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Bihar News: चुनावी साल में भी नहीं मिला मानदेय, बिहार की 54 महिलाएं आर्थिक तंगी में; क्या है असली वजह

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, औरंगाबाद Published by: शबाहत हुसैन Updated Fri, 12 Sep 2025 07:06 PM IST
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सार

Bihar News: सामाजिक अंकेषण कार्यकर्ता ने बताया कि घर-घर जाकर कार्य करने के दौरान उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कई बार काम के बाद घर न पहुँच पाने के कारण उन्हें किसी पंचायत भवन या किसी अन्य घर में रात गुजारनी पड़ती है।

Bihar: Workers associated with CM dream project Jeevika are wandering from door to door for payment
महिलाएं - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट जीविका से जुड़ी औरंगाबाद की 54 महिला सामाजिक अंकेषण कार्यकर्ता पिछले तीन साल से अपने बकाया मानदेय के लिए दर-दर भटक रही हैं। यह स्थिति ऐसे समय में सामने आई है जब बिहार विधानसभा के चुनावी साल में मानदेय में वृद्धि की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन अब तक न केवल मानदेय में वृद्धि नहीं हुई, बल्कि पिछला बकाया भी उन्हें नहीं मिला है।

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महिला सामाजिक अंकेषण कार्यकर्ताओं ने बताया कि वर्ष 2018-19 में बिहार सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के तहत पंचायत स्तर पर सरकारी योजनाओं के सामाजिक अंकेषण के लिए उनका चयन लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के माध्यम से किया गया था। चयनित होने के बाद उन्हें प्रशिक्षण भी दिया गया। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद ये महिलाएं मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, नल जल योजना, लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान, जन वितरण प्रणाली, समाज कल्याण विभाग की योजनाओं समेत अन्य योजनाओं का पंचायत स्तर पर लाभुकों के घर-घर जाकर सत्यापन और सामाजिक अंकेषण का कार्य कर रही हैं।

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सामाजिक अंकेषण कार्यकर्ता ने बताया कि घर-घर जाकर कार्य करने के दौरान उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कई बार काम के बाद घर न पहुँच पाने के कारण उन्हें किसी पंचायत भवन या किसी अन्य घर में रात गुजारनी पड़ती है। इसके बावजूद तीन साल से बकाया मानदेय न मिलने के कारण आर्थिक कठिनाइयाँ झेलनी पड़ रही हैं।

मानदेय की जानकारी
महिलाओं ने बताया कि पहले जीविका की सीएम, लेखापाल या एकाउंटेंट जैसे पदों पर कार्य करने के लिए उन्हें चार से पांच हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलता था। सामाजिक अंकेषण कार्यकर्ता के रूप में चयन के समय उन्हें बताया गया था कि प्रत्येक माह 24 दिन सामाजिक अंकेषण का कार्य मिलेगा और इसके लिए प्रतिदिन 600 रुपये दिए जाएंगे। लेकिन अब पिछले तीन वर्षों से उनका बकाया मानदेय लंबित है।


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बकाया भुगतान के लिए कदम
सामाजिक अंकेषण कार्यकर्ता संघ, औरंगाबाद की अध्यक्ष कलावती देवी और अन्य सदस्य बबीता देवी, रिंकी कुमारी, कुसुम देवी, प्रियंका कुमारी, सुमांती कुमारी, सोनी कुमारी एवं अनीता कुमारी ने मुख्यमंत्री, ग्रामीण विकास मंत्री, जीविका के निदेशक और राज्य परियोजना प्रबंधक को पत्र भेजकर बकाया भुगतान की मांग की है। पत्र में कार्यकर्ताओं ने मासिक मानदेय बढ़ाने, यात्रा भत्ता देने, जीवन बीमा, विभागीय पहचान पत्र और नियुक्ति पत्र प्रदान करने, आकस्मिक निधन पर मुआवजा, मोबाइल/टैबलेट उपलब्ध कराने, संस्थागत शुल्क की कटौती बंद करने और संविदा कर्मी के रूप में सभी सुविधाएं देने की मांग की है।

राज्य साधनसेवी का बयान
सामाजिक अंकेषण कार्यकर्ताओं के बकाया भुगतान के बारे में पूछे जाने पर राज्य साधनसेवी ददन पासवान ने बताया कि यह बकाया केवल मनरेगा कार्य के लिए है और यह सिर्फ औरंगाबाद का नहीं, बल्कि पूरे राज्य का है। ग्रामीण विकास विभाग से राशि की मांग की गई है और रिमाइंडर भी भेजा गया है। पैसे मिलते ही सभी को बकाया भुगतान कर दिया जाएगा। अन्य योजनाओं के बकाया का भुगतान भी शीघ्र किया जाएगा।

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