इंसानियत शर्मशार: प्रसव के दौरान नवजात की मौत, पैसे के लिए मां को बनाया था बंधक; इन पर हत्या का केस दर्ज
बिहार के छपरा में प्रसव के दौरान लापरवाही से नवजात की मौत के बाद मामला तूल पकड़ गया। निजी नर्सिंग होम पर गंभीर आरोप लगे और पुलिस ने चिकित्सक, आशा कार्यकर्ता व कर्मियों के खिलाफ हत्या की FIR दर्ज कर ली है। मामला पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है।
विस्तार
बिहार के छपरा में 'नीम हकीम खतरे जान' कहावत एक बार फिर चरितार्थ हुई है। सारण जिले में फर्जी निजी नर्सिंग होम संचालक गरीब और मजदूर वर्ग की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। बिना चिकित्सक के ऑपरेशन और प्रसव कराने का खेल लगातार जारी है, जबकि शिकायतों के बावजूद कार्रवाई सिर्फ खानापूर्ति बनकर रह गई है।
इसी क्रम में छपरा शहर के भगवान बाजार थाना क्षेत्र स्थित शिव बाजार (प्रगति नगर) स्थित एक निजी नर्सिंग होम से मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। प्रसव के दौरान लापरवाही के कारण नवजात शिशु की मौत हो गई। इसके बाद मामले को दबाने की कोशिश भी की गई, लेकिन परिजनों के विरोध के बाद नवजात का पोस्टमार्टम सदर अस्पताल में कराया गया। मृत बच्चे की पहचान रेरिया गांव निवासी संतोष कुमार दास के पुत्र के रूप में हुई है।
आशा कार्यकर्ता ने निजी नर्सिंग होम पहुंचाया
मृतक के पिता संतोष कुमार दास ने बताया कि वे अपनी पत्नी पुष्पा देवी को प्रसव के लिए सदर अस्पताल ले जा रहे थे। इसी दौरान बेलवनिया गांव की आशा कार्यकर्ता मीरा देवी साथ हो गईं और उन्हें जबरन ओम साईं हॉस्पिटल ले गईं। वहां मौजूद चिकित्सक डॉ. कमलेश पाण्डेय ने सिजेरियन ऑपरेशन के लिए 60 हजार रुपये मांगे, जिसमें 25 हजार रुपये जमा भी करवा लिए गए।
परिजनों का आरोप है कि प्रसव के दौरान चिकित्सक और कर्मियों की लापरवाही के कारण नवजात को जबरन खींचा गया, जिससे उसके सिर से तेज रक्तस्राव हुआ और उसकी मौत हो गई। बताया गया कि सिर फटने से खून बहता रहा, लेकिन समय पर कोई मदद नहीं दी गई।
पैसे के लिए मां को बनाया गया बंधक
नवजात की मौत के बाद मृतक के पिता ने पुलिस को सूचना दी कि नर्सिंग होम संचालक ने पैसे के लिए उनकी पत्नी को बंधक बना लिया है। सूचना पर पहुंची पुलिस ने पहले मामले को आपसी रजामंदी से सुलझाने की कोशिश की, लेकिन परिजनों के विरोध के बाद हत्या की प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की गई।
पुलिस ने नवजात के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराया।
इधर, नर्सिंग होम संचालक डॉ. कमलेश पाण्डेय ने दावा किया कि गर्भवती का हीमोग्लोबिन सिर्फ 6 ग्राम था, जिसके कारण बच्चा मृत पैदा हुआ। उन्होंने शव को कार्टन में रखकर छत पर रखा था।
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हत्या का मामला दर्ज, परिजन न्याय की गुहार में
मृतक पिता द्वारा दिए गए फर्द बयान के आधार पर भगवान बाजार थाने में ओम साईं हॉस्पिटल, कथित चिकित्सक डॉ. कमलेश पाण्डेय, आशा कार्यकर्ता मीरा देवी और अस्पताल के दो कर्मियों पर लापरवाही व मिलीभगत से नवजात की हत्या का मामला दर्ज किया गया है। परिजनों का आरोप है कि पैसे के लिए महिला को बंधक बनाया गया और पूरे मामले पर पर्दा डालने की कोशिश की गई।
अब सवाल यह है कि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग कब तक इस मामले में ठोस कार्रवाई करेगा और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाएगा।