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Korba: भू-विस्थापितों ने बुलंद की आवाज, SECL गेवरा कार्यालय में दो परिवारों ने किया सत्याग्रह, दी ये चेतावनी

अमर उजाला नेटवर्क, गेवरा/कोरबा Published by: आकाश दुबे Updated Thu, 27 Nov 2025 03:35 PM IST
सार

भू-विस्थापित जोहनराम निर्मलकर और ललित महिलांगे ने अपने परिवार के साथ दोपहर दो बजे से शाम छह बजे तक करीब चार घंटे एसईसीएल गेवरा कार्यालय के भीतर शांतिपूर्ण सत्याग्रह पर बैठे रहे, उनकी मुख्य मांगों में मुआवजा, बसाहट, एग्रेशिया राशि और परिवार के सदस्य के लिए वैकल्पिक रोजगार का त्वरित निराकरण शामिल है।

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Two families of land displaced people staged a Satyagraha at SECL Geevra office
कार्यालय में प्रदर्शन करते लोग - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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वादा खिलाफी के विरोध में दो भू-विस्थापित परिवारों ने गुरुवार को साऊथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) गेवरा कार्यालय में लगभग करीब चार घंटे तक महाप्रबंधक कार्यालय के अंदर धरना प्रदर्शन कर अपनी मांगों को पुरजोर तरीके से उठाया। भू-विस्थापित जोहनराम निर्मलकर और ललित महिलांगे ने अपने परिवार के साथ दोपहर दो बजे से शाम छह बजे तक करीब चार घंटे एसईसीएल गेवरा कार्यालय के भीतर शांतिपूर्ण सत्याग्रह पर बैठे रहे, उनकी मुख्य मांगों में मुआवजा, बसाहट, एग्रेशिया राशि और परिवार के सदस्य के लिए वैकल्पिक रोजगार का त्वरित निराकरण शामिल है।

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धरना स्थल पर जोहनराम निर्मलकर ने प्रबंधन की उदासीनता पर गहरा रोष व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने अपने एक मकान को अपनी पुत्री के नाम कराया था, जिसकी दो साल पहले मौत हो जाने पर मुआवजा लटका पड़ा है। अगर उनकी नातिन (पुत्री लता की संतान) के मकान की परिसंपत्तियों का उचित मुआवजा नहीं मिला तो वे अपनी नातिन को एसईसीएल को सौंप देंगे। दूसरे परिवार के ललित महिलांगे ने प्रबंधन को स्पष्ट और कड़ी चेतावनी देते हुए कहा अगर एक सप्ताह के भीतर मुआवजा नहीं दिया गया तो वह यहीं एसईसीएल कार्यालय परिसर में नग्न होकर प्रदर्शन करेंगे। 

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समस्याओं के निराकरण के लिए सौंपा ज्ञापन
लगभग तीन घंटे के धरना-प्रदर्शन के बाद दोनों परिवारों ने एसईसीएल प्रबंधन को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा, ज्ञापन में उन्होंने अपनी लंबित समस्याओं के जल्द से जल्द और संतोषजनक निराकरण की मांग की है।

भू-विस्थापितों का कहना है कि एसईसीएल द्वारा अधिग्रहित उनकी जमीन और मकानों के बदले उन्हें आज तक उनके वादे के अनुसार मुआवजा और पुनर्वास का लाभ नहीं मिला है, जिसके कारण उनके परिवार आर्थिक और सामाजिक संकट झेल रहे हैं। उन्होंने साफ किया कि जब तक उनकी मांगों का उचित निराकरण नहीं होता, वे अपना संघर्ष जारी रखेंगे।

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