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प्रदूषण की चिंताः पर्यावरण विभाग ने मांगा जवाब- सूखे पत्तों का क्या कर रही है पंजाब यूनिवर्सिटी
अमर उजाला नेटवर्क, चंडीगढ़
Published by: पंचकुला ब्यूरो
Updated Fri, 06 Mar 2020 01:27 PM IST
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सड़क पर बिखरे सूखे पत्ते
- फोटो : फाइल फोटो

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देश के कई राज्यों में लगातार वायु की शुद्धता खराब हो रही है। वायु शुद्ध हो, किसी का प्रदूषण से दम न घुटे, इसके लिए समुचित प्रयास किए जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट से लेकर केंद्र सरकार तक इसको लेकर चिंतित है। चंडीगढ़ में भी वायु शुद्धता की ओर तेजी से कार्य हो रहा है। धुआं कहीं से नहीं उठना चाहिए।
इसी कड़ी में पर्यावरण विभाग ने पीयू को चिट्ठी लिखी है और पूछा है कि पेड़ों से नीचे गिरे सूखे पत्तों का क्या किया जा रहा है। 4 अप्रैल तक इसकी रिपोर्ट दें। वहीं पीयू भी जवाब देने की योजना बना रहा है। पीयू का तर्क है कि सूखे पत्तों से पीयू कंपोस्ट खाद तैयार कर रहा है, जो पौधों के ही काम आ रही है।
इसलिए पर्यावरण विभाग ने लिखी चिट्ठी
सूत्रों का कहना है कि पिछले साल कुछ जगहों पर पत्ते जलाने की शिकायतें पीयू से बाहर निकलीं। इससे प्रदूषण की स्थिति पैदा हुई। सूत्रों का कहना है कि इसी को लेकर पर्यावरण विभाग सतर्क हुआ और उन्होंने गंभीरता से लेते हुए पीयू को चिट्ठी लिखी। हालांकि चिट्ठी में इस चीज का जिक्र नहीं है कि पत्ते जलाए गए, लेकिन उन्होंने सूखे पत्तों के उपयोग के बारे में जानकारी मांगी है।
सूत्र का कहना है कि हॉर्टिकल्चर विभाग के अधीन कई कार्य आते हैं, लेकिन कई कार्य ऐसे हैं जो मानकों के मुताबिक नहीं हुए। उस कार्य से पीयू को कोई लाभ नहीं हुआ। उसी में एक रोज फेस्टिवल भी शामिल रहा है। अब पीयू प्रशासन इस विभाग के अन्य कार्यों की भी जांच कराने की योजना बना रहा है।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में पीयू उठा रहा कदम
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में पीयू कदम उठा रहा है। पीयू में चार हजार से अधिक पेड़ हैं। इनमें से 60 फीसदी पेड़ों के दीमक लग चुकी है। कुछ पेड़ सड़कें आदि बनाने के कारण सूख गए हैं। 200 से अधिक पेड़ पीयू ने अभी काटे हैं जो सूख गए। दीमक की रोकथाम के लिए पेड़ों पर दवाओं का छिड़काव हुआ, लेकिन उससे लाभ नहीं हुआ।
दीमक लगातार आगे बढ़ रही है। वहीं विभाग सो रहा है। हालांकि विभाग के कागजों में सबकुछ अच्छा चल रहा है। फिलहाल पीयू पेड़ों के सूखे पत्तों के उपयोग के बारे में जानकारी जुटा रहा है। उसके बाद पर्यावरण विभाग को जवाब दिया जाएगा।
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इसी कड़ी में पर्यावरण विभाग ने पीयू को चिट्ठी लिखी है और पूछा है कि पेड़ों से नीचे गिरे सूखे पत्तों का क्या किया जा रहा है। 4 अप्रैल तक इसकी रिपोर्ट दें। वहीं पीयू भी जवाब देने की योजना बना रहा है। पीयू का तर्क है कि सूखे पत्तों से पीयू कंपोस्ट खाद तैयार कर रहा है, जो पौधों के ही काम आ रही है।
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इसलिए पर्यावरण विभाग ने लिखी चिट्ठी
सूत्रों का कहना है कि पिछले साल कुछ जगहों पर पत्ते जलाने की शिकायतें पीयू से बाहर निकलीं। इससे प्रदूषण की स्थिति पैदा हुई। सूत्रों का कहना है कि इसी को लेकर पर्यावरण विभाग सतर्क हुआ और उन्होंने गंभीरता से लेते हुए पीयू को चिट्ठी लिखी। हालांकि चिट्ठी में इस चीज का जिक्र नहीं है कि पत्ते जलाए गए, लेकिन उन्होंने सूखे पत्तों के उपयोग के बारे में जानकारी मांगी है।
सूत्र का कहना है कि हॉर्टिकल्चर विभाग के अधीन कई कार्य आते हैं, लेकिन कई कार्य ऐसे हैं जो मानकों के मुताबिक नहीं हुए। उस कार्य से पीयू को कोई लाभ नहीं हुआ। उसी में एक रोज फेस्टिवल भी शामिल रहा है। अब पीयू प्रशासन इस विभाग के अन्य कार्यों की भी जांच कराने की योजना बना रहा है।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में पीयू उठा रहा कदम
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में पीयू कदम उठा रहा है। पीयू में चार हजार से अधिक पेड़ हैं। इनमें से 60 फीसदी पेड़ों के दीमक लग चुकी है। कुछ पेड़ सड़कें आदि बनाने के कारण सूख गए हैं। 200 से अधिक पेड़ पीयू ने अभी काटे हैं जो सूख गए। दीमक की रोकथाम के लिए पेड़ों पर दवाओं का छिड़काव हुआ, लेकिन उससे लाभ नहीं हुआ।
दीमक लगातार आगे बढ़ रही है। वहीं विभाग सो रहा है। हालांकि विभाग के कागजों में सबकुछ अच्छा चल रहा है। फिलहाल पीयू पेड़ों के सूखे पत्तों के उपयोग के बारे में जानकारी जुटा रहा है। उसके बाद पर्यावरण विभाग को जवाब दिया जाएगा।