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सुशासन दिवस: भारतीय राजनीति के कीर्तिस्तंभ भारत रत्न अटल जी
सार
- अटल जी ने पारदर्शी, जबावदेह, जनहितैषी शासन व्यवस्था की आधारशिला रखी। उन्होंने स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के माध्यम से देश के चारों कोनों को आपस में जोड़कर प्रमुख औद्योगिक, कृषि, रक्षा, पर्यटन, शिक्षा और सांस्कृतिक केन्द्रों को संसाधन उपलब्ध कराया।
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भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी
- फोटो : अमर उजाला ग्राफिक
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विस्तार
25 दिसम्बर को वंदनीय अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन है। उनका नाम जेहन में आते ही उनके प्रति लोगों का मन श्रद्धा से भर जाता है। अटल जी राजनैतिक क्षेत्र में नैतिकता, शुचिता, गरिमा और मर्यादा के पक्षधर थे। जनसंघ से चुनकर संसद पहुंचने वाले वे सबसे कम उम्र के युवा सांसद थे। अपनी प्रतिभा, शालीनता तथा वक्तृत्व शैली से उन्होंने संसद में अमिट छाप छोड़ी।
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अटल जी के जीवन की शुरुआत एक पत्रकार के रूप में हुई और कालांतर में लेखक, कवि एवं साहित्यकार के रूप में वे ख्याति अर्जित करते गये। जनसंघ के संस्थापक सदस्य, कई बार सांसद, विदेश मंत्री, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, भाजपा संसदीय दल के नेता, लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता, तत्पश्चात् 3 बार देश के प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी सच्चे अर्थों में साधुमना जननेता थे।
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इतने बड़े-बड़े पदों को सुशोभित करने के बावजूद उन्होंने अहंकार को अपने पास भटकने नहीं दिया। पद का मद कभी उनके सिर पर सवार नहीं हो पाया। राजनीति की काजल-कोठरी में अटल जी पर एक भी दाग उनके सम्पूर्ण जीवन में नहीं लगा।
भारतीय राजनीति के अजातशत्रु थे अटल जी
वाजपेयी जी का संपूर्ण जीवन शांति, सह-अस्तित्व, समता, समानता, न्याय और बंधुत्व के आदर्शों का परिपालन करते हुए बीता। वे एक सच्चे राष्ट्रवादी थे और राष्ट्रीय हित के लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर अपने विचार रखते थे। उनका टकराव पर नहीं, सहयोग पर विश्वास था। चाहे वे सत्ता में रहे हों, या फिर विपक्ष में, राष्ट्रहित से संबंधित मुद्दों पर सबकी राय लेते थे, सबको साथ लेकर चलते थे। अटल जी का नाम वैश्विक स्तर के नेताओं में शुमार था।
उन्होंने राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय जगत में मानवता, संवाद और मेल-मिलाप पर आधारित राजनैतिक आचार-विचार व नवाचार की शुरूआत की, जो एक मिसाल बन गई। मानवीय संवेदना से ओतप्रोत उनका हृदय क्षण भर में लाखों लोगों को उनसे जोड़ देता था। वे पारस्परिक सौहार्द बनाने वाले तथा संबंधों को बढ़ाने वाले एक सदाशयी नेता थे। वास्तव में वे भारतीय राजनीति के अजातशत्रु थे।
भारत के विकास के स्वर थे अटल जी
अपने प्रधानमंत्रित्व काल में अटल जी ने पारदर्शी, जबावदेह, जनहितैषी शासन व्यवस्था की आधारशिला रखी। उन्होंने स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के माध्यम से देश के चारों कोनों को आपस में जोड़कर प्रमुख औद्योगिक, कृषि, रक्षा, पर्यटन, शिक्षा और सांस्कृतिक केन्द्रों को संसाधन उपलब्ध कराया।
किसान क्रेडिट कार्ड, सार्वजनिक वितरण प्रणाली तथा सर्व शिक्षा अभियान शुरू किया। उनके नेतृत्व में देश के विकास की बड़ी लम्बी फेहरिस्त है। यह भी प्रासंगिक है कि अटल जी के आदर्शों को अपनाकर हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी भी भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए सतत् कटिबद्ध हैं।
वाजपेयी जी भारत को आर्थिक एवं सैन्य दृष्टि से एक मजबूत राष्ट्र के रूप में देखना चाहते थे और इस दिशा में उनके द्वारा जो कदम उठाए गये, वे निःसंदेह स्तुत्य हैं। लोकतंत्र की रक्षा और 21वीं सदी के सशक्त व सुरक्षित भारत के लिए अटल जी ने जो किया, वह अविस्मरणीय है। उन्होंने लगभग सात दशकों तक विभिन्न दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन करते हुए देश की सेवा की। साथ ही पोखरण में परमाणु परीक्षण कर भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न बनाया।
हिन्दी भाषा को उन्होंने संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन में जो गौरव दिलाया था, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। बतौर भारत के विदेश मंत्री उन्होंने दुनिया भर के शीर्ष राजनयिकों के समक्ष हिन्दी में भाषण देकर इसे अपने जीवन का सबसे सुखद क्षण कहा था।
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