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डंकी रूट: 50 लाख खर्चा... बेहतर जिंदगी का सपना, अमेरिका की जेलों में प्रताड़ना झेल मायूस होकर लौटे; पूरी कहानी

अमर उजाला नेटवर्क, चंडीगढ़/कैथल/करनाल/कुरुक्षेत्र Published by: शाहरुख खान Updated Mon, 27 Oct 2025 09:42 AM IST
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सार

अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे 50 हरियाणवी डिपोर्ट किए गए हैं। सभी लोग डंकी रूट से गए थे। ये अस्थायी जेलों में रह रहे थे। अमेरिका के विशेष विमान में सभी को दिल्ली लाया गया। कैथल के 1000 युवक अभी भी अमेरिका में बंद हैं।

dreamed of better life but returned disappointed 50 Haryanvi people living illegally in America deported
अमेरिका से 50 हरियाणवी डिपोर्ट - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
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अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे 50 हरियाणवियों को भारत निर्वासित (डिपोर्ट) किया गया है। इनमें सबसे अधिक करनाल के 16 व कैथल के 14 युवक हैं। इनके अलावा कुरुक्षेत्र व अंबाला के पांच-पांच, यमुनानगर के चार, जींद के तीन, रोहतक व पानीपत का एक-एक युवक शामिल है। 


सभी की उम्र 18 से 42 साल के बीच है। ये सभी डंकी रूट से अमेरिका गए थे। वहां छह महीने से लेकर डेढ़ साल तक विभिन्न जेलों में रहे और अब बेड़ियों में वतन लौटे हैं।
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शनिवार देर शाम अमेरिका के एक विशेष विमान में ये सभी दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट उतरे। सूचना पाकर दिल्ली एयरपोर्ट पहुंची हरियाणा की स्थानीय पुलिस को उनके-उनके जिले के निवासी लोगों को सौंपा गया। 
 

हरियाणा लाए जाने के बाद पुलिस ने सत्यापन के बाद कैथल के गांव तारागढ़ निवासी नरेश कुमार (42) को छोड़कर बाकी सभी को उनके परिजनों के हवाले कर दिया। कोर्ट से भगोड़ा घोषित नरेश पर शराब तस्करी व चेक बाउंस का मामला दर्ज है। उसे गिरफ्तार किया गया है।

अधिकतर युवा एक से डेढ़ साल से अमेरिका में 
कैथल के डीएसपी ललित ने बताया कि अधिकतर युवा एक से डेढ़ साल से अमेरिका में रह रहे थे। इन सभी को वीजा नियमों के उल्लंघन और अवैध प्रवास के कारण जेल में बंद किया हुआ था। कैथल से डंकी रूट से गए करीब एक हजार युवा अब भी अमेरिका में हैं।

मुख्यमंत्री उड़नदस्ते की टीम की निगरानी में रविवार सुबह 11 बजे सभी को उनके परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया। इनके अपराधिक रिकॉर्ड की जांच की जाएगी। पुलिस पता लगाएगी कि ये लोग किस रूट से होते हुए पहुंचे थे। 

40 से 70 लाख तक खर्च करके गए, किसी ने भी ट्रैवल एजेंट के खिलाफ नहीं दी शिकायत
करनाल के डीएसपी संदीप कुमार ने प्रेसवार्ता कर बताया, सभी युवा युवा 40 से 70 लाख रुपये खर्च करके डंकी रूट से अमेरिका गए थे। वहां उनको अस्थायी जेलों में रखा गया था। किसी ने अभी ट्रैवल एजेंट के खिलाफ शिकायत नहीं दी है।

पानीपत के साहिल ने बताया कि 50 लाख रुपये खर्च करके वह 2024 में डंकी रूट से अमेरिका पहुंचा था। करीब नौ माह तक वह कैंप में रहा। रोहतक के गांव किलोई खास के सन्नी ने बताया कि वह मई 2024 में गया था। अब उसके परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं है।

पहले भी 604 लोग हो चुके डिपोर्ट, तीन को आ सकता है अगला बैच
इसी साल जनवरी से लेकर जुलाई तक हरियाणा के 604 युवाओं को अमेरिका से डिपोर्ट किया जा चुका है। सूत्रों के अनुसार तीन नवंबर को एक और जत्थे के आने की संभावना है। उसमें आने वाले हरियाणा के लोगों के दस्तावेजों का सत्यापन पुलिस कर रही है। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अवैध प्रवासियों को लेकर सख्ती बरती जा रही है। वीजा के नियमों को भी सख्त किया गया है।

बेहतर जिंदगी का देखा था सपना, मायूस होकर लौटे
विदेश में बेहतर जिंदगी जीने का सपना देख अमेरिका गए करनाल के 16 युवकों को मायूस होकर वापस लौटना पड़ा। ये सभी युवक अवैध रूप से अमेरिका जाने के प्रयास में मेक्सिको की दीवार फांदने की कोशिश में पकड़े गए थे। महीनों तक जेल में यातनाएं झेलने के बाद अब इन्हें भारत डिपोर्ट कर दिया गया है।
 

ये सभी अलग-अलग रास्तों से अमेरिका तक पहुंचे। कोई दुबई के रास्ते यूरोप से होते हुए मैक्सिको बॉर्डर पहुंचा तो किसी ने ब्राजील, इक्वाडोर और पनामा के जंगलों से कई-कई माह की यात्रा कर अमेरिका जाने का रास्ता चुना।
 

इनके अलावा कुछ सऊदी अरब के रास्ते भी अमेरिका पहुंचे। ये रूट एजेंट की ओर से पैसे के अनुसार बताए और निर्धारित किए जाते हैं। पैसा ज्यादा देने पर जहाज से मैक्सिको बॉर्डर तक पहुंचाया जाता है और कम पैसा देने पर पैदल जंगलों से होते हुए जाना पड़ता है। हर अलग-अलग रूट के लिए 40 से 70 लाख रुपये का पैकेज देकर युवाओं को बहकाया जा रहा है।
 

एजेंट को पैसे देने के लिए बेची थी दो एकड़ जमीन
डिपोर्ट होकर आए पूंडरी क्षेत्र के एक युवक के परिजन ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उसने इटली का वीजा लगवाया था। इसके बाद वह डंकी रूट से तीन महीने में अमेरिका पहुंचा था। एजेंट से 50 लाख रुपये में बात हुई थी।

 

तीन में से दो एकड़ जमीन बेचकर अमेरिका के लिए एजेंट को रुपये दिए थे। डेढ़ साल पहले वह गया था। वहां पर कोई काम नहीं मिला। अब परिवार का लालन पालन होना मुश्किल हो गया है। इतना नुकसान हो चुका है कि कुछ समझ नहीं आ रहा।
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