सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Bihar ›   Nitish kumar says Combating naxal menace a joint responsibility of centre and states

वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त लड़ाई है: नीतीश कुमार

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना Published by: अमर शर्मा Updated Mon, 26 Aug 2019 06:03 PM IST
विज्ञापन
Nitish kumar says Combating naxal menace a joint responsibility of centre and states
नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह - फोटो : PTI
विज्ञापन
वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई को केंद्र और राज्यों के लिए एक संयुक्त जिम्मेदारी मानते हुए, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को मौजूदा नीति में बदलाव की आवश्यकता पर जोर दिया। मौजूदा नीति के तहत प्रभावित क्षेत्रों में केंद्रीय बलों की तैनाती का पूरा वित्तीय भार संबंधित राज्य सरकारों को उठाना पड़ता है। 
Trending Videos


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सलियों के खिलाफ चल रहे अभियानों और वामपंथ अतिवाद से प्रभावित क्षेत्रों में चल रहे विकास कार्यों की सोमवार को समीक्षा की। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। इस बैठक में मुख्यमंत्रियों - नीतीश कुमार (बिहार), नवीन पटनायक (ओडिशा), योगी आदित्यनाथ (उत्तर प्रदेश), कमलनाथ (मध्य प्रदेश), रघुबर दास (झारखंड) और भूपेश बघेल (छत्तीसगढ़) के अलावा नक्सलवाद से प्रभावित 10 राज्यों के शीर्ष पुलिस और अन्य अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
विज्ञापन
विज्ञापन


माओवाद से प्रभावित 10 राज्य - छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश हैं।

वामपंथी उग्रवाद के संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित समीक्षा बैठक के दौरान नीतीश ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद के विरूद्ध लड़ाई केंद्र एवं राज्य सरकार की संयुक्त लड़ाई है। इसलिए इसका आर्थिक बोझ भी केंद्र और राज्यों के बीच बांटकर वहन किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि देश में वामपंथी उग्रवादी हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित 30 जिलों में से बिहार के चार जिलों गया, औरंगाबाद, जमुई एवं लखीसराय में प्रभावित लोगों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए विभिन्न विकासोन्मुखी एवं कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं।

नीतीश ने कहा कि जब भी राज्य सरकार द्वारा पूर्व से चल रहीं केंद्र प्रायोजित योजनाओं में पहले की तरह वित्त पोषण अथवा अधिक संसाधनों की मांग की जाती है तो केंद्र सरकार द्वारा यह कहते हुए नकार दिया जाता है कि 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में अब राज्यों को पहले से अधिक राशि दी जा रही है और अब वे अपनी निधि से ही काम चलायें।

उन्होंने कहा कि इस संबंध में हमने लगातार स्थिति स्पष्ट करते हुए आंकड़ों के साथ केंद्र सरकार को अवगत कराया है कि 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा के उपरान्त कर अन्तरण हो या अनुदान, बिहार के संसाधनों में भारी कमी हुई है।

नीतीश ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा के लिए वामपंथी उग्रवादियों के खिलाफ यह लड़ाई राज्य और केंद्र सरकार की संयुक्त लड़ाई है, पर केंद्रीय सुरक्षा बलों की प्रतिनियुक्ति पर होने वाले खर्च को उठाने का पूरा जिम्मा राज्य सरकार को दिया जाता है।

उन्होंने आग्रह किया कि इन खर्चों का वहन केंद्र और राज्य को संयुक्त रूप से करना चाहिए। बिहार सरकार केंद्रीय बलों से संबंधित गृह मंत्रालय को किए जाने वाले भुगतान के प्रति हमेशा सजग रही है और समय पर भुगतान किया जाता है।

नीतीश ने कहा कि केंद्र सरकार ने उग्रवाद प्रभावित राज्यों में सुरक्षा बलों के क्षमता संवर्द्धन और क्षेत्रीय विषमता को दूर करने के लिए संरचना संवर्द्धन की विशेष संरचना योजना प्रारम्भ की थी। इसके काफी अच्छे परिणाम देखने में आए हैं। 

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, "गृह मंत्री ने नक्सलियों के खिलाफ चल रहे अभियानों और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में चल रहे विकास कार्यों की समीक्षा की।" 

अर्धसैनिक बलों और गृह मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों ने भी इस बैठक में हिस्सा लिया। गृह मंत्री का पदभार संभालने के बाद अमित शाह की यह इस तरह की पहली बैठक थी।

गृह मंत्रालय के आकंड़ों के मुताबिक 2009-13 के बीच नक्सल हिंसा के करीब 8,782 मामले सामने आए थे जबकि 2014-18 के बीच 4,969 मामले सामने आए, जो इस हिंसा में 43.4 फीसदी की कमी बताते हैं।

मंत्रालय ने बताया कि 2009-13 के बीच सुरक्षा बलों समेत करीब 3,326 लोगों की नक्सली हिंसा में मौत हुई जबकि 2014-18 के बीच 1,321 लोगों की मौत हुई। इसमें कुल 60.4 फीसदी कमी आई। 

2019-18 के बीच 1,400 नक्सली मारे गए। 

इस साल के शुरूआती पांच महीनों में नक्सल हिंसा के करीब 310 मामलों की खबर आई जिनमें 88 लोग मारे गए।

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने पिछले महीने कहा था कि सरकार की दृढ़ नीतियों की वजह से हिंसा में कमी आई है और वामपंथ अतिवाद का भौगोलिक प्रसार भी घटा है। 

2018 में नक्सली हिंसा की खबरें सिर्फ 60 जिलों में सामने आई। इसमें से दो तिहाई हिंसा सिर्फ 10 जिलों में हुई। 

नक्सली हिंसा से निपटने के लिए 2015 में एक राष्ट्रीय नीति एवं कार्य योजना को मंजूरी दी गई थी। इसके तहत सुरक्षा संबंधी कदमों, विकास पहलों के साथ साथ बहुआयामी रणनीति भी अपनाई गई है।
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed