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पंजाब यूनिवर्सिटी में कला वर्ग के विद्यार्थी नहीं पढ़ पा रहे साइंस के विषय, सीबीसीएस सिस्टम वजह
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: पंचकुला ब्यूरो
Updated Mon, 02 Mar 2020 04:06 PM IST
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फाइल फोटो

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पंजाब यूनिवर्सिटी अभी भी कॉलेजों में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) लागू नहीं कर पाया है। दो साल से इस पर कवायद चल रही है, लेकिन इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। आर्ट के हजारों विद्यार्थी इंतजार कर रहे हैं कि वह विज्ञान के सब्जेक्ट पढ़ें, लेकिन उनकी इच्छा पूरी नहीं हो पा रही है। बताया जाता है कि इसका प्रस्ताव पीयू प्रशासन ने तैयार कर लिया है, लेकिन लागू अब तक नहीं कर पाए। अड़चन क्या आ रही है, इसे भी सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है। पीयू ने साइंस वर्ग में सबसे पहले सीबीसीएस सिस्टम लागू किया था। इसके लिए पूरा प्रस्ताव तैयार किया गया और वह पास हो गया।
आज विज्ञान वर्ग के हजारों छात्र मनचाहे विषयों की पढ़ाई कर पा रहे हैं। आर्ट के विद्यार्थियों के लिए भी प्रस्ताव तैयार करने के बारे में चर्चा की गई और प्रस्ताव तैयार किया जाने लगा। पीयू में तो यह सिस्टम काम कर रहा है, लेकिन इससे संबद्ध 200 कॉलेजों में दो साल बीत जाने के बाद भी 1.20 लाख विद्यार्थियों को इसका लाभ नहीं मिल पाया। हालांकि सिंडिकेट व सीनेट की बैठकों में भी यह प्रस्ताव ले जाया गया था, लेकिन निर्णय क्या हुआ, यह पता नहीं चला। हालांकि बताया जा रहा है कि नए शैक्षिक सत्र तक इसे लागू कर दिया जाएगा, लेकिन तैयारियां अभी पूरी नहीं हुई हैं।
पर्दाफाश के डर से कुछ कॉलेज कर रहे हैं विरोध
सीबीसीएस सिस्टम का विरोध कुछ कॉलेज कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि इस सिस्टम से छात्रों को रेगुलर पढ़ाई करनी होगी। हाजिरी भी पूरी होनी चाहिए। कुछ कॉलेजों में यह खेल चल रहा है कि वह केवल छात्रों के दाखिले करने में विश्वास करते हैं, फिर चाहे विद्यार्थी सालभर आए या नहीं। इससे उन्हें नुकसान होगा। हालांकि अब पीयू ने दबाव बनाया है कि उन्हें भी सीबीसीएस सिस्टम को मंजूरी मिलने केबाद यह प्रस्ताव लागू करना होगा। सूत्रों का कहना है कि यह सिस्टम लागू होते ही कुछ कॉलेजों में छात्रों की संख्या में गिरावट आएगी और उससे उनके खेल का खुलासा भी होगा।
विद्यार्थियों के लिए खुलेंगे रोजगार के द्वार
सीबीसीएस के जरिये यदि विद्यार्थी आर्ट के साथ साथ साइंस की भी पढ़ाई करेंगे तो वह नौकरी के लिए साइंस वर्ग में भी अप्लाई कर सकेंगे। यानी कला व विज्ञान के लिए निकलने वाली भर्तियों में आवेदन के हकदार होंगे। हजारों छात्रों के सामने रोजगार के रास्ते खुलेंगे। साइंस वर्ग के पास आउट विद्यार्थियों को इसका लाभ मिल रहा है। वह आर्ट आदि विषयों की पढ़ाई करने सामाजिक क्षेत्र में हिस्सा ले रहे हैं।
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आज विज्ञान वर्ग के हजारों छात्र मनचाहे विषयों की पढ़ाई कर पा रहे हैं। आर्ट के विद्यार्थियों के लिए भी प्रस्ताव तैयार करने के बारे में चर्चा की गई और प्रस्ताव तैयार किया जाने लगा। पीयू में तो यह सिस्टम काम कर रहा है, लेकिन इससे संबद्ध 200 कॉलेजों में दो साल बीत जाने के बाद भी 1.20 लाख विद्यार्थियों को इसका लाभ नहीं मिल पाया। हालांकि सिंडिकेट व सीनेट की बैठकों में भी यह प्रस्ताव ले जाया गया था, लेकिन निर्णय क्या हुआ, यह पता नहीं चला। हालांकि बताया जा रहा है कि नए शैक्षिक सत्र तक इसे लागू कर दिया जाएगा, लेकिन तैयारियां अभी पूरी नहीं हुई हैं।
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पर्दाफाश के डर से कुछ कॉलेज कर रहे हैं विरोध
सीबीसीएस सिस्टम का विरोध कुछ कॉलेज कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि इस सिस्टम से छात्रों को रेगुलर पढ़ाई करनी होगी। हाजिरी भी पूरी होनी चाहिए। कुछ कॉलेजों में यह खेल चल रहा है कि वह केवल छात्रों के दाखिले करने में विश्वास करते हैं, फिर चाहे विद्यार्थी सालभर आए या नहीं। इससे उन्हें नुकसान होगा। हालांकि अब पीयू ने दबाव बनाया है कि उन्हें भी सीबीसीएस सिस्टम को मंजूरी मिलने केबाद यह प्रस्ताव लागू करना होगा। सूत्रों का कहना है कि यह सिस्टम लागू होते ही कुछ कॉलेजों में छात्रों की संख्या में गिरावट आएगी और उससे उनके खेल का खुलासा भी होगा।
विद्यार्थियों के लिए खुलेंगे रोजगार के द्वार
सीबीसीएस के जरिये यदि विद्यार्थी आर्ट के साथ साथ साइंस की भी पढ़ाई करेंगे तो वह नौकरी के लिए साइंस वर्ग में भी अप्लाई कर सकेंगे। यानी कला व विज्ञान के लिए निकलने वाली भर्तियों में आवेदन के हकदार होंगे। हजारों छात्रों के सामने रोजगार के रास्ते खुलेंगे। साइंस वर्ग के पास आउट विद्यार्थियों को इसका लाभ मिल रहा है। वह आर्ट आदि विषयों की पढ़ाई करने सामाजिक क्षेत्र में हिस्सा ले रहे हैं।