Delhi Budget 2025: 27 वर्ष बाद दिल्ली को मिला समावेशी विकास का बजट
भाजपा सरकार का यह बजट दिल्ली के इतिहास में अभूतपूर्व है, जो पहली बार एक लाख करोड़ रुपए का है। 27 साल बाद आए इस बजट ने साबित किया कि मोदी की गारंटी पूरी होने की गारंटी है।
भाजपा सरकार का यह बजट दिल्ली के इतिहास में अभूतपूर्व है, जो पहली बार एक लाख करोड़ रुपए का है। 27 साल बाद आए इस बजट ने साबित किया कि मोदी की गारंटी पूरी होने की गारंटी है।
विस्तार
Delhi Budget 2025: भाजपा सरकार द्वारा पेश किया गया यह बजट अपने आप में अप्रतिम और ऐतिहासिक है क्योंकि दिल्ली के इतिहास में पहली बार किसी सरकार ने एक लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया है। 27 वर्ष बाद भाजपा सरकार के इस पहले बजट की घोषणाओं ने यह प्रमाणित कर है कि मोदी की गारंटी असलियत में गारंटी पूरा होने की भी गारंटी है।
दरअसल, 10 वर्षों आम आदमी पार्टी दिल्ली में नाकामियों का रोना रोती रही जबकि अपनी अक्षमताओं का दोष दूसरों पर फोड़ती रही और दिल्ली का विकास करने की बजाय सिर्फ झूठ बोलती रही लेकिन भाजपा ने अपने विकास के वादे को धरातल पर उतार कर दिखाया है। सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि भाजपा शासित हर राज्य में न सिर्फ विकास की नीतियां बनती हैं बल्कि वे जमीन पर क्रियान्वित होकर जनकल्याण में सक्रिय भूमिका भी निभाती हैं।
भाजपा न सिर्फ पंचवर्षीय योजनाओं को पांच वर्षों में पूरा करना का लक्ष्य लेती है बल्कि हर वर्ष का विभागवार खर्च और विकास उसी वर्ष में पूरा भी करती है। इसीलिए दिल्ली की जनता ने प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी पर मुहर लगाई थी और आज वह विश्वास भाजपा ने चरितार्थ करके दिखाया है।
यह बजट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित दिल्ली के संकल्प को सिद्ध करने की ओर पहला कदम तो है लेकिन साथ इसने इस लक्ष्य की प्राप्ति का ब्लूप्रिंट भी सामने रख दिया है। पूंजीगत् व्यय को 15 हजार करोड़ से बढ़ाकर 28 हजार करोड़ यानि लगभग सीधे 87 प्रतिशत की बढ़ोतरी यह दिखाती है भाजपा सरकार ही आम आदमी का सर्वांगीण विकास कर सकती है और यह बजट ‘समृद्ध दिल्ली’ के सपने को साकार करने वाला बजट है।
भाजपा सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया, जो पिछले साल की तुलना में 31% अधिक है। इस बजट में शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना और महिला सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है। स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 6,874 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जिसमें अस्पतालों के लिए 1,000 करोड़ रुपये और आरोग्य आयुष मंदिर योजना के लिए 320 करोड़ रुपये शामिल हैं।
शिक्षा सुधार के लिए 100 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं, जबकि 100 सरकारी स्कूलों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस युक्त लैंग्वेज लैब और 175 नई कंप्यूटर लैब स्थापित करने का प्रावधान किया गया है।
स्मार्ट क्लासेस के लिए भी 100 करोड़ रुपये का विशेष बजट रखा गया है। गरीब छात्रों को मुफ्त लैपटॉप देने की योजना भी बजट का हिस्सा है। जल आपूर्ति और स्वच्छता व्यवस्था के सुधार के लिए 9,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जबकि इमरजेंसी वाटर स्टोरेज की व्यवस्था के लिए 150 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है।
बजट में आधारभूत संरचना विकास पर जोर दिया गया है, जिसमें सड़क और पुल निर्माण के लिए 3,843 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। 28,000 करोड़ रुपये की पूंजीगत व्यय राशि सड़कों, नालों और सीवेज सुधार कार्यों पर खर्च की जाएगी। सीवेज ट्रीटमेंट प्लान के लिए 500 करोड़ रुपये और पुरानी सीवर लाइनों के नवीनीकरण के लिए 250 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं।
महिला सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए 50,000 अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे और महिला समृद्धि योजना के तहत 5,100 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। मातृत्व वंदन योजना के लिए 210 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
