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CG: अब स्कूलों में आवारा कुत्तों पर भी नजर रखेंगे प्रधान पाठक और प्राचार्य, शिक्षा विभाग ने जारी किया निर्देश
अमर उजाला नेटवर्क, रायपुर
Published by: अमन कोशले
Updated Fri, 21 Nov 2025 11:45 AM IST
सार
नए आदेश के अनुसार, प्राथमिक और मध्य विद्यालयों के प्रधान पाठकों, हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों के प्राचार्यों को अब पढ़ाई के साथ-साथ स्कूल परिसर और आसपास मौजूद आवारा कुत्तों की निगरानी का जिम्मा भी निभाना होगा।
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
छत्तीसगढ़ के शासकीय स्कूलों में अब शिक्षा के साथ सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। लोक शिक्षण संचालनालय ने नया आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि प्राथमिक और मध्य विद्यालयों के प्रधान पाठकों, हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों के प्राचार्यों को अब पढ़ाई के साथ-साथ स्कूल परिसर और आसपास मौजूद आवारा कुत्तों की निगरानी का जिम्मा भी निभाना होगा।
आदेश के मुताबिक, यदि स्कूल परिसर या उसके आस-पास कोई आवारा कुत्ता देखा जाता है तो संस्था प्रमुख को तुरंत संबंधित ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत या नगरीय निकाय के डॉग कैचर अधिकारी को इसकी सूचना देनी होगी। विद्यालय स्तर पर इन्हें इस मामले में नोडल अधिकारी माना जाएगा।
सिर्फ सूचना देना ही नहीं, बल्कि स्कूल के अंदर इन कुत्तों के प्रवेश को रोकने के लिए आवश्यक प्रबंधन भी संस्था प्रमुखों की जिम्मेदारी होगी। यदि किसी छात्र को कुत्ता काटता है, तो संबंधित स्कूल प्रमुख को बिना देरी किए बच्चे को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए पहुंचाना अनिवार्य होगा।
इसके साथ ही पहले जारी निर्देशों के आधार पर सभी विद्यालयों में छात्रों और स्टाफ को पशुओं के आसपास सावधानी, कुत्ता काटने की स्थिति में प्राथमिक उपचार और रिपोर्टिंग प्रक्रिया के बारे में जागरूक करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
उधर, सुप्रीम कोर्ट द्वारा आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और उनके प्रबंधन को लेकर दिए गए निर्देशों के बाद राज्य शासन भी सक्रिय दिखाई दे रहा है। इसी क्रम में विभिन्न विभागों को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। इनमें नगरीय प्रशासन, पंचायत विभाग, स्वास्थ्य विभाग, पशुधन विकास, लोक निर्माण विभाग, स्कूल एवं उच्च शिक्षा विभाग तथा राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र शामिल हैं। यह आदेश प्रदेशभर के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों और संयुक्त संचालकों को भेज दिया गया है और इसके पालन पर विशेष निगरानी रखने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।
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आदेश के मुताबिक, यदि स्कूल परिसर या उसके आस-पास कोई आवारा कुत्ता देखा जाता है तो संस्था प्रमुख को तुरंत संबंधित ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत या नगरीय निकाय के डॉग कैचर अधिकारी को इसकी सूचना देनी होगी। विद्यालय स्तर पर इन्हें इस मामले में नोडल अधिकारी माना जाएगा।
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सिर्फ सूचना देना ही नहीं, बल्कि स्कूल के अंदर इन कुत्तों के प्रवेश को रोकने के लिए आवश्यक प्रबंधन भी संस्था प्रमुखों की जिम्मेदारी होगी। यदि किसी छात्र को कुत्ता काटता है, तो संबंधित स्कूल प्रमुख को बिना देरी किए बच्चे को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए पहुंचाना अनिवार्य होगा।
इसके साथ ही पहले जारी निर्देशों के आधार पर सभी विद्यालयों में छात्रों और स्टाफ को पशुओं के आसपास सावधानी, कुत्ता काटने की स्थिति में प्राथमिक उपचार और रिपोर्टिंग प्रक्रिया के बारे में जागरूक करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
उधर, सुप्रीम कोर्ट द्वारा आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और उनके प्रबंधन को लेकर दिए गए निर्देशों के बाद राज्य शासन भी सक्रिय दिखाई दे रहा है। इसी क्रम में विभिन्न विभागों को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। इनमें नगरीय प्रशासन, पंचायत विभाग, स्वास्थ्य विभाग, पशुधन विकास, लोक निर्माण विभाग, स्कूल एवं उच्च शिक्षा विभाग तथा राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र शामिल हैं। यह आदेश प्रदेशभर के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों और संयुक्त संचालकों को भेज दिया गया है और इसके पालन पर विशेष निगरानी रखने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।