Prem Kumar : बिहार विधानसभा अध्यक्ष डॉ. प्रेम कुमार किस वर्ग से हैं, परिवार में कौन, घर कहां है, हराया किसे?
Prem Kumar MLA Gaya Town : बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद ही यह बात तय थी कि अंतिम पारी खेलने वाले किसी पुराने राजनेता को इस बार अध्यक्ष बनाया जाएगा। मंत्रिपरिषद् के शपथ ग्रहण के साथ ही डॉ. प्रेम कुमार का नाम तय हो गया।
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भारतीय जनता पार्टी के सबसे अनुभवी विधायकों की श्रेणी में रहे डॉ. प्रेम कुमार को बिहार विधानसभा का अध्यक्ष बनाया गया है। वह गया टाउन, यानी गयाजी शहरी क्षेत्र के मतदाताओं के प्रतिनिधि चुनकर 9वीं बार भी विधानसभा पहुंचे हैं। 202 सीटों की बड़ी जीत के साथ ही उनका नाम चल निकला था। इंतजार हो रहा था कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लें और मंत्रिपरिषद् के बाकी सदस्यों का भी शपथ ग्रहण हो जाए। यह हुआ और तय हो गया कि डॉ. प्रेम कुमार के सामने इस कुर्सी के लिए किसी की ओर से कोई विकल्प नहीं है। डॉ. प्रेम कुमार ही होंगे। सोमवार को वही हुआ। नामांकन भरा और इकलौता। 35 विधायकों वाला महागठबंधन सामने किसी को इस पद के लिए खड़ा करने तक की हिम्मत नहीं जुटा सका। यानी, निर्विरोध चयन की घोषणा ही बाकी है।
कहां रहते हैं, किस जाति के हैं, परिवार में कौन-कौन है?
गयाजी शहर के अंदर गया इलाके की नई सड़क पर आवास है। कहार जाति से हैं, जो चंद्रवंशी समुदाय से है। परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटा-बेटी हैं। दोनों शादीशुदा हैं। बेटे भारतीय जनता युवा मोर्चा के पदाधिकारी हैं। आम तौर पर सहज उपलब्ध रहना डॉ. प्रेम कुमार की खूबी है, जिसके कारण वह लगातार 35 साल से चुनाव जीत रहे हैं। कांग्रेस की सीट रही गया टाउन में डॉ. प्रेम कुमार ने 1990 में पहली बार ताल ठोकी तो शुरू से अब तक कभी नहीं हारे।
सामने प्रत्याशी बदल, दल बदले... प्रेम कुमार झंडा थामे रहे
1980-85 तक बाकी जगहों की तरह गया टाउन विधानसभा सीट भी कांग्रेस के वर्चस्व वाली रही थी। 1990 में इस वर्चस्व को डॉ. प्रेम कुमार ने तोड़ा। यह वह दौर था, जब भारतीय जनता पार्टी बिहार में अस्तिस्त बनाने की कोशिश कर रही थी। तब गया टाउन क्षेत्र एक बार भाजपा का हुआ तो डॉ. प्रेम कुमार और उनकी पार्टी एक-दूसरे का पर्याय ही बन गई। कभी न तो पार्टी ने वहां प्रत्याशी बदला और न जनता ने अपना विधायक। सामने पहले सीपीआई के शकील अहमद खान, फिर मसूद मंजर रहे। जब यह लोग हर दांव खेलकर लौट गए, तो कांग्रेस ने संजय सहाय को उतारा। उनकी और बड़ी हार हुई। फिर यहां सीपीआई ने दम दिखाया, लेकिन 28417 मतों से करारी हार मिली। आगे, यानी 2015 से लगातार कांग्रेस इसपर ्रप्रत्याशी दे रही है, लेकिन डॉ. प्रेम कुमार को सिर्फ जीत के अंतर का प्रभाव दिखता है, बाकी अविजीत हैं।