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विश्व साहित्य का आकाश: एनिमल फॉर्म की भविष्यवाणी

Dr. Vijay Sharma डॉ. विजय शर्मा
Updated Sun, 16 Mar 2025 04:01 PM IST
सार

लेखक जॉर्ज ऑर्वल एक ऐसे भविष्य की कल्पना करते हैं, जब जानवर आज से अधिक चालाक होंगे। असल में वे बोल्शेविक क्रांति की विफ़लता पर करारा व्यंग्य करते हैं। साल 1945 में प्रकाशित इस किताब का नाम है ‘एनिमल फॉर्म’।

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history of world literature Animal Farm Novella by George Orwell in hindi
साहित्य की दुनिया - फोटो : Freepik.com
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विस्तार
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यह मनुष्य का स्वभाव है कि वह अपना आगत जानना चाहता है। भविष्य को वह वर्तमान मेंअभी ही पढ़ लेना चाहता है, इसीलिए समाज में भविष्यवाणी करने वाले हैं, हस्तरेखा विज्ञान, जन्म कुंडली पर लोगों की आस्था है। साहित्य में भी यह प्रवृति है। कहा जाता है, जहां न पहुंचे रवि, वहां पहुंचे कवि। साहित्यकारों  की एक शाखा है, ‘फ्यूचरोलोजिस्ट’। वे अपने लेखन में भविष्य में होने वाले समाज का चित्रण करते हैं।

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इस क्षेत्र के एक प्रमुख रचनाकार का नाम है, एल्विन टॉफ्टर। मगर कुछ लोग इस तरह का दावा नहीं करते हैं, फिर भी अपनी रचना में भविष्य की झांकी प्रस्तुत कर देते हैं। वे वर्तमान से असंतुष्ट हो, संकेतों में अपनी बात कहते-लिखते हैं, जो उस समय के वर्तमान को दिखाती है, लेकिन अधिक व्यापक रूप में भविष्य में लागू होती है।
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एक समय हम लोग बड़ी बेसब्री से 1984 का इंतजार कर रहे थे, क्योंकि इसमें लेखक ने किताब ‘1984’ में भविष्य का खाका खीचा था। दूसरी बात थी, उपन्यासकार का भारत में (25 जून 1903 मोतिहारी-21 जून 1950 लंदन) पैदा होना, यह हमारे लिए खास बात थी। जन्म के समय एरिक आर्थर ब्लेयर नाम वाले इसी जॉर्ज ऑर्वल ने अपनी एक किताब में वर्तमान को उकेरते हुए भयावह भविष्य के रूप में स्थापित किया है।

1945 में प्रकाशित इस किताब का नाम है ‘एनिमल फॉर्म’। लेखक जॉर्ज ऑर्वल एक ऐसे भविष्य की कल्पना करते हैं, जब जानवर आज से अधिक चालाक होंगे। असल में वे बोल्शेविक क्रांति की विफ़लता पर करारा व्यंग्य करते हैं। वे चर्च की भी आलोचना करते हैं। इस किताब ‘एनिमल फॉर्म’ का हिन्दी सहित कई भाषाओं में अनुवाद हुआ है।

असल में सब जानवर मेनर फॉर्म के मालिक किसान जॉन्स के दमन से परेशान थे, उसे हटा कर खुद शासन करना चाहते थे। वे उसके खिलाफ आंदोलन करते हैं। शुरू में सब मिल कर संविधान, ‘द सेवन कमांडमेंट्स’ बनाते हैं, अपने फॉर्म को मेनर फॉर्म से बदल कर ‘एनिमल फॉर्म’ नाम देते हैं।

एक-दूसरे को कॉमरेड कह कर संबोधित करते हैं। सब मिलजुल कर काम करते हैं, सबको बराबरी का दर्जा देते हैं। पहले की अपेक्षा अधिक पैदावार करते हैं। जल्द ही अपनी चालाकी के कारण सूअर प्रमुख बन बैठते हैं। सूअर अन्य जानवरों की अपेक्षा धाराप्रावह इंग्लिश बोलते हैं। इंग्लिश बोलना उन्हें दूसरों से भिन्न बनाता है एवं उन्हें शक्ति प्रदान करता है।

