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Bihar: यूरिया की पर्याप्त उपलब्धता का दावा, लेकिन यहां किल्लत से जूझ रहे किसान; कालाबाजारी की बात आई सामने

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, समस्तीपुर Published by: तरुणेंद्र चतुर्वेदी Updated Mon, 15 Dec 2025 01:30 PM IST
सार

समस्तीपुर के रोसड़ा प्रखंड में रबी सीजन के दौरान यूरिया की किल्लत से किसान परेशान हैं। किसानों का आरोप है कि खाद विक्रेता बनावटी कमी दिखाकर निर्धारित दर से दोगुनी कीमत वसूल रहे हैं।

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Farmers in Samastipur are troubled by the shortage of urea fertilizer; questions raised on the government's cl
खाद संकट का मामला उजागर। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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समस्तीपुर जिले के रोसड़ा प्रखंड में कृषि विभाग की सख्ती और जीरो टॉलरेंस नीति के दावों के बावजूद किसानों को समय पर यूरिया नहीं मिल पा रहा है। विभाग जहां सरकारी लाइसेंसी प्रतिष्ठानों में यूरिया की पर्याप्त उपलब्धता का दावा कर रहा है, वहीं जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट नजर आ रही है। किसानों का आरोप है कि खाद विक्रेता बनावटी किल्लत दिखाकर मनमाने दाम वसूल रहे हैं।

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इन दिनों रबी सीजन के दौरान मक्का और गेहूं की दूसरी सिंचाई का कार्य चल रहा है। पटवन के तुरंत बाद खेतों में यूरिया का छिड़काव आवश्यक होता है। वहीं आलू की फसल में भी इस समय यूरिया की भारी मांग है। ऐसे में खाद की कमी से किसानों की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है।

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किसानों का कहना है कि बाजार में यूरिया की खुलेआम कालाबाजारी हो रही है। जहां सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य 266 रुपये प्रति बैग है, वहीं कालाबाजारी में यही यूरिया 500 से 600 रुपये प्रति बैग तक बेचा जा रहा है। प्रखंड क्षेत्र में आधा दर्जन से अधिक लाइसेंसी खाद विक्रेता मौजूद हैं, लेकिन अधिकतर दुकानदार यूरिया की किल्लत का बहाना बनाकर किसानों को लौटा दे रहे हैं।


'किसानों पर दोहरा आर्थिक बोझ पड़ रहा'
किसानों का आरोप है कि यदि कोई किसान अधिक कीमत देने को तैयार हो जाए, तो उसे तुरंत यूरिया उपलब्ध करा दिया जाता है। इतना ही नहीं, कई दुकानदार यूरिया के साथ जाइम कैल्शियम जैसी अन्य वस्तुएं खरीदने के लिए भी किसानों को मजबूर कर रहे हैं, जिससे उन पर दोहरा आर्थिक बोझ पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि यह सीधी लूट है और उनका खुलेआम शोषण किया जा रहा है।

'अधिक कीमत चुकाकर खाद खरीदनी पड़ रही'
रोसड़ा प्रखंड के चांदचौर निवासी किसान रामप्रकाश महतो, अनिल महतो, भिरहा पूरब के शाहपुर निवासी मणिकांत यादव, मिर्जापुर के रामबदन यादव, सहियारडीह के सुरेंद्र कुंवर और ढरहा के कलानाथ राय सहित अन्य किसानों ने बताया कि गेहूं और मक्का की सिंचाई जारी है, लेकिन पटवन के बाद यूरिया नहीं मिलने से फसलों पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका है। मजबूरी में किसानों को अधिक कीमत चुकाकर खाद खरीदनी पड़ रही है।

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'डीएपी 1600 से 1700 रुपये प्रति बैग की दर से बिक रहा'
कृषि विभाग के अनुसार, यूरिया का निर्धारित मूल्य 266 रुपये प्रति बैग और डीएपी का 1350 रुपये प्रति बोरा है, जबकि बाजार में यूरिया 500 से 600 रुपये और डीएपी 1600 से 1700 रुपये प्रति बैग की दर से बिक रहा है। किसानों का आरोप है कि खाद विक्रेता जानबूझकर किल्लत दिखाकर मनमानी कीमत वसूल रहे हैं, लेकिन संबंधित अधिकारी इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

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