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Bihar: मगध विश्वविद्यालय परीक्षा विभाग में 5.25 लाख की फर्जी निकासी, थाने में एफआईआर दर्ज; जांच पड़ताल शुरू
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बोधगया
Published by: तरुणेंद्र चतुर्वेदी
Updated Sun, 21 Dec 2025 10:12 AM IST
सार
बोधगया: मगध विश्वविद्यालय फिर वित्तीय अनियमितता के आरोपों में घिर गया है। परीक्षा विभाग से हुई 5.25 लाख रुपये की फर्जी निकासी के मामले में विश्वविद्यालय ने थाने में एफआईआर दर्ज कराई है और पुलिस जांच में जुटी है।
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वित्तीय अनियमितताओं को लेकर सुर्खियों में मगध विश्वविद्यालय।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
बिहार के बोधगया स्थित मगध विश्वविद्यालय एक बार फिर वित्तीय अनियमितताओं को लेकर सुर्खियों में है। परीक्षा विभाग से सात चेकों के माध्यम से कुल 5 लाख 25 हजार रुपये की फर्जी निकासी का गंभीर मामला सामने आया है। आरोप है कि यह राशि पूर्व कुलसचिव (रजिस्ट्रार) और वित्त पदाधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर कर निकाली गई।
बैंककर्मियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में
मामले का खुलासा होने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने मगध विश्वविद्यालय थाना में एफआईआर दर्ज कराई है। प्रारंभिक जांच में बैंककर्मियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ गई है। बताया जा रहा है कि चेकों पर किए गए हस्ताक्षरों की विधिवत जांच किए बिना ही भुगतान कर दिया गया, जिससे यह फर्जीवाड़ा संभव हो सका। सूत्रों के अनुसार, चेकों पर तत्कालीन कुलसचिव के फर्जी हस्ताक्षर किए गए थे। वहीं, यह सवाल भी उठ रहा है कि वित्त पदाधिकारी के हस्ताक्षरों का सत्यापन क्यों नहीं किया गया, जबकि निकासी उनके नाम से दर्शाई गई है।
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'इस प्रकरण में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा'
इसके अलावा, पूर्व एमबीए निदेशक के नाम पर भी राशि निकासी की बात सामने आने से मामले की गंभीरता और बढ़ गई है। जांच के दायरे में विश्वविद्यालय के दो कर्मचारियों पर भी संदेह जताया जा रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि इस प्रकरण में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। मामले की आंतरिक जांच के साथ-साथ पुलिस जांच भी कराई जा रही है। पुलिस बैंक रिकॉर्ड, चेक विवरण और हस्ताक्षर सत्यापन के आधार पर आगे की कार्रवाई कर रही है। फिलहाल पूरे मामले की जांच जारी है।
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बैंककर्मियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में
मामले का खुलासा होने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने मगध विश्वविद्यालय थाना में एफआईआर दर्ज कराई है। प्रारंभिक जांच में बैंककर्मियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ गई है। बताया जा रहा है कि चेकों पर किए गए हस्ताक्षरों की विधिवत जांच किए बिना ही भुगतान कर दिया गया, जिससे यह फर्जीवाड़ा संभव हो सका। सूत्रों के अनुसार, चेकों पर तत्कालीन कुलसचिव के फर्जी हस्ताक्षर किए गए थे। वहीं, यह सवाल भी उठ रहा है कि वित्त पदाधिकारी के हस्ताक्षरों का सत्यापन क्यों नहीं किया गया, जबकि निकासी उनके नाम से दर्शाई गई है।
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'इस प्रकरण में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा'
इसके अलावा, पूर्व एमबीए निदेशक के नाम पर भी राशि निकासी की बात सामने आने से मामले की गंभीरता और बढ़ गई है। जांच के दायरे में विश्वविद्यालय के दो कर्मचारियों पर भी संदेह जताया जा रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि इस प्रकरण में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। मामले की आंतरिक जांच के साथ-साथ पुलिस जांच भी कराई जा रही है। पुलिस बैंक रिकॉर्ड, चेक विवरण और हस्ताक्षर सत्यापन के आधार पर आगे की कार्रवाई कर रही है। फिलहाल पूरे मामले की जांच जारी है।