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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: इसमें निहित है समतामूलक समाज की स्थापना

Dr uma Shah डॉ उमा शाह
Updated Fri, 10 Feb 2023 04:33 PM IST
सार

किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी पहचान उसकी शिक्षा और संस्कृति से होती है। जीडीपी तो घटती बढ़ती रहती है। सांस्कृतिक पहचान और आर्थिक विकास का समन्वय एक देश के लिए जरूरी भी है।

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National Education Policy 2020: Equality And Value of Taking Marginalized People Are Included In NEP
National Education Policy - फोटो : Istock
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विस्तार
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 किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी पहचान उसकी शिक्षा और संस्कृति से होती है। जीडीपी तो घटती बढ़ती रहती है। सांस्कृतिक पहचान और आर्थिक विकास का समन्वय एक देश के लिए जरूरी भी है। भारत विविधताओं वाला देश है, इसमें कई जातीय समूह हैं, ऐसा आज तक भारतीय शिक्षा में पढ़ाया जाता रहा है और साथ ही साथ यह भी बताया जाता रहा है कि भारत एक विकासशील देश है। यहां उल्लेखित तीनों विशेषताओं (तथाकथित) को आज तक इस प्रकार महिमामंडित किया गया था कि वरिष्ठ पत्रकार तवलीन सिंह अपने एक आलेख में लिखती हैं कि जब से नरेंद्र मोदी  भारत के प्रधानमंत्री, बने हैं, विकसित देशों की विकास में रुचि बढ़ गई है। 

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इसलिए कि मोदी शायद पहले प्रधानमंत्री रहे हैं अपने महान देश के जिन्होंने विकसित बनने के सपने न सिर्फ दिखाए हैं हमको, साथ में ये भी बार-बार कहा है कि हम कुछ ही सालों में विकसित देशों की गिनती में आ जाएंगे।
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ऐसा करके मोदी ने देशवासियों को एक नया रास्ता दिखाया है। वो आगे यह भी लिखती हैं कि पहले हमारे शासक हमारी गरीबी पर नाज करते थे। जब कोई विदेशी आलोचक जिक्र करता था भारत की असफलताओं का तो हमारे राजनेता और आला अधिकारी अकड़ कर जवाब दिया करते थे कि भारत गरीब देश है, इसलिए उसकी तुलना किसी विकसित देश से नहीं की जा सकती है। 

यहां इस लेख का उद्देश्य तवलीन सिंह को कोट करके उनकी लेखन की प्रशंसा करना या माननीय प्रधानमंत्री जी का महिमामंडल करना बिल्कुल नहीं है, बस यह समझाना है कि आज तक हमारी शिक्षा व्यवस्था इस प्रकार रही कि "भारत के लोग गरीब हैं और गरीब ही रहें," यही सत्य बना रहे।

पिछले 70 सालों तक भारत में रोजगार का अर्थ बस सरकारी नौकरी और शिक्षा का उद्देश्य भी नौकरी करना सिखाना रहा है । इसके लिए पुरानी शिक्षा नीति मानस नहीं बना पाई और  एक बौद्धिक जुगाली करने वाली भारी संख्या में बेरोजगार युवाओं की भीड़ खड़ा करती रही।  

National Education Policy 2020: Equality And Value of Taking Marginalized People Are Included In NEP
National Education Policy - फोटो : Istock

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का लक्ष्य

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ऐसे लक्ष्यों को लेकर आगे बढ़ती है जिससे भारत देश के किसी भी बच्चे के सीखने और आगे बढ़ने के अवसरों में उसकी जन्म या पृष्ठभूमि से संबंधित परिस्थिति बाधक न बन पाए। यह नीति इस बात की पुनः पुष्टि करती है कि स्कूली शिक्षा में पहुंच, सहभागिता और अधिगम परिणामों में सामाजिक श्रेणी के अंतरालों को दूर करना ही इसका मुख्य लक्ष्य है।

इस बार गणतंत्र दिवस की झांकी को देखते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में निहित समतमूलक समाज की सहज अनुभूति हुई जहां पहली बार  एकलव्य और बिरसा मुंडा की प्रतिमा झांकी में शामिल हुई और इस गणतंत्र दिवस समारोह में पहली बार किसी जनजातीय महिला राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय ध्वज फहरा के ये संदेश दे दिया कि देश में समता कौन ला रहे हैं और कौन केवल भारत घूम घूम के बस नारे लगा रहे हैं।

मोदी सरकार देश के इतिहास की पहली सरकार है जिसने सबका साथ और सबका विकास न सिर्फ कहा बल्कि कर के भी दिखाया  समता राष्ट्रीय शिक्षा नीति की अवधारणा में निहित है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 शिक्षा व्यवस्था को समाज उपयोगी और राष्ट्र निर्माण जैसे मूल्यों को सृजन करने का कार्य करने में सक्षम है क्योंकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति पूर्णतः भारतीय जड़ों से पोषित और भारत निर्मित है।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदाई नहीं है। अपने विचार हमें blog@auw.co.in पर भेज सकते हैं। लेख के साथ संक्षिप्त परिचय और फोटो भी संलग्न करें।

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