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न नदी है न झील, फिर सऊदी अरब आखिर कहां से लाता है पीने लायक पानी?

फीचर डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: सोनू शर्मा Updated Mon, 11 May 2020 05:39 PM IST
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how Saudi Arabia gets its water supply
सऊदी अरब का रेगिस्तान - फोटो : Pixabay

सऊदी अरब, जहां की धरती रेतीली है और जलवायु उष्णकटिबंधीय मरुस्थल। यहां तेल तो भारी मात्रा में है, जिसकी वजह से यह देश अमीर भी बना है, लेकिन यहां पानी की भारी कमी है या यूं कहें कि इस देश में पीने लायक पानी है ही नहीं। यहां न एक भी नदी है, न झील। पानी का कुआं है पर उसमें पानी नहीं है। यहां सोना तो है, लेकिन पानी नहीं। तो अब सवाल ये उठता है कि आखिर सऊदी अरब पीने के लिए पानी कहां से लाता है? तो चलिए इसके पीछे की हैरान करने वाली सच्चाई जान लेते हैं। 

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सऊदी अरब में खेती - फोटो : Social media

इस देश की महज एक फीसदी जमीन ही खेती के लायक है और उसमें भी कुछ-कुछ सब्जियां ही उगाईं जाती हैं, क्योंकि धान और गेहूं जैसी फसलें उगाने के लिए उसे भारी मात्रा में पानी की जरूरत पड़ेगी। हालांकि एक बार यहां गेहूं की खेती शुरू की गई थी, लेकिन पानी की कमी के चलते बाद में उसे ये बंद करनी पड़ी। सऊदी को अपना खाने-पीने का सारा सामान विदेशों से ही खरीदना पड़ता है। 

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सऊदी अरब का रेगिस्तान - फोटो : Social media

सऊदी अरब के पास अब भूमिगत जल थोड़ा बहुत ही बचा है और वो भी बहुत नीचे है, लेकिन कहा जा रहा है कि आने वाले कुछ सालों में वो भी पूरी तरह खत्म हो जाएगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पहले यहां पानी के बहुत सारे कुएं थे, जिनका इस्तेमाल हजारों सालों से होता आ रहा था, लेकिन जैसे-जैसे आबादी बढ़ती गई, भूमिगत जल का दोहन भी यहां बढ़ता गया। इसका नतीजा ये हुआ कि धीरे-धीरे कुंओं की गहराई बढ़ती गई और कुछ ही सालों में कुएं पूरी तरह सूख गए। 

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प्रतीकात्मक तस्वीर - फोटो : Pixabay

सबसे जरूरी बात कि यहां बारिश तो साल में एक या दो दिन ही होती है और वो भी तूफान के साथ। ऐसे में उस पानी को संचित करना संभव है नहीं और न ही उससे भूमिगत जल के दोहन की भरपाई ही हो पाती है। असल में यहां समुद्र के पानी को पीने लायक बनाया जाता है। वैसे तो समुद्र के पानी में नमक की मात्रा ज्यादा होती है, इसलिए डिसालिनेशन यानी विलवणीकरण के द्वारा समुद्र के पानी से नमक को अलग किया जाता है और तब जाकर वह पीने लायक बनता है। 

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समुद्र (प्रतीकात्मक तस्वीर) - फोटो : Pixabay

एक रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब तेल से हुई बेशुमार कमाई का एक हिस्सा तो समुद्र के पानी को पीने लायक बनाने में ही खर्च कर देता है। 2009 के एक आंकड़े के मुताबिक, उस समय एक क्यूबिक मीटर पानी से नमक अलग करने में 2.57 सऊदी रियाल यानी करीब 50 रुपये खर्च होते थे। इसके अलावा ट्रांसपोर्टिंग का खर्च भी 1.12 रियाल (20 रुपये से ज्यादा) प्रति क्यूबिक मीटर लग जाता था। अब तो यह खर्च बढ़ भी गया होगा, क्योंकि यहां पानी की मांग हर साल बढ़ती जा रही है। साल 2011 में सऊदी अरब के तत्कालीन पानी और बिजली मंत्री ने कहा था कि देश में पानी की मांग हर साल सात फीसदी की दर से बढ़ रही है। ऐसे में आप सोच सकते हैं कि यहां पानी की समस्या कितनी विकराल है।

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