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Bihar: साहब पहले हमें बसा दो! चंदवारा घाट पुल का निर्माण तेज, सैकड़ों परिवारों ने पुनर्वास की उठाई मांग
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुजफ्फरपुर
Published by: आशुतोष प्रताप सिंह
Updated Wed, 17 Dec 2025 11:53 AM IST
सार
मुजफ्फरपुर जिले में बहुचर्चित चंदवारा घाट पुल के एप्रोच पथ फेज-1 और फेज-2 का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। यह परियोजना पूरी होने के बाद शहर में ट्रैफिक का दबाव काफी हद तक कम हो जाएगा।
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सैकड़ों परिवारों ने पुनर्वास की उठाई मांग
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
मुजफ्फरपुर जिले के बहुचर्चित चंदवारा घाट पुल के एप्रोच पथ फेज-1 और फेज-2 का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इस पुल और मार्ग के बन जाने से शहर में ट्रैफिक का दबाव काफी हद तक कम हो जाएगा। प्रशासन ने इस परियोजना को पूरा करने के लिए मई और जून 2026 तक की डेडलाइन तय की है।
इधर, निर्माण कार्य के चलते चंदवारा घाट बांध के किनारे रह रहे सैकड़ों परिवारों ने नाराजगी जताई है। इन परिवारों का कहना है कि वे पिछले करीब 40 वर्षों से यहां रह रहे हैं और अब उन्हें निर्माण कार्य के लिए जल्द स्थान खाली करने का नोटिस भेजा गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुल बनना खुशी की बात है, लेकिन उन्हें बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के उजाड़ा जा रहा है। उन्होंने सरकार और जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि पहले उन्हें कहीं बसाया जाए, उसके बाद हटाया जाए।
स्थानीय लोगों ने बताया कि कई परिवारों में बेटियों की शादी तय है, कहीं बीमार परिजन हैं तो कहीं बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होने का खतरा है। लोगों का कहना है कि वे विकास के विरोधी नहीं हैं और मानते हैं कि इस परियोजना से क्षेत्र का विकास होगा, लेकिन पहले उनका पुनर्वास किया जाए, फिर निर्माण कार्य आगे बढ़ाया जाए। चंदवारा घाट बांध पर रहने वाली बुजुर्ग महिला शैल देवी ने कहा कि उनके पूर्वज भी यहीं रहते थे और अब उन्हें बेघर किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि उनके पति बीमार हैं और बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो जाएगी। उन्होंने जिला प्रशासन से न्याय की मांग की है।
ये भी पढ़ें: Kota News: पुलिस ने 12.21 करोड़ के अवैध मादक पदार्थ जलाए, जांच में लापरवाही पर एसएचओ लाइन हाजिर
वहीं, स्थानीय नागरिक संजय कुमार ने कहा कि यह काम जरूरी है और पुल व सड़क के बन जाने से लोगों को काफी राहत मिलेगी, लेकिन सरकार को पहले पुनर्वास की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि लोग बेघर न हों। एक अन्य परिवार की महिला सदस्य शांति देवी ने कहा कि वे काम का विरोध नहीं कर रहे हैं, बल्कि सिर्फ गुहार लगा रहे हैं। उन्होंने बताया कि आनन-फानन में नोटिस भेजा गया है और घर खाली करने के लिए पर्याप्त समय भी नहीं दिया गया है। ऐसे में उनके सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि वे बेघर होकर आखिर जाएं तो कहां जाएं।
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इधर, निर्माण कार्य के चलते चंदवारा घाट बांध के किनारे रह रहे सैकड़ों परिवारों ने नाराजगी जताई है। इन परिवारों का कहना है कि वे पिछले करीब 40 वर्षों से यहां रह रहे हैं और अब उन्हें निर्माण कार्य के लिए जल्द स्थान खाली करने का नोटिस भेजा गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुल बनना खुशी की बात है, लेकिन उन्हें बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के उजाड़ा जा रहा है। उन्होंने सरकार और जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि पहले उन्हें कहीं बसाया जाए, उसके बाद हटाया जाए।
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स्थानीय लोगों ने बताया कि कई परिवारों में बेटियों की शादी तय है, कहीं बीमार परिजन हैं तो कहीं बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होने का खतरा है। लोगों का कहना है कि वे विकास के विरोधी नहीं हैं और मानते हैं कि इस परियोजना से क्षेत्र का विकास होगा, लेकिन पहले उनका पुनर्वास किया जाए, फिर निर्माण कार्य आगे बढ़ाया जाए। चंदवारा घाट बांध पर रहने वाली बुजुर्ग महिला शैल देवी ने कहा कि उनके पूर्वज भी यहीं रहते थे और अब उन्हें बेघर किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि उनके पति बीमार हैं और बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो जाएगी। उन्होंने जिला प्रशासन से न्याय की मांग की है।
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वहीं, स्थानीय नागरिक संजय कुमार ने कहा कि यह काम जरूरी है और पुल व सड़क के बन जाने से लोगों को काफी राहत मिलेगी, लेकिन सरकार को पहले पुनर्वास की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि लोग बेघर न हों। एक अन्य परिवार की महिला सदस्य शांति देवी ने कहा कि वे काम का विरोध नहीं कर रहे हैं, बल्कि सिर्फ गुहार लगा रहे हैं। उन्होंने बताया कि आनन-फानन में नोटिस भेजा गया है और घर खाली करने के लिए पर्याप्त समय भी नहीं दिया गया है। ऐसे में उनके सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि वे बेघर होकर आखिर जाएं तो कहां जाएं।