व्यापारियों के कल्याण हेतु ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन का गठन किया जाएगा और अटल कैंटीन योजना के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। दिल्ली ग्लोबल समिट के आयोजन की भी घोषणा की गई है। सरकार का यह बजट समावेशी विकास और बुनियादी सुविधाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
एक तरफ दिल्ली का यह आशावादी और संभावनाओं से भरा हुआ बजट है और दूसरी तरफ कांग्रेस की राज्य सरकारें हैं जहां वित्तीय स्थिति दिन ब दिन खस्ताहाल होती जा रही है। तेलंगाना, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने चुनाव जीतने के लिए लोकलुभावन और व्यावहारिक रूप से असंभव वादे कर दिए और जब सरकार बनी तो उन वादों को पूरा करने के लिए पूरे राज्य के फंड्स को अस्त व्यस्त कर दिया। इनके वादे खोखले तो साबित हुए ही लेकिन इनसे राज्य पर पड़े बोझ ने इन राज्यों के विकास को कई वर्षों पीछे धकेल दिया। तेलंगाना में किसानों की कर्जमाफी हो या हिमाचल में महिलाओं को वित्तीय सहायता का वादा, कर्नाटक में मुफ्त बिजली और बेरोजगारी भत्ते की घोषणा, हर मोर्चे पर कांग्रेस सरकारें विफल रही हैं और बजट एवं पैसे का सही इस्तेमाल कर ही नहीं पाई हैं।
इसी तरह आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली के वित्त का बेड़ा गर्क कर दिया। आम आदमी पार्टी की सरकार में परिवहन, स्वास्थ्य और शिक्षा सहित हर विभाग संघर्ष करने लगा था। केजरीवाल की सरकार ने वित्तीय अनुशासन की धज्जियां उड़ाते हुए एक समय लाभ में चलने वाले बजट को घाटे में पहुंचा दिया।
इस तथ्य की पुष्टि भाजपा सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय को 15 हजार करोड़ से बढ़ाकर 28 हजार करोड़ की घोषणा से भी होती है। इस घोषणा से स्पष्ट हुआ है कि दिल्ली के फंड में जनकल्याण के लिए पैसा हुआ करता था लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार उससे आम आदमी का नहीं बल्कि अपने नेताओं का कल्याण किया करती थी।
आप सरकार द्वारा हर विभाग में किए गए बड़े बड़े घोटाले दिल्ली की हालत को खस्ताहाल करने के लिए जिम्मेदार हैं। इसके अलावा आम आदमी पार्टी ने केवल घोषणाओं और विज्ञापनों पर पैसा बहाया, जबकि जनता की वास्तविक जरूरतों की अनदेखी की लेकिन जब भाजपा शासित राज्यों की बात होती हो यह स्पष्ट रूप से सामने आता है कि भाजपा ने हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में जो कहा, वह पूरा किया।
इन राज्यों में विकास के नए कीर्तिमान स्थापित हुए। मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना हो, छत्तीसगढ़ में किसानों के लिए योजनाएं हों, या महाराष्ट्र और हरियाणा में बुनियादी सुविधाओं का विस्तार, भाजपा सरकारों ने जनता की जरूरतों को सर्वोपरि रखा। यही कारण है कि दिल्ली की जनता का प्रधानमंत्री मोदी और उनकी गारंटी पर विश्वास और अधिक सुदृढ़ हुआ है, जो इस बजट में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है।
भाजपा ने दिल्ली के नागरिकों को समर्पित एक ऐसा बजट पेश किया है, जो जनता की भलाई के लिए ठोस कदम उठाने का वादा करता है। इस बजट में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने, नए रोजगार अवसर सृजित करने, ट्रांसपोर्ट सुविधाओं का विस्तार करने और इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने पर जोर दिया गया है।
दिल्ली की आर्थिक दशा को सुधारने के लिए भाजपा ने एक दूरदर्शी नीति अपनाई है, जिससे न केवल वर्तमान समस्याओं का समाधान होगा, बल्कि दिल्ली को भविष्य के लिए एक मजबूत आधार भी मिलेगा। भाजपा सरकार ने इस बजट में दिल्ली चुनाव के दौरान किए गए लगभग हर वादे को पूरा करने का रोडमैप दिल्ली की जनता के समक्ष रख दिया है।
दिल्ली के इस ऐतिहासिक बजट ने स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा विकास की राजनीति करती है, केवल घोषणाओं की नहीं। 'समृद्ध दिल्ली' के सपने को साकार करने वाला यह बजट भाजपा की विकासवादी सोच का प्रत्यक्ष प्रमाण है।