बजट 2020: हर जिला बनेगा निर्यात केंद्र, मोबाइल फोन विनिर्माण में आएगी तेजी
योजना में मूलधन व ब्याज का 90% कवर होगा
कंपनी एक्ट 2013 के कई प्रावधानों को अब अपराध की श्रेणी से बाहर करने की तैयारी
विस्तार
वित्त वर्ष 2020-21 के लिए पेश आम बजट में मोबाइल फोन, सेमी कंडक्टर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के विनिर्माण के लिए वित्तमंत्री ने एक नई योजना का प्रस्ताव पेश किया। इसके साथ ही पोर्टल आधारित इन्वेस्टमेंट क्लियरेंस सेल का भी प्रस्ताव रखा है। यह केंद्रीय और राज्य स्तर पर एंड-टू-एंड सहायता सेवा उपलब्ध कराएगी। देश को इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण में घरेलू उत्पादन और निवेश को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है। इससे रोजगार भी बढ़ेंगे। सरकार का हर जिले को निर्यात केंद्र के रूप में विकसित करने का लक्ष्य है। इसके अलावा मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए वित्तमंत्री ने इलेक्ट्रिक सामानों पर आयात शुल्क पांच से दस फीसदी तक बढ़ा दिया है। इससे आयात होने वाले मोबाइल और चार्जर की कीमतों में एक से दो फीसदी की बढ़ोतरी होना तय है। इससे घरेलू कारोबारियों को राहत मिलेगी।
कॉर्पोरेट बांड में 9 से बढ़कर 15 फीसदी एफपीआई निवेश सीमा
सरकार की योजना कॉर्पोरेट बांड में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के निवेश की सीमा को 9 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी करने की है। सीतारमण ने कहा कि कुछ सरकारी प्रतिभूतियों को विदेशी निवेशकों के लिए खोला जाएगा। बजट में ऋण एक्सचेंज ट्रेडेड कोष का भी प्रस्ताव किया गया, जिसमें मुख्य रूप से सरकारी प्रतिभूतियां शामिल होंगी।
निर्विक से लगेंगे छोटे निर्यातकों को पंख
बजट में छोटे निर्यातकों के लिए बीमा कवर बढ़ाने और उसकी लागत कम करने के लिए निर्विक (निर्यात ऋण विकास) योजना की घोषणा की। वित्तमंत्री ने कहा कि उच्च निर्यात ऋण वितरण को हासिल करने के लिए एक नई योजना ‘निर्विक’ शुरू की जा रही है, जो छोटे निर्यातकों के लिए अधिक बीमा कवर, प्रीमियम में कमी और दावा निस्तारण के लिए सरल प्रक्रियाओं का प्रावधान करती है। वाणिज्य मंत्रालय इस योजना को बना रहा है। इसके तहत बीमा में मूलधन और ब्याज का 90% तक कवर किया जा सकता है। इसे निर्यात ऋण बीमा योजना भी कहा जाता है। निर्यात ऋण गारंटी निगम इस समय घाटे के 60% तक ऋण गारंटी मुहैया कराता है।
कंपनी कानूनों में बदलाव से उद्योग को मिलेगी राहत
वित्तमंत्री ने कारोबारियों-उद्यमियों को राहत देते हुए बजट में कंपनी कानूनों में बदलाव की बात कही है। सिविल (दीवानी) जैसे मामलों में आपराधिक कार्रवाई पर छिड़ी बहस को लेकर वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार प्रतिबद्ध है कि करदाताओं का किसी तरह से शोषण नहीं हो। कंपनी एक्ट 2013 के कई प्रावधानों को अब अपराध की श्रेणी से बाहर करने की तैयारी है। ऐसे अन्य कानूनों में भी बदलाव किया जाएगा। पिछले साल नवंबर में कंपनी लॉ समिति ने 46 दंडात्मक प्रावधानों में बदलाव करके इसे केवल जुर्माने के प्रावधान में बदलने या सिर्फ सुधारने की अनुमति देकर मामला निपटाने का विकल्प देने की अनुशंसा की थी।
ई-कॉमर्स पर लगेगा टीडीएस
सरकार ने ई-कॉमर्स लेनदेन पर नए शुल्क एक प्रतिशत की टीडीएस का प्रस्ताव किया है। ई-कामर्स मंचों के विक्रेताओं पर बोझ बढ़ेगा। ई-कॉमर्स विक्रेताओं को कर के दायरे में लाने के लिए कानून में एक नयी धारा 194-ओ जोड़ने का प्रस्ताव किया गया है।
कर दायरा बढ़ाने के उद्देश्य से विक्रेताओं से नया शुल्क एक प्रतिशत की स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) ली जाएगी। इसके साथ साथ धारा 197 (कम टीडीएस), धारा 204 (किसी राशि का भुगतान करने वाले व्यक्ति को परिभाषित करना) और धारा 206एए (गैर पैन - आधार मामलों में पांच प्रतिशत की कटौती के लिए) में भी संशोधनों का प्रस्ताव है। ये संशोधन एक अप्रैल, 2020 से लागू होंगे। दस्तावेज में कहा गया है कि ई-कॉमर्स परिचालक को बिक्री या सेवा की राशि या दोनों पर एक प्रतिशत की टीडीएस कटौती करनी होगी।
जल्द होगी वाहन कबाड़ नीति की घोषणा
पुराने वाहनों को सड़कों से हटाने की नीति पर काम चल रहा है। संबंधित मंत्रालयों से सारी व्यवस्था को ठीक करने के बाद इसकी घोषणा की जाएगी। प्रस्तावित नीति को मंजूरी मिलने के बाद यह दोपहिया समेत सभी वाहनों पर लागू होगी। परिवहन मंत्री नितिन गडकरी पहले ही कह चुके हैं कि नीति को मंजूरी के बाद भारत एक वाहन क्षेत्र के बड़े विनिर्माण केंद्र के रूप में उभर सकता है। क्योंकि वाहन उद्योग से जुड़ा माल यानी स्टील, एल्युमीनियम और प्लास्टिक कबाड़ के रिसाइकिल होने से मिल जाएगा। इससे वाहन 20 से 30% सस्ते होंगे। नीति के मसौदे के मुताबिक 15 साल पुराने वाहनों को हर छह माह में उसके सही होने का प्रमाणपत्र (फिटनेस सर्टिफिकेट) लेना होगा। अभी यह समयसीमा एक साल है।