्क नहीं है। ब्रेस्ट मिल्क सैंपल में देखा गया ज़्यादा से ज़्यादा यूरेनियम कंसंट्रेशन 5.25 माइक्रोग्राम प्रति लीटर था।
सबसे ज़्यादा यूरेनियम एक्सपोज़्ड जिला कटिहार है, जहाँ यूरेनियम कंसंट्रेशन 5.25 ug/L है।
शोध कार्य में ये थे शामिल
नतीजों से पता चलता है कि स्टडी किए गए 70% बच्चों में नॉन-कार्सिनोजेनिक हेल्थ इफेक्ट पैदा करने की क्षमता है। एक्सपोज़्ड सब्जेक्ट्स में कोई कार्सिनोजेनिक रिस्क नहीं देखा गया। डॉक्टर घोष ने बताया कि शोध कार्य में तीन महिला और आठ पुरुष सदस्यों को लगाया गया था, जिसमें डॉक्टर अरुण कुमार, डॉक्टर अभिनव, डॉ. राधिका कुमारी, रिसर्च विभाग की मेघा कुमारी, मुकेश कुमार, शिवम कुमार, कन्हैया कुमार शामिल हैं।
सैंपल में ब्रेस्ट मिल्क के सैंपल में U238 का खतरनाक लेवल था
बताया गया है कि 100% दूध पिलाने वाली माताओं का ब्रेस्ट मिल्क यूरेनियम से बहुत ज़्यादा कंटैमिनेटेड था। इस स्टडी में, 70% बच्चों में यूरेनियम कंटैमिनेशन से नॉन-कार्सिनोजेनिक हेल्थ इफेक्ट पैदा करने की क्षमता थी। ब्रेस्ट मिल्क में U238 कंसंट्रेशन की सबसे कम मीन वैल्यू नालंदा ज़िले में 2.35 ug/L देखी गई, जबकि सबसे ज़्यादा मीन वैल्यू खगड़िया ज़िले में 4.035 ug/L देखी गई। कटिहार ज़िले में 5.25 ug/L देखा गया। स्टडी से पता चलता है कि कटिहार ज़िले के सैंपल में ब्रेस्ट मिल्क के सैंपल में U238 का खतरनाक लेवल था।
ये भी पढ़ें- Bihar News: अतिक्रमण पर प्रशासन की कार्रवाई, विरोध में उतरे CPI कार्यकर्ताओं ने डीएम कार्यालय का किया घेराव
'महिलाओं को घबराने की जरूरत नहीं'
"स्टडी किए गए जिलों में U238 कंटैमिनेशन का सोर्स पीने के पानी का सोर्स या उसी जगह पर उगाया जाने वाला खाना हो सकता है।" महावीर कैंसर संस्थान की मेडिकल निदेशक डॉ. मनीष सिंह ने बताया कि इसके लिए महिलाओं को घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने बताया कि महावीर कैंसर संस्थान की तरफ से बच्चों में होने वाले कैंसर के इलाज के लिए अलग से ही एक फ्लोर बनाया गया है।
इस मौके पर संस्थान के प्रमुख डॉक्टर एल. बी. सिंह ने बताया कि महावीर कैंसर संस्थान की तरफ से लगातार कैंसर से संबंधित मामलों में जांच की जाती रही है।