विश्व साहित्य का आकाश: द टिन ड्रम- तमस के खिलाफ जंग
‘टिन ड्रम’ नोबेल पुरस्कृत गुंटर ग्रास की पहली रचना है। 32 साल की उम्र में रचित उपन्यास के साथ उन्हें विश्व प्रसिद्धि मिल गई। अब तक इसके अनगिनत संस्करण निकल चुके हैं। टाइम पत्रिका ने घोषणा की यह जर्मन साहित्य का ‘सर्वाधिक शानदार उदाहरण’ है। ‘युद्ध के बाद कहीं से भी सुनी गई कदाचित महाआविष्कृत प्रतिभा।’
विस्तार
प्रौढ़ उपन्यास ‘टिन ड्रम’ नोबेल पुरस्कृत गुंटर ग्रास की पहली रचना है। 32 साल की उम्र में रचित उपन्यास के साथ उन्हें विश्व प्रसिद्धि मिल गई। दुनिया की तमाम भाषाओं में उनकी कृति का अनुवाद हुआ है। जर्मन नाम ‘डी ब्लेख्ट्रोमेल’ है। ‘टीन का ढोल बजाना’ मुहावरे का अर्थ उत्पात मचाना है। विपुल लेखन-पुरस्कार-सम्मान वाले गुंटर ग्रास की इस कृति पर फिल्म (निर्देशन: वोल्कर सोन्डोर्फ) बनी।
निरंतर अपना नगाड़ा पीटते रहने वाले नायक के उपन्यास पर ग्रास लिखते हैं, ‘1959 की गर्मियों में मैंने पेरिस में अपना पहला उपन्यास, ‘द टिन ड्रम’ लिख कर समाप्त किया।’ उन्होंने प्रूफ ठीक कर, डस्ट जैकेट के लिए एक चित्र रचा, तभी न्यूयॉर्क से विख्यात प्रकाशक कर्ट वोल्फ ने कहा, ‘मैं तुम्हारी किताब अमेरिका में प्रकाशित करने की सोच रहा हूं। क्या तुम सोचते हो, अमेरिकी पाठक इसे समझेगा?’
ग्रास ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता है।’ उपन्यास की सेटिंग क्षेत्रीय है, डेजिन्ग भी नहीं बल्कि एक खास इलाका। जर्मन की स्थानीय बोली से भरा हुआ। वोल्फ ने ग्रास को बीच में काटते हुए कहा, ‘और कुछ मत कहो, सारा महान साहित्य स्थानीयता से बद्धमूल होता है। मैं इसे अमेरिका में ला रहा हूं।’
जर्मन साहित्य का ‘सर्वाधिक शानदार उदाहरण’
अब तक इसके अनगिनत संस्करण निकल चुके हैं। टाइम पत्रिका ने घोषणा की यह जर्मन साहित्य का ‘सर्वाधिक शानदार उदाहरण’ है। ‘युद्ध के बाद कहीं से भी सुनी गई कदाचित महाआविष्कृत प्रतिभा।’
1899 के काल से प्रारंभ होने वाले उपन्यास का टोन एक साथ त्रासद, कटाक्षपूर्ण, कामुक, धर्म विरोधी, ईशनिंदक और भयानक है। तीन खंड में विभाजित उपन्यास ‘द टिन ड्रम’ दूसरे विश्व युद्ध के बाद ख़त्म होता है। उपन्यास के पीछे ग्रास की बूर्जुआ परवरिश और उनका स्कूली शिक्षा समाप्त न कर पाना कारण रहा हैं।
13 अप्रैल, 2015 को गुंटर ग्रास की मृत्यु पर जर्मनी की सांस्कृतिक मंत्री मोनिका ग्रुएटर्स ने कहा, गुंटर ग्रास सदियों तक स्मरण किए जाएंगे। उनकी साहित्यिक विरासत गोथे के पार्श्व में खड़ी रहेगी। जब तक इस दुनिया में अत्याचार रहेगा गुंटर ग्रास का नगाड़ा बजता रहेगा, हमें अत्याचार के प्रति सचेत करता रहेगा। उपन्यास के पुनर्मूल्यांकन और पुनर्पाठ का काम निरंतर होता रहता है।
‘द टिन ड्रम’ किसी वर्जना को नहीं मानता है... बारम्बार कथानक वर्जित क्षेत्र में प्रवेश करता है, जहां घृणा और कामुकता, मृत्यु और ईशनिंदा का मिश्रण है। मगर यह अमेरिकन स्कूल की पोर्नोग्राफी के विभिन्न तथा तथाकथित ‘स्टार्क रियलिज्म’ से भिन्न है। इसका श्रेय ग्रास की चित्रण वस्तुनिष्ठता है। विकृत रति ‘द टिन ड्रम’ का एक प्रमुख तत्व है। यौनिकता से लबालब ‘द टिन ड्रम’ विभिन्न यौन संबंध दर्शाता है। अधिकतर ऐसे संबंध विवाहेतर हैं।
