विश्व साहित्य का आकाश: द कलर पर्पल- अश्वेत स्त्री का संघर्ष
उपन्यास ‘द कलर पर्पल’ एक स्त्री की कहानी जो दमन-शोषण की अंधेरी दुनिया से शिक्षा के बल पर आत्मविश्वास-आत्मसम्मान के साथ उठ खड़ी होती है, अपनी स्वतंत्र पहचान बनाती है। इस किताब ने एलिस वॉकर को अश्वेत महिलाओं की प्रवक्ता बना दिया। वे अफ्रो-अमेरिकन का इतिहास दुनिया के साथ बांटने को प्रतिबद्ध हैं।
विस्तार
पुलित्जर पुरस्कृत एलिस वॉकर की प्रसिद्ध किताब ‘द कलर पर्पल’ (1982) 94 पत्रों की शृंखला द्वारा पितृसत्तात्मकता से एक स्त्री के निजी प्रतिरोध, स्त्री के सशक्तिकरण का ज्वलंत उदाहरण है। यह ग्रामीण जॉर्जिया में रहने वाली एफ्रो-अमेरिकी स्त्री की कहानी है। बचपन में दो बहनों- सीली और नेटी को अलग कर दिया जाता है, मगर दूरी एवं समय के अंतराल, लंबे समय की चुप्पी के बावजूद उनमें बहनापा, आशा-विश्वास बना रहता है।
एलिस वॉकर में साहस है कि वे कटु सत्य को ईमानदारी के साथ सीधे-सीधे इस उपन्यास में प्रस्तुत करती हैं। ऐसा यथार्थ जिन्हें जानबूझकर अनदेखा किया जाता है, जिन पर कोई बात करना ठीक नहीं समझता है, बात नहीं करना चाहता है। भय है, यदि बात करेंगे को वर्जनाएं टूट जाएंगी, सत्ता को ठेस पहुंचेगी, कुछ लोग कटघरे में घिर जाएंगे। पुरानी धारणाएं भहरा जाएंगी।
घरेलू हिंसा (बलात्कार, जबरन गर्भपात, मारपीट) ऐसा ही एक यथार्थ है जिस पर समाज की संरचना टिकी हुई है, कुछ लोगों का अपने से कमजोर लोगों पर वर्चस्व कायम है। यदि इस विषय को छूआ तो बहुत कुछ हिल जाएगा। वॉकर इसे ही खोलती हैं और जोखिम उठाती हैं।
परिवर्तन की वाहक- एलिस वॉकर
क्या जोखिम उठाए बिना समाज में परिवर्तन आ सकता है? एलिस वॉकर समाज में, न केवल अपने अश्वेत समाज में वरन पूरे अमेरिका या यूं कहें पूरे विश्व में परिवर्तन की वाहक हैं, क्योंकि यह समस्या मात्र अश्वेत-अश्वेत समाज की न होकर सार्वभौमिक और सार्वकालिक है।
उपन्यास अत्याचार, बलात्कार, शक्तिहीनता, शक्ति, बहनापा, भेदभाव, अलगाव, प्रेम, यौन संबंध, घृणा, ईर्ष्या, अस्मिता, आत्मसम्मान, आवेश, ज्ञान और पराशक्ति आदि-आदि को चित्रित करता है।
उपन्यास ‘द कलर पर्पल’ एक स्त्री की कहानी जो दमन-शोषण की अंधेरी दुनिया से शिक्षा के बल पर आत्मविश्वास-आत्मसम्मान के साथ उठ खड़ी होती है, अपनी स्वतंत्र पहचान बनाती है। इस किताब ने एलिस वॉकर को अश्वेत महिलाओं की प्रवक्ता बना दिया। वे अफ्रो-अमेरिकन का इतिहास दुनिया के साथ बांटने को प्रतिबद्ध हैं।
आध्यात्मिक्ता से जुड़ी एलिस वॉकर अपने लेखन में भी इसे अभिव्यक्त करती हैं। लेखन में मानवीय रिश्ता है। एलिस कमजोरों के साथ मजबूती से खड़ी होती हैं, स्त्रियां विपरीत परिस्थियों में संघर्ष करती हैं और सोने की तरह तप कर खरी निकलती हैं, स्त्री-शक्ति, अस्मिता के साथ विजयी होती हैं।
एलिस वॉकर का कहना है कि वे पुरुषों को खुश करने के लिए नहीं लिखती हैं। उस व्यक्ति के प्रति सहानुभूति रखना कठिन है, जो आपके चेहरे पर मुक्का ताने रहता है। एक श्वेत पुरुष स्त्री के साथ जैसा व्यवहार करता है, ठीक वैसा ही व्यवहार अश्वेत पुरुष स्त्री के साथ करता है। अश्वेत स्त्री दोहरी-तिहरी मार झेलती है। वह श्वेत पुरुष, श्वेत स्त्री और अश्वेत पुरुष तीनों की प्रताड़ना सहन करने को बाध्य है।
