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आईसीयू में है वोडा आइडिया, सरकार से नहीं मिली राहत, तो होगी परेशानीः सीईओ

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला Published by: paliwal पालीवाल Updated Wed, 05 Feb 2020 07:24 PM IST
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vodafone idea outlook is in critical stage, says group ceo nick read
vodafone idea - फोटो : Self
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वोडाफोन समूह के सीईओ निक रीड ने एक बार फिर से दोहराया है कि उसकी भारतीय इकाई वोडाफोन आइडिया फिलहाल आईसीयू में है। अगर सरकार से समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के भुगतान में राहत नहीं मिलती है तो फिर इसका असर आगे देखने को मिल सकता है। सेवाओं को बंद भी किया जा सकता है। कंपनी के तीसरी तिमाही के नतीजों की घोषणा करते हुए निक रीड ने एक प्रेस नोट में यह बात कही है। 

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निक ने कहा कि सरकार इतना समय दे ताकि वो एजीआर के अलावा अन्य भुगतान भी समय पर कर सकें। इसको लेकर के एयरटेल, टाटा टेलिसर्विसेज और वोडाफोन आइडिया ने सुप्रीम कोर्ट में सुधारात्मक याचिका दायर कर रखी है, जिस पर जल्द ही फैसला आने की उम्मीद है। कंपनियों ने अपनी याचिका में कोर्ट से अनुरोध किया है कि वो दूरसंचार विभाग को भुगतान करने की समय सीमा को आगे बढ़ा दें।  

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वोडाफोन को करना है 53 हजार करोड़ का भुगतान

वोडाफोन आइडिया को एजीआर के तौर पर कुल 53038 करोड़ रुपये का भुगतान करना है, जिसमें 24729 करोड़ रुपये स्पेक्ट्रम फीस और 28309 करोड़ रुपये लाइसेंस फीस के तौर पर देने हैं। रीड पहले ही कह चुके हैं कि अगर किसी तरह की राहत नहीं मिली तो उनेके पास कंपनी को बंद करने के अलावा कोई चारा नहीं होगा। दूरसंचार कंपनियों को सांविधिक बकायों के रूप में सरकार को लगभग 1.47 लाख करोड़ रुपये चुकाने हैं।


दूसंचार कंपनियों को लाइसेंस शुल्क के 92,642 करोड़ रुपये, स्पेक्ट्रम शुल्क के 55,054 करोड़ रुपये सरकार को चुकाने हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अक्तूबर में कहा था कि गैर दूरसंचार राजस्व के आधार पर सांविधिक बकायों यानी एजीआर की गणना की जानी चाहिए। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के 24 अक्तूबर के आदेश के क्रम में लाइसेंसी कंपनियों से बकाया वसूलने के निर्देश दिए थे।

दूरसंचार कंपनियों पर कार्रवाई नहीं करेगा डॉट 

डॉट की लाइसेंसिंग फाइनेंस पॉलिसी विंग ने कहा कि सभी संबंधित विभागों को सुप्रीम कोर्ट के अग्रिम आदेश तक एजीआर का भुगतान नहीं करने वाली कंपनियों पर कार्रवाई नहीं करने के निर्देश दिए गए हैं। एक आधिकारिक सूत्र ने बताया, ‘लाइसेंसिंग विंग के निदेशक ने इस संबंध में सभी विभागों को निर्देश दे दिए हैं।’ सदस्य (वित्त) की मंजूरी के बाद ही यह निर्देश जारी किया गया है, जो राजस्व से जुड़े डॉट के विभागों के प्रमुख हैं।

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