{"_id":"65d2bbab6613af48b90d6e1e","slug":"rbi-udgam-unclaimed-deposits-tracking-money-in-bank-and-investments-vital-2024-02-19","type":"story","status":"publish","title_hn":"अपना पैसा: बैंकों के पास 42 हजार करोड़ से अधिक राशि लावारिस; जमा और निवेश का जरूर रखें रिकॉर्ड वरिष्ठ नागरिक","category":{"title":"Blog","title_hn":"अभिमत","slug":"blog"}}
अपना पैसा: बैंकों के पास 42 हजार करोड़ से अधिक राशि लावारिस; जमा और निवेश का जरूर रखें रिकॉर्ड वरिष्ठ नागरिक
नारायण कृष्णमूर्ति, आर्थिक सलाहकार
Published by: ज्योति भास्कर
Updated Mon, 19 Feb 2024 09:18 AM IST
सार
अपने वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक है कि आप बैंकों में जमा पैसे और अन्य निवेश का रिकॉर्ड जरूर रखें। आंख मूंदकर अपना पैसा बचत एवं निवेश में नहीं लगा सकते और न ही इसे भूल सकते हैं। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां लोग अपनी बचत भूल गए हैं। इसके परिणामस्वरूप बैंकों में करोड़ों रुपये लावारिस जमा पड़े हैं।
विज्ञापन
बैंकों में करोड़ रुपये लावारिस।
- फोटो : Amar Ujala
विज्ञापन
विस्तार
मार्च, 2023 के अंत तक बैंकों में जमा के रूप में 42,272 करोड़ रुपये लावारिस पड़े हैं। आपको लगेगा कि मैं इस आंकड़े को बढ़ा-चढ़ाकर बता रहा हूं, लेकिन आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में यही कहा है। मैं अक्सर यह समझने में असफल रहा हूं कि समझदार भारतीय, जो पैसा बचाने और खर्च करने पर जोर देते हैं, वे कैसे बैंकों में इतना पैसा छोड़ सकते हैं और इसके बारे में भूल सकते हैं। हालांकि, इस मामले में मेरा दृष्टिकोण कुछ सप्ताह पहले बदल गया, जब एक दोस्त ने बताया कि उसके माता-पिता कई साल पहले बैंक में रखे पैसे भूल गए हैं।
मेरे मित्र अविनाश सिंह के माता-पिता की उम्र करीब 80 साल है। उनके पिता रेलवे से वरिष्ठ पद से सेवानिवृत्त हुए थे। वह 25 वर्षों की नौकरी के दौरान देश के कई शहरों और कस्बों में तैनात रहे। इस अवधि में 10 से अधिक जगहों पर तैनाती के दौरान उन्होंने कई बैंकों और डाकघर में पैसा जमा किए थे। सेवानिवृत्ति के बाद पिछले एक दशक से वह पुणे के आसपास कहीं रह रहे हैं और अपने बेटे पर अधिक निर्भर हो गए हैं। बेटा उनका फाइनेंस देखने लगा, जिसमें उनके पिता के कई निष्क्रिय बैंक खातों की जानकारी सामने आई।
पहले इन वजहों से खोले जाते थे कई खाते
सिंह परिवार ऐसा अकेला नहीं है। कई अन्य परिवारों में ऐसे बुजुर्ग हैं, जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों में कई बैंक खोले। इनमें से कुछ खाते इसलिए खोले गए, क्योंकि उन पर संगठनों/संस्थाओं की बाध्यता थी। कई खाते किसी रिश्तेदार या मित्र के कहने पर नए बैंक या शाखा में खोले गए। कुछ ने इसलिए भी खाते खोले, क्योंकि उन्हें कम जमा पर लॉकर आदि की पेशकश की गई थी। इन उदाहरणों के देखकर आपको बिना सोचे-समझे खाता खोलने की होड़ का अंदाजा लग गया होगा। इसकी भी आशंका है कि कर अधिकारियों से पैसे छुपाने के लिए भी कई खाते खोले गए होंगे।
बैंकिंग क्षेत्र में काफी बदलाव, बढ़ी निगरानी