‘द कलर पर्पल’ की कहानी
‘द कलर पर्पल’ की कहानी बहुत सरल और छोटी-सी है। सीली और नेटी दो बहने हैं, सीली अपने पति मि. (वह इस व्यक्ति के डर से उसका नाम नहीं ले पाती है) और मि. के बच्चों के साथ अमेरिका में रहती है जबकि नेटी एक मिशनरी परिवार के साथ अफ्रीका में। सीली अपने पति की प्रेमिका शुग एवरी की सहायता से खुद का महत्व पहचानती है, अपने क्रूर पति से निकट संबंध स्थापित करती है।
विवाह पूर्व पिता द्वारा बलात्कार के फलस्वरूप उत्पन्न सीली के दो बच्चे अफ्रीका में मिशनरी दम्पत्ति के पास हैं, नेटी उनकी देखभाल कर रही है। जब दोनों बहनें संग थीं, नेटी ने सीली को लिखना-पढ़ना सिखाया था। काफी समय तक सीली को नेटी के विषय में कुछ नहीं पता था क्योंकि उसका पति मि. नेटी के पत्र छिपा देता था। शुग उसे नेटी के पत्र देती है।
पहले सीली अपनी सारी बातें ईश्वर को पत्र लिख कर बताया करती थी, अब वह नेटी को पत्र लिखने लगी। सीली अपनी मेहनत और लगन से बीमार शुग को चंगा करती है। सीली का व्यवहार शुग को सीली के निकट ला देता है। नेटी से सीली को पता चलता है, जिसे वे अपना पा समझती थीं, वह उनका सौतेला पिता था। उनका अपना पिता उनके लिए काफी सम्पत्ति छोड़ गया था। उपन्यास के अंत में नेटी बच्चों सहित अमेरिका आ जाती है। सीली अपना व्यापार स्थापित करती है। शुग, सोफिया और मिस्टर अल्बर्ट तथा सीली में मधुर संबंध विकसित होता है।
उपन्यास की कहानी बीसवीं सदी के प्रारंभ में घटित होती है। बीस साल के लम्बे समय में ज्यों-ज्यों सीली समझदार और शिक्षित होती जाती है, त्यों-त्यों उसके पत्रों की भाषा बदलती जाती है, प्रौढ़ होती जाती है। उपन्यास पाठकों को सीली, नेटी, शुग एवरी, सोफिया और उनके अनुभवों से समृद्ध करता है। उनका दु:ख-दर्द, उनका संघर्ष, उनका बहनापा, उनका विकास, उनका साहस, उनके उठ खड़े होने की अदम्य इच्छा, जिजीविषा पाठक को एफ्रो-अमेरिकन स्त्री जीवन के एक नए आयाम से परिचित कराता है।
एलिस वॉकर की प्रसिद्ध किताब ‘द कलर पर्पल’ पर हॉलीवुड के प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक स्टीवन स्पियलबर्ग ने इसी नाम से फिल्म बनाई। हालांकि इसके लिए द्टीवान स्पियलबर्ग की काफी आलोचना की। फिल्म में शुग की भूमिका में सुंदरी तारिका काफी साफ रंग की मार्ग्रेट एवरी ने की है। नायिका सीली के रूप में वूफी गोल्डबर्ग हैं।
डैनी ग्लोवर मिस्टर अलबर्ट की भूमिका में बड़ी सहजता से उतरते हैं। ओफ्रा विंफ्रे सोफिया के रूप में दर्शकों की सहानुभूति बटोरने में कामयाब हैं। उनकी चाल और व्यवहार सोफिया के व्यक्तित्व से मेल खाता है। अकोसुआ बूसिया ने नेटी की भूमिका की है, पर फिल्म में वह बहुत सीमित है। स्पियलबर्ग पार आरोप है कि उन्होंने फिल्म केलिए उचित अभिनेताओं का चुनाव नहीं किया वे अश्वेत समुदाय का सही प्रतिनिधित्व प्रस्तुत न कर सके।
मेरे विचार से इसके बावजूद स्पियलबर्ग द्वारा निर्मित फिल्म देखी जानी चाहिए। इस उपन्यास ‘द कलर पर्पल’ को न केवल पढ़ा जाना चाहिए बल्कि इसे पढ़ाया भी जाना चाहिए।
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