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Bihar News: चारा घोटाला के एक केस की सुनवाई अब रोजाना होगी, लालू समेत कई आरोपी है इसमें

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना Published by: आदित्य आनंद Updated Wed, 10 Dec 2025 11:14 AM IST
सार

Chara Ghotala: आज एनडीए की तरफ से बार-बार उठाए जाने वाले चारा घोटाले केस में बड़ा अपडेट सामने आया है। इस बड़े घोटाले के एक केस की सुनवाई अब रोजाना होगी। इसमें राजद सुप्रीमो समेत कई लोग आरोपी है।

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Bihar News: Hearing of a fodder scam case will now be held daily, Lalu Yadav is also an accused
सीबीआई की विशेष अदालत रोज करेगी चारा घोटाला के एक केस की सुनवाई। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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चारा घोटाले के एक मामले की सुनवाई अब रोज होगी। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो की विशेष अदालत में चारा घोटाले की आज से रोजाना सुनवाई होगी। यह निर्णय तब लिया गया जब सुप्रीम कोर्ट ने पुराने मामलों के त्वरित निष्पादन का निर्देश दिया है। इसी को देखते हुए सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश राकेश कुमार ने यह आदेश दिया। अब इस मामले के सभी आरोपियों को तय की गई तारीखों पर शरीर कोर्ट में पेशी के आना पड़ेगी। इसमें राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, कई तत्कालीन मंत्री, विधायक और आईएएस अधिकारी आरोपी हैं।

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बताया जा रहा है कि 1996 में भागलपुर के बांका उप जिला कोषागार से पशुपालन विभाग में जाली बिल के आधार पर करीब 45 लाख की अवैध निकासी की बात सामने आई थी। मामला इतना तूल पकड़ा कि सीबीआई को इस केस को सौंप दिया गया। सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद समेत 44 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। 

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क्या था बिहार का चारा घोटाला?
चारा घोटाला से जुड़ा अधिकतर फर्जीवाड़ा आज के समय में अलग राज्य बन चुके 'झारखंड' का है। यह पूरा घोटाला बिहार सरकार के पशुपालन विभाग के जरिए हुआ था। जिस चारा घोटाले का आरोप लालू प्रसाद यादव पर लगता है, वह उनके ही समय से शुरू नहीं हुआ था, बल्कि इसकी शुरुआत 1980 के दशक में ही हो चुकी थी। तब बिहार में कांग्रेस के मुख्यमंत्री थे। भारत के तत्कालीन नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) टीएन चतुर्वेदी ने उस दौरान बिहार के खजाने से रकम निकासी और इसके लिए हर महीने लगाई जा रही रसीदों को दायर करने में देरी का मुद्दा उठाया था। सीएजी ने उस दौरान ही खजाने से गड़बड़ लेनदेन और धनशोधन की आशंका जताई थी। हालांकि, तत्कालीन सरकार ने सीएजी की रिपोर्ट पर ध्यान नहीं दिया और घोटाला जारी रहा। लालू के दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने तक बिहार का यह घोटाला 950 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका था। 







 

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