विश्व साहित्य का आकाश: बर्गमैन का जादूई चिराग
- एक प्रतिभाशाली व्यक्ति के मस्तिष्क को खोल कर दिखाने वाली किताब ‘द मैजिक लैंटर्न’ बर्गमैन के विचित्र व्यवहार को भी दिखाती है।
- ‘द मैजिक लेंटर्न’ संस्मरणात्मक आत्मकथा है।

विस्तार
14 जुलाई 1918 को एक पादरी एरिक बर्गमैन के घर जन्मे अर्नेस्ट इंग्मर बर्गमैन को नौ बार ऑस्कर हेतु नामांकन मिला, वैसे ऑस्कर तो उन्हें न मिला, पर 81 दूसरे पुरस्कार उन्हे मिले। एक साथ स्क्रिप्ट राइंटिंग, फिल्म, टीवी, ऑपेरा एवं नाटक में सक्रिय बर्गमैन ने कुल 62 फिल्में निर्देशित कीं। पर नाटक उनका पहला प्यार था, उनकी सारी फिल्में आत्मकथात्मक हैं।

‘द बेस्ट इंटेंसन्स’ में वे अपने माता-पिता की शादी दिखाते हैं। ‘सन्डे’ज चिल्ड्रेन’ में उनका अपने पिता के साथ साइकिल पर घूमना प्रदर्शित है। ‘टोर्मेंट’ उनकी निर्देशित पहली फिल्म है, इसका कुछ हिस्सा उन्होंने निर्देशित किया है। उनकी निर्देशित अंतिम फिल्म का नाम ‘फेनी एंड एलेक्जेंडर’ है। 30 जुलाई 2007 को वे नींद में गुजर गए।
मगर आज यहां उनकी फिल्मों की नहीं, वरन उनकी किताब ‘द मैजिक लेंटर्न’ की बात करती हूं। जिस आत्मकथा के बारे में न्यूयॉर्क टाइम्स का कहना है, वे इसमें अपने अतीत में बार-बार लौटते हैं, उसका मूल्यांकन करते हैं। वहीं न्यूयॉर्क टाइम्स बुक रिव्यू के अनुसार इसमें वे आत्मा का परिदृश्य दिखाते हैं, कई मनोरंजक, जकड़ने वाले रहस्योद्घाटन करते हैं।
‘द मैजिक लेंटर्न’
‘द मैजिक लेंटर्न’ संस्मरणात्मक आत्मकथा है। स्वीडन के इस महान कलाकार ने स्पष्ट रूप से खोल कर अपने जीवन को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर दिया है। वे अपनी असफलताओं को भी नहीं छिपाते हैं। उन्होंने सदैव डॉर्क फिल्में बनाई क्योंकि उनका जीवन सरल न था। इस किताब में वे अपने निजी एवं फिल्म-नाटक संघर्षों को विस्तार से साझा करते हैं।
60 से अधिक वर्ष वे सक्रिय रहे, लेकिन एक समय ऐसा आया, जब इन्कम टैक्स के लफड़े में फंस गए और उन्होंने अपने कई अधूरे काम छोड़े, अपना सब कुछ समेटा और आठ साल केलिए जर्मनी प्रवास कर गए।
‘द मैजिक लेंटर्न’ में वे अपने बचपन, जवानी, अपने विभिन्न संबंधों, अपने कलात्मक विजन की बात करते हैं। एक ओर जहां उनके मन में स्व को लेकर शंका थी वहीं उनके अपने माता-पिता से बहुत जटिल संबंध थे। माता-पिता का वैवाहिक जीवन स्वयं जटिल था।
वे अपनी मां (कैरीन) से कभी सहजता से बात न कर सके। मां के थप्पड़ मारने का चित्रण आप पढ़ कर देखें। वे जानना चाहते थे, क्यों सामाजिक प्रतिष्ठा और निजी जीवन भिन्न होता है? क्यों उनका भाई स्वाभाविक रूप से विकसित नहीं हो पाया। क्यों उनकी बहन रोती रही। क्यों उन्हें ऐसे घाव मिले, जो जीवन भर नहीं भरे। जीवन क्यों इतना क्लेशपूर्ण है।
इतनी जटिलताओं वाला व्यक्ति यदि अवसाद में जाए, तो कोई आश्च्चर्य नहीं। बर्गमैन काफी समय डिप्रेशन में रहे। इस किताब का अंतिम चैप्टर बहुत मर्मस्पर्शी बन पड़ा है, जब वे अपनी मां के शव के पास हैं।
एक प्रतिभाशाली व्यक्ति के मस्तिष्क को खोल कर दिखाने वाली किताब ‘द मैजिक लैंटर्न’ बर्गमैन के विचित्र व्यवहार को भी दिखाती है, जैसे एक बार अचानक आधी रात को घर आए, पत्नी ने उनका आश्चर्य एवं खुशी से स्वागत किया। मगर उन्होंने बिना अपना कोट उतारे कहा कि वे उसे छोड़ कर किसी और के पास जा रहे हैं। इस दृश्य को वे टीवी सीरियल ‘सीन्स फ्रॉम ए मैरिज’ में ले आते हैं। इसीलिए इसको पढ़ने के बाद कुछ लोग बर्गमैन को राक्षस कहते हैं।
असल में पूरी जिंदगी वे केवल और केवल फिल्मों के प्रति समर्पित एवं उसके प्रति वफादार रहे। क्या उनके इस विचित्र व्यवहार में उनका अपने बचपन में अपने पिता के द्वारा पीटा जाना एक कारण नहीं है? पिता द्वारा की पिटाई को वे ‘फेनी एंड एलेक्जेंडर’ फिल्म में ले आते हैं।

