बजट 2020: जुलाई 2019 के बाद से फरवरी 2020 तक कॉर्पोरेट को मिलीं इतनी रियायतें
कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती
सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती कर दी है। घरेलू कंपनियों पर बिना किसी छूट के इनकम टैक्स 22 फीसदी होगा। जबकि सरचार्ज और सेस जोड़कर प्रभावी दर 25.17 फीसदी होगी। पहले यह दर 30 फीसदी थी।सीएसआर के नियमों में बदलाव
सरकार ने सीएसआर पर होने वाले खर्च में सरकारी, पीएसयू इनक्यूबेटर्स और सरकारी खर्च से चलने वाले आईआईटी जैसे संस्थानों को भी शामिल किया है। वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि 22 फीसदी इनकम टैक्स के तहत आने वाली कंपनियों को मिनिमम अल्टरनेट टैक्स (MAT) नहीं चुकाना होगा। एमएटी ऐसी कंपनियों पर लगाया जाता है जो मुनाफा कमाती हैं। लेकिन रियायतों की वजह से इन पर टैक्स की देनदारी कम होती है।कैपिटल गेंस टैक्स पर सरचार्ज खत्म
कैपिटल गेंस पर सरचार्ज खत्म हो गया है। कॉर्पोरेट कर की दर घटाने से राजस्व में सालाना 1.45 लाख करोड़ रुपये की कमी का अनुमान है। वित्त मंत्री के एलान के बाद शेयर बाजार में जोरदार उछाल देखने को मिला।बायबैक पर टैक्स से छूट
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि इस साल 5 जुलाई से पहले शेयर बायबैक का एलान करने वाली सूचीबद्ध कंपनियों को शेयरों के बायबैक पर टैक्स नहीं चुकाना होगा।रियल एस्टेट को बड़ी राहत
आपके अधूरे पडे़ सपनों के घर को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने रियल एस्टेट क्षेत्र को बड़ी राहत दी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अधूरी पड़ी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 25,000 करोड़ रुपये का एक विशेष फंड बनाने का एलान किया, जिसमें सरकार वैकल्पिक निवेश फंड (एआईएफ) के तौर पर 10,000 करोड़ का योगदान देगी। इसके अलावा एलआईसी, बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान भी मदद करेंगे। यह फंड एक ट्रस्ट में जाएगा, जिसको हाउसिंग और बैंकिंग सेक्टर में कार्यरत लोग ही मैनेज करेंगे।गांवों में बनेंगे 1.95 करोड़ घर
सरकार ने गांवों में 1.95 करोड़ घर 2022 तक प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के तहत बनाकर देने की घोषणा की थी। इन घरों में शौचालय, बिजली और एलपीजी कनेक्शन दिया जाएगा।घर, कार और हाउसिंग गुड्स खरीदने के लिए लोन
नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को मदद करने के लिए सरकार अपनी तरफ से मदद देगी। इस मदद से लोग कम ब्याज पर घर, गाड़ी और व्हाईट गुड्स खरीद सकेंगे। इसके अलावा नेशनल हाउसिंग बोर्ड से हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को 20 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त मदद देने का एलान किया था। क्रेडिट गांरटी योजना के तहत इन कंपनियों को एक लाख करोड़ की अतिरिक्त मदद बैंकों से दी जाएगी।
एफडीआई के नए नियम
ई-कॉमर्स क्षेत्र में एक फरवरी से नए एफडीआई नियम लागू हो गए। इन नियमों के बाद, फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसी कंपनियां अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अप्रत्याशित छूट और कैशबैक की लुभावनी पेशकश नहीं दे सकेंगी। देश के खुदरा कारोबारियों की लंबे समय से चली आ रही मांग के बाद सरकार ने यह नियम लागू किया था। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा दिसंबर 2018 में जारी नियमों में बेहद सफाई से छूट और कैशबैक के खेल पर लगाम कसी गई है। आर्थिक विशेषज्ञ रामानुज के मुताबिक, अब ई-कॉमर्स कंपनियों की जिन चुनिंदा विक्रेताओं के साथ हिस्सेदारी होगी, उनके माल अपने प्लेटफॉर्म पर नहीं बेच पाएंगी।
सिर्फ बीटूबी में 100 फीसदी एफडीआई
नए नियम में सरकार ने स्पष्ट किया है कि ई-कॉमर्स के बिजनेस-टू-बिजनेस मॉडल में ही ऑटोमैटिक रूट के जरिये 100 फीसदी एफडीआई की अनुमति है। विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों ने इस नियम की समय-सीमा बढ़वाने की तमाम कोशिशें की, लेकिन खुदरा व्यापारियों के दबाव ने इन प्रयासों को नाकाम कर दिया।
घरेलू कंपनियों को लाभ
विशेषज्ञ यह मानते हैं कि इन नियमों से खुदरा और देसी ई-कॉमर्स कंपनियों को लाभ होगा, लेकिन तेजी से बढ़ रहे इस क्षेत्र की गति कम हो जाएगी। भारत में ई-कॉमर्स क्षेत्र में साल 2023 तक 10 लाख नौकरियां आएंगी, जबकि साल 2020 तक भारत में सालाना ई-कॉमर्स व्यवसाय से होने वाली बिक्री सात लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी। वहीं, यह आंकड़ा साल 2026 तक 14 लाख करोड़ रुपये का हो सकता है। अभी यह क्षेत्र सालाना 51 फ़ीसदी की दर से बढ़ रहा है।