Bihar Congress: छह विधायकों वाली कांग्रेस नहीं चुन पाई नेता, अब आलाकमान लेंगे फैसला; जानिए कहां फंस रहा पेंच
बिहार कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। बिहार विधानसभा चुनाव के बाद अब तक कांग्रेस को छोड़कर सभी दल अपना नेता चुन चुके हैं। कांग्रेस में पेंच फंसा हुआ है। कारण है इन छह विधायकों में आपसी सहमति का न बन पाना।
विस्तार
बिहार चुनाव में हारकर महज छह विधायक पर सिमटी कांग्रेस की चुनौतियां कम होने का नाम नहीं ले रही है। 18वीं विधानसभा का पहला सत्र बीत जाने के बावजूद पार्टी अपना विधायक दल का नेता भी नहीं चुन पाई है। विधानसभा सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक सरकार को घेर नहीं पाए। चुनाव में करारी हार के कारण ऐसे चेहरे की कमी हो गई है, जिसे सभी विधायक अपना समर्थन दे सके। पिछली बार विधायक दल के नेता रहे शकील अहमद खान इस बार चुनाव हार चुके हैं। प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम चुनाव हार चुके है। इनके खिलाफ पहले से ही पार्टी के नेताओं ने मोर्चा खोल रखा है।
छह में से तीन पहली बार विधायक बने
इधर, छह में तीन विधायक (वाल्मीकिनगर से सुरेंद्र प्रसाद, चनपटिया से अभिषेक रंजन और फारबिसगंज से मनोज विश्वास) पहली बार चुनाव जीते बने हैं। इनके पास विधायी प्रक्रिया के अनुभव की कमी है। बाकी बचे किशनगंज के विधायक कमरुल होदा अनुभवी नेता तो हैं लेकिन, यह एआईएमआईएम से आए हैं। इस कारण इन्हें विधायक दल नेता बनाने में कांग्रेस को काफी विचार करना पड़ रहा है। वहीं अबिदुर्र रहमान तीसरी बार विधायक बने हैं। इनके पास भी काफी अनुभव है लेकिन स्वास्थ्य कारणों से विधायी प्रक्रिया में सक्रिय होने में उनके साथ समस्या है। सबसे अनुभवी और पूर्व आईपीएस मनोहर प्रसाद सिंह चौथी बार विधानसभा पहुंचे हैं। लेकिन यह आदिवासी समुदाय से आते हैं, समीकरण में पूरी तरह फिट नहीं बैठ पा रहे हैं। इसलिए पार्टी के कुछ अधिकारी इन्हें विधायक दल का नेता बनाने के पक्ष में नहीं है।
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दिल्ली भेजी गई विधायक दल के नेता की फाइल
एक दिसंबर को पटना पहुंचे प्रदेश कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने विधायकों के साथ बैठक भी की थी। प्रदेश अध्यक्ष समेत कई लोग शामिल भी हुए थे लेकिन वरिष्ठ नेता मिलकर भी विधायक दल का नेता नहीं चुन पाए। अब बात सामने आ रही है कि बिहार प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष ने विधायकों को आलाकमान के पास विधायक दल के नेता की फाइल भेजने की सलाह दी है। विधायकों ने आपस में बात कर फाइल दिल्ली भेज दी है। अब राष्ट्रीय नेतृत्व की ओर से इस पर फैसला लिया जाएगा। इसके बाद बिहार कांग्रेस इसकी घोषणा कर पाएगी।
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