उनका पहला लीडर (ओल्ड मेजर) दयालु एवं न्यायप्रिय था। वह जानता था कि सब जानवर बराबर हैं। परंतु जब नेपोलियन लीडर बनता है, तो सब उलट-पुलट जाता है। वह अपने लिए भिन्न नियम बनाता है और खुद केलिए अधिक-से-अधिक शक्ति चाहता है। उसके नियमानुसार सूअरों को बेहतर खाना- दूध एवं सेव मिलना चाहिए और इसके लिए अन्य जानवरों को दिन-रात कड़ी मेहनत करनी है।

वे संविधान में अपने स्वार्थानुसार बदलाव करते जाते हैं। जैसा सदा ऐसे लीडर करते हैं, नेपोलियन खुद लीडर बनने केलिए अपने भाई स्नोबॉल को मार डालता है। स्नोबॉल को मारने का एक अन्य कारण भी था, स्नोबॉल विन्डमिल बनाना चाहता था, उसने आंदोलन में महत्वपूर्ण हिस्सा लिया था और वह बाकी लोगों के बीच लोकप्रिय था। नए शासन शक्तिशालियों द्वारा में खूब अफ़वाहें फ़ैलाई जाती हैं।

history of world literature Animal Farm Novella by George Orwell in hindi
945 में प्रकाशित किताब ‘एनिमल फॉर्म’ - फोटो : Freepik.com

पाठकों को गंभीरता से समझते हैं जॉर्ज ओर्वल

रोचक शैली में लिखित कहानी में स्नोबॉल एवं एक घोड़ा (बॉक्सर) बहुत साहसी थे। बॉक्सर को कितना भी सताया जाए, वह कभी हार नहीं मानता है। स्वार्थी नेपोलियन विन्डमिल को नष्ट करता है, इसका आरोप स्नोबॉल पर लगाता है। नेपोलियन जानवरों से इतना काम लेता है कि अधिकतर जानवर कमजोर हो जाते हैं, कई तो मर जाते हैं। वह चालाक जानवरों की हत्या का आदेश देता है।

जॉर्ज ओर्वल पाठक को बहुत गंभीर विचारों से अवगत करा रहे हैं। दिखा रहे हैं, राजनैतिक यूटोपिया धीरे-धीरे कैसे तानाशाही में बदल जाता है और डिस्टोपिया बन जाता है। पहले उनके संविधानानुसार सब जानवर बराबर थे अब ‘सब जानवर बराबर हैं, लेकिन कुछ जानवर ज्यादा बराबर हैं।’

अक्सर यह देखा गया है लोग जिससे घृणा करते हैं, जिसके प्रति विद्रोह करते हैं, धीरे-धीरे उसी जैसा बन जाते हैं। यहां भी जानवर आदमी से परेशान हो उसके प्रति आंदोलन करते हैं परंतु सत्ता-शक्ति प्राप्त होते ही उसी की तरह बन जाते हैं। कितना बड़ा व्यंग्य है, जानवर आदमी जैसे लोभी, दंभी, स्वार्थी, अत्याचारी, क्रूर बन जाते हैं। मौका मिलते आदमी के दुर्गुण अपना लेते हैं, उसी की तरह व्यवहार करने लगते हैं।

जॉर्ज ओर्वल शिक्षा के महत्व को रेखांतित करते हैं। जनता की भलाई, उसकी प्रगति उचित शिक्षा में निहित है। अशिक्षित जनता की मगज धुलाई (ब्रेन वॉश) बहुत सरल होती है। शिक्षित जनता नेताओं के शब्द जाल, खोखले वादों, भड़काऊ भाषण, झूठे आंकणों के भ्रम में नहीं फंसेगी। अन्यथा न्याय, समानता, प्रगति के दावे के साथ प्रारंभ हो, स्वतंत्रता, न्याय, समानता की धज्जिया उड़ती हम आए दिन देख रहे हैं। कैसे आंदोलन से निकले नेता तानाशाह में परिवर्तित हो जाते हैं यह आज किसी को बताने की आवश्यकता नहीं रह गई है।

ओर्वल अपने ‘1984’ में भी डिस्टोपियन समाज को प्रस्तुत करते हैं। ‘एनिमल फॉर्म’ को बच्चे-वयस्क सब पढ़ सकते हैं, यह दोनों को रुचेगा। गंभीर मुद्दों को उठाने वाली लेकिन प्रतीकात्मक शैली में लिखी, आंख खोलने वाली इस 150 पन्नों की उपन्यासिका अवश्य पढ़ना चाहिए।


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डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है। अपने विचार हमें blog@auw.co.in पर भेज सकते हैं। लेख के साथ संक्षिप्त परिचय और फोटो भी संलग्न करें।

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