बाल शोषण, समलैंगिक संबंध, हत्या, लूटपाट, चोरी, बेवफाई यहां चित्रित है। सब कुछ जुगुप्सा से भरा और अस्पष्ट है। नायक ऑस्कर कई लोगों की यौन क्रियाओं को देखता है, खुद विकृत संबंध रखता है। वह ‘अमोरल’ है।
तामसिक काल के ‘द टिन ड्रम’ का नायक ऑस्कर बहुत क्रूर है। कूबड़ उसकी विकृति, समाज की विकृति का प्रतीक है। अपराधबोध से घिरा ऑस्कर हत्या न करके भी हत्या अपने सिर ले लेता है। हिटलर की जघन्यता को सामने लाता है। अंत में नायक ऑस्कर मानसिक अस्पताल में एक गीत गाता है, जो दुष्ट ब्लैक कुक से संबंधित है।
रूसी लोग ऑस्कर के पिता को मार डालते हैं, औरतों का बलात्कार करते हैं। मनहूस-असहनीय दुनिया में ऑस्कर रहना नहीं चाहता है। वह जानबूझ कर मानसिक अस्पताल में भर्ती है।
जटिल कथानक का नायक ऑस्कर तीन साल की उम्र में तीन फुट से अधिक बढ़ने से जिदपूर्वक इंकार कर देता है। उसे ‘तीन गुणा अधिक स्मार्ट, बड़े मजबूत लोगों से बहुत नीचे रहते हुए उनसे कई गुणा बेहतर, अव्वल, उनकी छायाओं से अपनी छाया नापने की आवश्यकता अनुभव नहीं हुई, बाहर और भीतर से भी पूरी तरह परिपक्व था।’ 600 पन्नों का ‘टिन ड्रम’ पढ़ना एक चुनौती है। वाक्य लंबे, जटिल और शैली अनोखी, अतार्किक क्रम, स्वप्न-सी विचित्र बातें हैं।
इस पर बनी एबसर्ड, भयंकर और ब्लैक कॉमेडी फिल्म में वॉइज-ओवर का प्रयोग करते हुए जर्मनी के इतिहास, हिटलर के उदय और नाजी पार्टी की शक्ति और प्रभाव को चित्रित किया है। फिल्म गुंटर ग्रास के सहयोग, विशेष रूप से संवाद लेखन में सहायता से बनाई है।
सर्वोत्तम विदेशी फिल्म का अकादमी पुरस्कार
फिल्म में सेविड बेनेट, मारिया एडोर्फ, एंजेला विंकलर तथा डैनियल ऑल्ब्रा ने प्रमुख भूमिकाएं की हैं। फिल्म को सर्वोत्तम विदेशी फिल्म का अकादमी पुरस्कार मिला। बेचैन करने वाली, दु:स्वप्न जैसी जर्मन भाषा की यह फिल्म इंग्लिश सबटाइटिल के साथ उपलब्ध है।
फिल्म में कांच चटकाने के दृश्य बहुत प्रभावशाली बन पड़े हैं। इफेल टॉवर के नीचे खड़े हिटलर को न्यूजरील फुटेज द्वारा सीपिया टोन में दिखाया गया है, फिल्म हिटलर को कहीं स्पष्ट रूप से नहीं दिखाती है। फिल्म में नाज़ी रैली दिखाने के लिए भी सीपिया टोन का उपयोग किया गया है। कैसे नाज़ी मार्च ऑस्कर के ड्रम बीट पर वाल्ट्ज़ में परिवर्तित हो जाता है, यह दृश्य सिनेमाई कुशलता का प्रतीक है।
इन सब कारणों से गुंटर ग्रास, उनके उपन्यास ‘टिन ड्रम’ और उस पर बनी फिल्म का नगाड़ा बार-बार बजता रहा है। जब तक दुनिया में तमस है, गुंटर ग्रास का कार्य प्रासंगिक बना रहेगा।
कुशाग्र और कुटिल ऑस्कर मैट्जेराथ के शब्दों में ‘द टिन ड्रम’ की पूरी कहानी का निचोड़ है, ‘लाइट बल्ब के नीचे पैदा हुआ, तीन साल की उम्र में अपनी बाढ़ रोक दी, ड्रम मिला, शीशे चटकाए-तोड़े, वनीला सूंघा, चर्च में खखारा... बढ़ना तय किया।
ड्रम कब्र में डाला, पश्चिम गया, पूर्व में जो था उसे खो दिया, पत्थर पर नक्काशी सीखी, मॉडल के लिए मुद्राएं दीं, अपने ड्रम के पास वापिस आया, कॉन्क्रीट का निरीक्षण किया, धन कमाया और अंगुली की देखभाल की, अंगुली छोड़ी, हंसते हुए पलायन किया, गिरफ्तार हुआ, अपराधी ठहराया गया, सजा मिली, कैद में और अब जल्दी आजाद होने वाला है, और आज मेरा जन्मदिन है, मैं तीस साल का हूं और अभी भी सदा की तरह ब्लैक कुक से डरता हूं – आमीन।’
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