सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Madhya Pradesh ›   Bhopal News ›   Ujjain Simhastha: Land Pooling Act and Bureaucracy

उज्जैन सिंहस्थ: लैंड पूलिंग एक्ट और ब्यूरोक्रेसी

Suresh Tiwari सुरेश तिवारी
Updated Fri, 21 Nov 2025 06:01 AM IST
सार

उज्जैन सिंहस्थ-2028 के लिए लैंड पूलिंग एक्ट निरस्त करने की मांग पर मुख्यमंत्री ने किसानों को पूर्ण वापसी का आश्वासन दिया था, लेकिन बताया जा रहा है कि जारी आदेश आंशिक और भ्रमित करने वाला है। भारतीय किसान संघ ने फिर आंदोलन की चेतावनी दी है। 

विज्ञापन
Ujjain Simhastha: Land Pooling Act and Bureaucracy
ऱाज और नीति: मप्र की सियासी और प्रशासनिक हलचल बताता कॉलम - फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और राजनीतिक केंद्र उज्जैन में वर्ष 2028 में आयोजित होने वाले सिंहस्थ महाकुंभ को लेकर लैंड पूलिंग एक्ट पिछले कई महीनों से चर्चा में है। इस एक्ट को निरस्त करने की मांग को लेकर आरएसएस से जुड़े किसान संगठन- भारतीय किसान संघ द्वारा इस साल फरवरी से लगातार प्रदर्शन किया जा रहा था। यह मामला पहले भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष, फिर अध्यक्ष जेपी नड्डा और अंततः अमित शाह तक पहुंच गया। बताया तो यहां तक गया है कि इस संबंध में अमित शाह ने मुख्यमंत्री यादव को दो-तीन बार तलब भी किया। अंततः मुख्यमंत्री ने तीन-चार दिन पहले किसान नेताओं के साथ लंबी बैठक की और इसे वापस लेने का आश्वासन दिया। लेकिन, किसान नेताओं का आरोप है कि जो आदेश नगरीय आवास और विकास विभाग द्वारा जारी जारी किया गया है, वह मुख्यमंत्री से हुई वार्ता के अनुसार नहीं है। उनका आरोप है कि वार्ता में लैंड पूलिंग एक्ट का गजट नोटिफिकेशन रद्द करने का निर्णय हुआ था, उज्जैन में किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने और सिंहस्थ क्षेत्र में कोई भी स्थाई निर्माण नहीं करने की बात कही गई थी। सरकार से बात धारा खत्म करने की हुई थी। उनका आरोप है कि जारी आदेश तो उलझाने वाला लगता है। यह तो नहीं कहा जा सकता कि जो आदेश निकला है, वह मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप है या नहीं, लेकिन इससे राजनीतिक रूप से मुख्यमंत्री की परेशानी बढ़ सकती है, क्योंकि किसान संघ ने एक बार फिर से अपने पुराने आंदोलन की राह पर चलने की चेतावनी दे दी है और यह भी कहा है कि इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी। ऐसे में माना जा रहा है कि इसमें ब्यूरोक्रेसी से कहीं कुछ समझने में गलती तो नहीं हो गई!

Trending Videos


प्रदेश में भी एसआईआर बना सिर दर्द
प्रदेश में इन दिनों चल रहा मतदाता गहन पुननिरीक्षण 'एसआईआर' मतदाताओं और शासकीय कर्मचारियों के लिए सिरदर्द बना हुआ है। बताया गया है कि जब बीएलओ मतदाताओं के पास जाता है तो इतनी ज्यादा पूछताछ होती है कि मतदाता या तो समझ ही नहीं पाता है या जानकारी ही नहीं दे पाता है। खासतौर पर ऐसे गरीब मजदूर मतदाता जो चलायमान रहते हैं, उनके लिए तो यह जानकारी देना लगभग असंभव होता है। स्वाभाविक है जब उनसे कहा जाएगा कि 2003 में आप कहां थे, आपका मतदाता कार्ड कहां है, ऐसे में वह गरीब आदमी ऐसा रिकॉर्ड कहां से दिखाएगा। कुल मिलाकर यह एक्सरसाइज मध्य प्रदेश में परेशानी का सबब बनी हुई है। हालत यह है कि झाबुआ जिले में एक बीएलओ को निलंबित करने के बाद तनाव के कारण उसकी मौत की जानकारी मिली है। कुल मिलाकर मध्य प्रदेश सरीखे बड़े राज्य में मतदाता गहन परीक्षण को व्यवस्थित और सही तरीके से पूर्ण करने में काफी दिक्कतें आ रही है। हालांकि, निर्वाचन आयोग का लगातार दबाव बना हुआ है, जिससे कलेक्टर से लेकर छोटा कर्मचारी तक तनावग्रस्त है।
विज्ञापन
विज्ञापन


भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को खुशखबर जल्द
बिहार चुनाव के बाद प्रदेश में यह चर्चा जोरों पर है कि क्या अब राजनीतिक नियुक्तियों और मंत्रिमंडल विस्तार का रास्ता साफ हो गया है? सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मोहन यादव मंत्रिमंडल का विस्तार तो फिलहाल नहीं हो रहा है, लेकिन राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर चर्चा फाइनल हो गई है। माना जा रहा है कि इसी महीने में अब कभी भी इस संबंध में घोषणा हो सकती है। बस अब भाजपा नेता और कार्यकर्ता खुशखबरी का इंतजार कर रहे हैं! प्राप्त जानकारी के अनुसार निगम मंडल अध्यक्ष पदों के लिए जिन पूर्व मंत्रियों के नाम लगभग तय माने जा रहे हैं, उनमें रामनिवास रावत, महेंद्र सिंह सिसोदिया, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, उमाशंकर गुप्ता, अरविंद भदौरिया, कमल पटेल और अंचल सोनकर के नाम प्रमुख हैं। विश्वसनीय सूत्रों ने बताया कि कुछ पूर्व विधायकों को भी एडजस्ट किया जा सकता है। इनमें मंदसौर से पूर्व विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया, टीकमगढ़ के पूर्व विधायक राकेश गिरि, खाचरौद के पूर्व विधायक दिलीप शेखावत के नाम सामने आ रहे हैं। इसके अलावा इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और भोपाल के कई प्रमुख नेताओं को भी एडजस्ट करने की बात हो रही है।

मंत्रालय में बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की तैयारी 
प्रदेश के प्रशासनिक गलियारों में चर्चा है कि जल्द ही एक और बड़ी प्रशासनिक सर्जरी मंत्रालय स्तर पर हो सकती है। इस सर्जरी में कोई एक दर्जन वरिष्ठ आईएएस अधिकारी प्रभावित हो सकते हैं। इनमें दो-तीन अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों के नाम सामने आ रहे हैं। कुछ अधिकारियों को अतिरिक्त जवाबदारियों से मुक्त किया जा सकता है। सूत्रों पर अगर भरोसा किया जाए तो जनजातीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव गुलशन बामरा को मुख्य धारा का बड़ा विभाग मिल सकता है। दो-तीन संभागों के कमिश्नर के बदले जाने की भी चर्चा है, जिन्हें अब मंत्रालय पदस्थ किया जा सकता है। ऐसे संभागों में जहां प्रमोटी अधिकारी कमिश्नर हैं, उनके स्थान पर सीधी भर्ती के आईएएस अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। इस संबंध में पता तो यहां तक चला है कि मुख्य सचिव की मुख्यमंत्री से प्रारंभिक चर्चा भी हो गई है।

सीएम कार्यकाल के दो वर्ष: कार्यकर्ताओं को मिलेगी सौगातें 
डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल को 12 दिसंबर 2025 को 2 वर्ष पूर्ण होने वाले हैं। मुख्यमंत्री इस अवसर पर पार्टी के कार्यकर्ताओं को फील्ड स्तर तक सौगात देने का मन बना चुके हैं। मुख्यमंत्री के इस कदम को मैदानी स्तर पर भाजपा कार्यकर्ताओं को खुश करने की कवायद माना जा रहा है। प्रदेश के नगरीय निकायों में एल्डरमैन के रिक्त पदों को भरने के साथ ही स्थानीय महाविद्यालयों में जन भागीदारी समिति के अध्यक्ष भी मनोनीत करने की तैयारी की जा रही है। पता चला है कि प्रदेश के विभिन्न नगरीय निकायों में एल्डरमैन के रिक्त पद हैं, जिन्हें अब भरने के काम को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

  • डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है। अपने विचार हमें blog@auw.co.in पर भेज सकते हैं। लेख के साथ संक्षिप्त परिचय और फोटो भी संलग्न करें।

 

विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed