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CG: 'अब अधिकारियों के शपथ पत्र देने से भी कुछ न होगा', मानसिक चिकित्सालय सेंदरी की अव्यवस्थाओं पर कोर्ट सख्त
अमर उजाला नेटवर्क, बिलासपुर
Published by: आकाश दुबे
Updated Tue, 05 Aug 2025 11:37 PM IST
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सार
हाईकोर्ट की निगरानी के बावजूद व्यवस्था में सुधार नहीं होने पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि यह सही नहीं है। कोर्ट ने राज्य सरकार को जवाबदेही तय करने को कहा और स्वास्थ्य सचिव को निर्देश दिए के कि वे अगली सुनवाई तक निरीक्षण कर पूरी रिपोर्ट दें।

बिलासपुर हाईकोर्ट
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
प्रदेश के एकमात्र मानसिक चिकित्सालय सेंदरी की अव्यवस्थाओं पर हाईकोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि अस्पताल की व्यवस्था इतनी खराब है कि अब अधिकारियों के शपथ पत्र देने से भी कुछ नहीं होगा। हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव को अस्पताल का दौरा और निरीक्षण करने कहा है। उनके साथ में दो कोर्ट कमिश्नर एडवोकेट हिमांशु पांडे और एडवोकेट ऋषि राहुल सोनी रहेंगे।
टीम में शामिल लोग अस्पताल में कमियों पर एक रिपोर्ट तैयार कर हाईकोर्ट में एक सप्ताह में प्रस्तुत करेंगे। सुनवाई के दौरान यह बात भी सामने आई कि अस्पताल में अल्ट्रासाउंड के साथ ही दूसरी मशीनें नहीं हैं। जांच के लिए मरीजों को सिम्स लाने की मजबूरी है। इस दौरान अस्पताल स्टाफ के साथ ही परिजनों को भी परेशानी होती है। हाईकोर्ट ने इस पर अधिकारियों से सवाल किया और मेंटर हास्पिटल में ही जांच और इलाज की व्यवस्था क्यों नहीं है?
हाईकोर्ट की निगरानी के बावजूद व्यवस्था में सुधार नहीं होने पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि यह सही नहीं है। कोर्ट ने राज्य सरकार को जवाबदेही तय करने को कहा और स्वास्थ्य सचिव को निर्देश दिए के कि वे अगली सुनवाई तक निरीक्षण कर पूरी रिपोर्ट दें। पिछली सुनवाई में मुख्य सचिव ने व्यक्तिगत शपथ पत्र में कहा था कि उनके निर्देश पर आयुक्त सह निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं, छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य नोडल अधिकारी (एनएमएचपी) के साथ 1 अप्रैल 2025 को मानसिक अस्पताल सेंदरी का दौरा कर निरीक्षण किया और रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। इसके अलावा सचिव स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, छत्तीसगढ़ शासन ने खुद 8 अप्रैल 2025 को मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सालय सेंदरी का भ्रमण कर निरीक्षण किया और कमियों को दूर करने और सुधारात्मक उपाय करने के निर्देश दिए गए।
सुनवाई के दौरान यह बात भी सामने आई कि अस्पताल में शासकीय सेटअप से डॉक्टर कम हैं। महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि सेंदरी अस्पताल को लेकर शासन गंभीर है और नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किए गए हैं। कोर्ट कमिश्नर ने सुनाई के दौरान बताया कि डॉक्टर और स्टाफ सिर्फ एक से डेढ़ घंटे अस्पताल में रहते हैं, जबकि उन्हें सुबह 8 से 2 बजे तक रहना चाहिए। इस बात की तस्दीक रजिस्टर और सीसीटीवी फुटेज से होती है। डॉक्टर देर से आते हैं और बायोमेट्रिक उपस्थिति भी दर्ज नहीं कराते। वाटर कूलर सही नहीं है। सफाई का भी ध्यान नहीं रखा जाता। इस पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है।

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टीम में शामिल लोग अस्पताल में कमियों पर एक रिपोर्ट तैयार कर हाईकोर्ट में एक सप्ताह में प्रस्तुत करेंगे। सुनवाई के दौरान यह बात भी सामने आई कि अस्पताल में अल्ट्रासाउंड के साथ ही दूसरी मशीनें नहीं हैं। जांच के लिए मरीजों को सिम्स लाने की मजबूरी है। इस दौरान अस्पताल स्टाफ के साथ ही परिजनों को भी परेशानी होती है। हाईकोर्ट ने इस पर अधिकारियों से सवाल किया और मेंटर हास्पिटल में ही जांच और इलाज की व्यवस्था क्यों नहीं है?
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हाईकोर्ट की निगरानी के बावजूद व्यवस्था में सुधार नहीं होने पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि यह सही नहीं है। कोर्ट ने राज्य सरकार को जवाबदेही तय करने को कहा और स्वास्थ्य सचिव को निर्देश दिए के कि वे अगली सुनवाई तक निरीक्षण कर पूरी रिपोर्ट दें। पिछली सुनवाई में मुख्य सचिव ने व्यक्तिगत शपथ पत्र में कहा था कि उनके निर्देश पर आयुक्त सह निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं, छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य नोडल अधिकारी (एनएमएचपी) के साथ 1 अप्रैल 2025 को मानसिक अस्पताल सेंदरी का दौरा कर निरीक्षण किया और रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। इसके अलावा सचिव स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, छत्तीसगढ़ शासन ने खुद 8 अप्रैल 2025 को मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सालय सेंदरी का भ्रमण कर निरीक्षण किया और कमियों को दूर करने और सुधारात्मक उपाय करने के निर्देश दिए गए।
सुनवाई के दौरान यह बात भी सामने आई कि अस्पताल में शासकीय सेटअप से डॉक्टर कम हैं। महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि सेंदरी अस्पताल को लेकर शासन गंभीर है और नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किए गए हैं। कोर्ट कमिश्नर ने सुनाई के दौरान बताया कि डॉक्टर और स्टाफ सिर्फ एक से डेढ़ घंटे अस्पताल में रहते हैं, जबकि उन्हें सुबह 8 से 2 बजे तक रहना चाहिए। इस बात की तस्दीक रजिस्टर और सीसीटीवी फुटेज से होती है। डॉक्टर देर से आते हैं और बायोमेट्रिक उपस्थिति भी दर्ज नहीं कराते। वाटर कूलर सही नहीं है। सफाई का भी ध्यान नहीं रखा जाता। इस पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है।