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Ambikapur: पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में पेसा कानून पर जागरूकता अभियान, लखनपुर के परसोडी कला में संगोष्ठी आयोजित

अमर उजाला नेटवर्क, अम्बिकापुर Published by: Digvijay Singh Updated Wed, 24 Dec 2025 08:27 PM IST
सार

पेसा एक्ट दिवस के अवसर पर सरगुजा जिला के लखनपुर विकासखंड के खदान प्रभावित ग्राम परसोडी कला में ग्रामसभा एवं संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में आसपास के गांवों के बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए।

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Awareness campaign on PESA Act in Fifth Schedule area seminar organized in Parsodi Kala of Lakhanpur in Ambika
लखनपुर के परसोडी कला में संगोष्ठी आयोजित - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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पेसा एक्ट दिवस के अवसर पर सरगुजा जिला के लखनपुर विकासखंड के खदान प्रभावित ग्राम परसोडी कला में ग्रामसभा एवं संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में आसपास के गांवों के बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए। बाहर से पहुंचे वक्ताओं ने ग्रामवासियों को पेसा कानून और उसके नियमों की विस्तारपूर्वक जानकारी दी।

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वक्ताओं ने बताया कि छत्तीसगढ़ के बस्तर और सरगुजा संभाग पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। ऐसे क्षेत्रों में पेसा एक्ट ग्रामसभाओं को सशक्त बनाते हुए स्वशासन का अधिकार प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि पेसा कानून को लेकर गांव–गांव में जागरूकता कार्यक्रम जारी रहेगा, ताकि ग्रामीण अपने अधिकारों के प्रति सजग रह सकें और एकजुट होकर न्याय की लड़ाई लड़ सकें।
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कार्यक्रम के दौरान अमेरा कोल परियोजना विस्तार को लेकर पूर्व में ग्रामीणों और प्रशासन के बीच हुई झड़प का भी उल्लेख किया गया। ग्रामीणों ने बताया कि खदान प्रभावित परिवारों ने हाल ही में नव–पदस्थ सरगुजा कलेक्टर अजीत वसंत से मिलकर न्याय दिलाने की मांग की थी। कलेक्टर ने संबंधित नियमों के तहत पुनर्वास और रोजगार के मामलों का कानूनी प्रावधानों के अनुसार निराकरण करने का आश्वासन दिया है।

देवस्थल को नुकसान पहुंचाने पर ग्रामीणों में आक्रोश
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि खदान विस्तार के दौरान गांव के सिवरिहा देवता स्थल को क्षति पहुंचाई गई, जिसे वे अपनी आस्था के साथ खिलवाड़ मानते हैं। उनका कहना है कि जब अन्य धर्मों की आस्था का सम्मान किया जाता है, तो उनके धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाना अस्वीकार्य है। इस मामले में कानूनी कार्रवाई की मांग की गई।

जब तक जान है, लड़ाई रहेगी जारी — खदान प्रभावित ग्रामीण
ग्रामीणों का आरोप है कि पांचवीं अनुसूची क्षेत्र होने के बावजूद ग्रामसभा की सहमति लिए बिना भू-अर्जन एवं खदान विस्तार की कार्रवाई की गई। उनका कहना है कि ग्रामसभा का निर्णय ही सर्वोपरि होता है, इसके बावजूद प्रशासन ने एकतरफा कदम उठाए हैं। कई पीढ़ियों से निवास कर रहे ग्रामीणों का दावा है कि उन्हें उनकी ही जमीन से बेदखल किया जा रहा है।ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा कि अपनी जमीन और अधिकारों की रक्षा के लिए यह संघर्ष जारी रहेगा और वे किसी भी स्तर पर अपनी बात उठाने को तैयार हैं।

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