पिछले 10-15 वर्षों में बैंकिंग क्षेत्र में काफी बदलाव आया है। ऑनलाइन और मोबाइल बैंकिंग के आने से कुछ ही खातों के जरिये लेनदेन आसान हो गया है। पैन और आधार को बैंक खाते से लिंक करने से खातों को छुपाना लगभग असंभव हो गया है।
Trending Videos
मेरे मित्र अविनाश सिंह के माता-पिता की उम्र करीब 80 साल है। उनके पिता रेलवे से वरिष्ठ पद से सेवानिवृत्त हुए थे। वह 25 वर्षों की नौकरी के दौरान देश के कई शहरों और कस्बों में तैनात रहे। इस अवधि में 10 से अधिक जगहों पर तैनाती के दौरान उन्होंने कई बैंकों और डाकघर में पैसा जमा किए थे। सेवानिवृत्ति के बाद पिछले एक दशक से वह पुणे के आसपास कहीं रह रहे हैं और अपने बेटे पर अधिक निर्भर हो गए हैं। बेटा उनका फाइनेंस देखने लगा, जिसमें उनके पिता के कई निष्क्रिय बैंक खातों की जानकारी सामने आई।
विज्ञापन
विज्ञापन
पहले इन वजहों से खोले जाते थे कई खाते
सिंह परिवार ऐसा अकेला नहीं है। कई अन्य परिवारों में ऐसे बुजुर्ग हैं, जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों में कई बैंक खोले। इनमें से कुछ खाते इसलिए खोले गए, क्योंकि उन पर संगठनों/संस्थाओं की बाध्यता थी। कई खाते किसी रिश्तेदार या मित्र के कहने पर नए बैंक या शाखा में खोले गए। कुछ ने इसलिए भी खाते खोले, क्योंकि उन्हें कम जमा पर लॉकर आदि की पेशकश की गई थी। इन उदाहरणों के देखकर आपको बिना सोचे-समझे खाता खोलने की होड़ का अंदाजा लग गया होगा। इसकी भी आशंका है कि कर अधिकारियों से पैसे छुपाने के लिए भी कई खाते खोले गए होंगे।
बैंकिंग क्षेत्र में काफी बदलाव, बढ़ी निगरानी
पिछले 10-15 वर्षों में बैंकिंग क्षेत्र में काफी बदलाव आया है। ऑनलाइन और मोबाइल बैंकिंग के आने से कुछ ही खातों के जरिये लेनदेन आसान हो गया है। पैन और आधार को बैंक खाते से लिंक करने से खातों को छुपाना लगभग असंभव हो गया है।
- नियामकीय अनुपालन बढ़ने के साथ बैंकों ने भी निगरानी बढ़ाई, जिससे कई निष्क्रिय खाते सामने आ रहे हैं। कई खाताधारक अब उन पतों पर नहीं रहते हैं, जिसकी जानकारी उन्होंने खाता खोलते समय बैंक को दी थी।
- इसका अर्थ है कि बैंक के पास खाताधारकों से संपर्क का जरिया नहीं है।
- निष्क्रिय खाता फिर से चालू कराने के लिए पुराने बैंक खाते के रिकॉर्ड का पता लगाने और संबंधित बैंक से संपर्क करने से बेहतर कोई तरीका नहीं है।
- आपको फिर से केवाईसी (नो योर कस्टमर) प्रक्रिया से गुजरना होगा। हालांकि, इसमें कई बार भी समय लग सकता है। अगर बैंक दूसरे शहर में है तो कुछ मामलों में यह प्रक्रिया मुश्किल हो सकती है।
- लावारिस धन तक पहुंचाएगा आरबीआई का पोर्टल 'उदगम'
- लोगों को बैंक में पड़े अपने लावारिस धन तक पहुंचाने में मदद करने के लिए आरबीआई ने उदगम (लावारिस जमा-गेटवे टू एक्सेस इनफॉर्मेशन) पोर्टल लॉन्च किया है।
- लावारिस जमा तक पहुंचने के लिए उदगम पोर्टल पर पंजीकरण करना होगा।
- यहां नाम और कॉन्टैक्स डिटेल्स समेत अन्य जरूरी जानकारियां भरनी होंगी।
- खाताधारक का पैन, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस व पासपोर्ट विवरण होना चाहिए।
- प्रासंगिक विवरण दर्ज करने के बाद लावारिस जमा राशि का पता लगा सकेंगे।
- यह सुविधा सात बैंकों...एसबीआई, सिटी बैंक, सेंट्रल बैंक, डीबीएस बैंक, धनलक्ष्मी बैंक, पीएनबी व साउथ इंडियन बैंक में है।