एक फिल्ममेकर के मन-मस्तिष्क की झांकी देने वाली किताब का गद्य बहुत प्रवाहमय है। वैसे कहीं-कहीं घटनाओं का संक्षिप्त वर्णन अतृप्ति देता है। एक तरह से यह ‘स्ट्रीम-ऑफ-कॉन्सेसनेस’ में लिखी गई है। इसमें फिल्म बनाने की सृजनात्मक प्रक्रिया और उसकी जद्दोजहद देखने को मिलती है। वे कहीं भी कुछ छिपाते नहीं है और कई बार आत्म-घृणा तक जाते हैं।
वे अपने सहकर्मियों, हैरिएट एंडरसन, लिव उलमान, बीबी एंडरसन, इंग्रिड बर्गमैन, ग्रेटा गार्बो, चर्ली चेपलिन लॉरेंस ओलिवियर जैसे सहयोगियों से अपने संबंध को भी लिखते हैं। मगर अपनी फिल्म के नामी अभिनेताओं के विषय में नहीं लिखते हैं, क्योंकि वे जवित मित्रों के बारे में लिखना नहीं चाहते हैं।
उनके ये शब्दचित्र उनके जीवन को स्वीडन के ग्रामीण इलाके में बीते बचपन से लेकर उनकी हॉलीवुड तक की यात्रा को दिखाते चलते हैं। इस जीवन में कई पत्नियां आती हैं, पत्नियां हैं, साथ में कुछ प्रेमिकाएं भी हैं। बार-बार वे फ्लैशबैक में जाते हैं और अपने जीवन को दिखाते हैं। बचपन की परेशानियों के बावजूद वे लिखते हैं, तीनों बच्चों ने जीवन में जितना कर सकते थे, किया।
वे कहते हैं, तीनों बच्चों में उन्होंने सर्वोत्तम किया। उन्हें सबसे कम नुकसान पहुंचा। उन्हें न्यूनतम हानि हुई क्योंकि उन्होंने खुद के लिए एक अलग चरित्र निर्मित किया, जिसका वास्त्विक बर्गमैन से बहुत कम लेना-देना था। उनके अनुसार जो नुकसान हुआ, वह उनके वयस्क जीवन और उनकी सृजनात्मकता को हुआ।
एक अलग दुनिया में ले जाती है ‘द मैजिक लेंटर्न’
‘द मैजिक लेंटर्न’ मूल किताब स्वीडिश भाषा में है। मेरे पास जॉन टेट का इंग्लिश अनुवाद है। इस विशिष्ट संस्मरणात्मक आत्मकथा में कुछ भी सिलसिलेवार नहीं है। साथ ही कोई कुतर्क नहीं है। इसे हड़बड़ी में पढ़ कर समाप्त नहीं किया जा सकता है। एक सुस्वादु भोजन की तरह इसे धीरे-धीरे चुभला कर, रस लेकर ग्रहण करना होगा। इतना ही नहीं, पचाने से पहले कई दिन जुगाली करनी होगी। तभी इसका वास्तविक आनंद लिया जा सकता है।
जल्दबाजी करेंगे, तो अर्नेस्ट इंग्मर बर्गमैन के निजी जीवन एवं उनके सिने-जीवन में उलझ जाएगें। अच्छा होगा किताब पढ़ने के साथ-साथ बर्गमैन की बनाई आत्मकथात्मक फिल्में ‘द सेवेन्त सील’, ‘वाइल्ड स्ट्राबेरीज’, ‘ऑवर ऑफ द वुल्फ’, ‘स्माइल्स ऑफ ए समर नाइट’, ‘सॉडस्ट एंड टिनसेल’, ‘द मैजिसियन’, ‘प्राइवेट कन्फेसंस’, ‘क्राइज एंड विस्पर्स’, ‘ऑटम सोनाटा’ आदि भी देख लें।
84 स्क्रीनप्ले लिखने वाले बर्गमैन के पैदा होते मां फ्लू से ग्रसित थी, बच्चा भी बीमार था, अत: उसे नानी ले गई। नानी द्वारा स्पंज केक पानी में डुबा कर खिलाने से किताब प्रारंभ होती है। और इसका अंत मां की जुलाई 1918 डायरी को खंगालने से होता है। उनकी मां उनके अवसादग्रस्त पिता से चाह कर भी अलग नहीं हो पा रही हैं। उन्हें बच्चे के जीवित रहने को लेकर शंका है। उनका दूध नहीं उतर रहा है। वे बहुत द्विविधा में हैं।
आप एक बार ‘द मैजिक लेंटर्न’ शुरू करेंगे तो पढ़ते चले जाएंगे।
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