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रेगिस्तान में उगने वाला वो जादुई पौधा, जिसे कहते हैं 'हरा सोना'

फीचर डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: सोनू शर्मा Updated Thu, 11 Jun 2020 01:04 PM IST
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Green gold Nopal cactus which grows in the desert is called a magical plant
नोपल कैक्टस - फोटो : Social media

बायोफ्यूल बनाने वाला 'हरा सोना' जो रेगिस्तान में उगता है। वो मेक्सिको के रेगिस्तान में उगता है। बंजर जमीन को खूबसूरत बनाता है। इसे सलाद में खाया जा सकता है। इससे चिप्स बनते हैं और लजीज शेक बनाकर भी पिया जाता है। ये जादुई पौधा, मेक्सिको के मेसोअमेरिकन क्षेत्र में पाया जाता है। इसका नाम है नोपल। 



नोपल, इंसान की बहुत सी चुनौतियों का जवाब हो सकता है। ये हमें जलवायु परिवर्तन से लड़ने में भी मदद कर सकता है। अगर इसे मेक्सिको का मैजिकल प्लांट कहें, तो गलत नहीं होगा। नोपल एक कांटेदार नाशपाती जैसा फल है, जो मेक्सिको के रेगिस्तानों में नागफनी के साथ उगता है। मेक्सिको में केमेम्ब्रो नाम का आदिवासी समुदाय इसकी खेती करता है।  

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Green gold Nopal cactus which grows in the desert is called a magical plant
नोपल कैक्टस - फोटो : Social media

मेक्सिको का राष्ट्रीय ध्वज

नोपल ना सिर्फ फल के तौर पर इस्तेमाल होता है बल्कि इस्तेमाल के बाद इसके कचरे से जैव-ईंधन भी तैयार किया जाता है। इस फल की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके प्रतीक को मेक्सिको के राष्ट्रीय ध्वज पर एक खास स्थान दिया गया है। 2009 में एक स्थानीय व्यवसायी रोगेलियो सोसा लोपेज ने मकई से बने टॉर्टिला उद्योग में पहले ही सफलता हासिल कर ली थी। 

इसके बाद उन्होंने मिगुएल एंजेल नाम के कारोबारी से हाथ मिला लिया, जो बड़े पैमाने पर नागफनी की खेती करते थे। इनकी कंपनी का नाम है नोपेलिमेक्स। दरअसल नोपल के कचरे से जो जैव-ईंधन तैयार होता है, वो मकई की खेती के कचरे से भी ज्यादा सस्ता सौदा है। 

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Green gold Nopal cactus which grows in the desert is called a magical plant
नोपल कैक्टस - फोटो : Social media

नोपल की खेती में पानी की खपत

इसके अलावा नोपेल की खेती, मकई की खेती की तुलना में ज्यादा बड़े पैमाने पर होती है। एक अंदाजे के मुताबिक कम उपजाऊ जमीन पर भी प्रति हेक्टेयर 300 से 400 टन नोपल उगाया जा सकता है जबकि उपजाऊ भूमि में 800 से 1000 टन तक उपज हो जाती है। इसके अलावा नोपल की खेती में पानी की खपत बहुत कम और फायदा दोहरा है। 

नोपल को फल के तौर पर बेचा जाता है और उसके कचरे से जैव-ईंधन तैयार कर लिया जाता है। व्यापक स्तर पर नोपल की खेती करने के तीन कारण हैं। पहला तो सामाजिक है। नोपल की खेती से लोगों को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार मिल जाता है और पलायन नहीं होता। दूसरा आर्थिक दृष्टिकोण से भी ये फायदे का सौदा है। 

Green gold Nopal cactus which grows in the desert is called a magical plant
नोपल कैक्टस - फोटो : Social media

पर्यावरण के लिए भी बहुत लाभकारी

स्थानीय स्तर पर सभी काम हो जाने से लागत बहुत कम हो जाती है। तीसरा सबसे अहम कारण है पर्यावरण। नोपल की खेती पर्यावरण के लिए भी बहुत लाभकारी है। जानकारों का कहना है कि नोपल जैविक-ईंधन का अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। 

कारोबारी मिगुएल एंजिल ने 40 साल पहले बायोफ्यूल में हाथ आजमाया था और 2007 में नागफनी के साथ भी प्रयोग शुरू कर दिया। आज उनकी कंपनी उन कारखानों के लिए पर्याप्त ईंधन का उत्पादन कर रही है, जहां नोपल की प्रॉसेसिंगने का काम किया जाता है। उन्होंने स्थानीय सरकार के साथ एक करार भी किया है। 

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नोपल कैक्टस - फोटो : Social media

जैव-ईंधन

करार के तहत उनकी कंपनी एंबुलेंस, पुलिस की कार और सभी सरकारी वाहनों को कैक्टस से तैयार किया गया जैव-ईंधन उपलब्ध कराएगी। मिगुएल का कहना है कि मेक्सिको में जिस पैमाने पर नोपल का उत्पादन होता है, उससे ईंधन की मांग बहुत आसानी से पूरी की जा सकती है। 

इसका तरीका भी बहुत आसान है। सबसे पहले कैक्टस काटकर उसे प्रॉसेस करके आटा अलग किया जाता है, जिससे मेक्सिको के मशहूर टॉर्टिला चिप्स बनते हैं। फिर बचे हुए कचरे को गोबर में मिलाकर उसे खमीर किया जाता है और उससे तेल अलग करके ट्यूबों के माध्यम से टैंक में जमा किया जाता है। जानकारों का कहना है कि इस तरह फसलों के कचरे से ईंधन तैयार करना एक अच्छा प्रयोग है। 

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