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दूसरा पहलू: क्यों चमकती हैं जानवरों की आंखें
ब्रैडी फूट
Published by: लव गौर
Updated Thu, 25 Dec 2025 06:26 AM IST
सार
उनकी आंख में टेपेटम ल्यूसिडम होता है, जो प्रकाश को विद्युत संकेतों में बदलता है, ताकि दिमाग उन्हें समझ सके। किसी उजाले वाली जगह पर इन्सान जिस वस्तु को साफ देख सकता है, उसे उतनी ही स्पष्टता से देखने के लिए बिल्लियों को उस वस्तु के सात गुना करीब जाना पड़ता है।
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बिल्ली
- फोटो : अमर उजाला प्रिंट
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विस्तार
बिल्ली और कुत्ते जैसे कई जानवर अपनी आंखों से प्रकाश को परावर्तित कर सकते हैं। इसी कारण कम रोशनी वाले कमरे में ली गई तस्वीरों या अंधेरे में टॉर्च अथवा कार की हेडलाइट पड़ने पर उनकी आंखें चमकती हुई दिखाई देती हैं। जिन जानवरों की आंखें चमकती हैं, उनमें कम रोशनी में भी बेहतर ढंग से देखने की क्षमता होती है।
असल में, बिल्लियां इन्सानों की तुलना में 16 प्रतिशत कम रोशनी की मौजूदगी में भी देख सकती हैं। ऐसा वह अपनी आंखों की विशेष संरचना के कारण कर पाती हैं। उनकी पुतलियां रोशनी के अनुसार फैलती व सिकुड़ती हैं। बड़ी पुतलियों से आंख में ज्यादा रोशनी जाती है। वहीं कम रोशनी में उनकी पुतलियां इन्सानों की पुतलियों से लगभग पचास फीसदी तक बड़ी हो जाती हैं।
इसके अलावा, उनकी आंखों के पिछले हिस्से में रोशनी को महसूस करने वाली विशेष कोशिकाएं अधिक होती हैं, जिन्हें ‘रॉड्स’ कहा जाता है। ये कोशिकाएं बहुत कम रोशनी को भी पकड़ सकती हैं। इनके अलावा, उनकी आंख के पिछले हिस्से में रेटिना के पीछे एक टेपेटम ल्यूसिडम होता है। यह पतली परत प्रकाश को ग्रहण कर उसे विद्युत संकेतों में बदलकर दिमाग को समझने के लिए भेजती है। टेपेटम ल्यूसिडम में मौजूद क्रिस्टल दर्पण की तरह रोशनी को वापस रेटिना की ओर परावर्तित कर देते हैं, जिससे रेटिना तक रोशनी दोबारा पहुंच जाती है।
टेपेटम ल्यूसिडम में परावर्तन करने वाला तत्व राइबोफ्लेविन होता है, जो विटामिन बी का ही एक प्रकार है। राइबोफ्लेविन में ऐसी विशेषताएं होती हैं, जो उस रोशनी की तरंगदैर्ध्य को बढ़ा देती है, जिसे बिल्लियां अच्छी तरह से देख सकती है। आमतौर पर बिल्लियों की आंखों की चमक पीले-हरे या पीले-नारंगी रंग की होती है, लेकिन यह रंग अलग-अलग हो सकता है। जंगली लोमड़ी से लेकर भेड़ और बकरी जैसे पालतू जानवरों में टेपेटम ल्यूसिडम पाया जाता है। मछलियां, डॉल्फिन और अन्य जलीय जीव इसकी मदद से गंदे और अंधेरे पानी में अच्छी तरह से देख सकते हैं। स्थलीय जीवों में टेपेटम आंख के ऊपरी हिस्से में होता है, जबकि जलीय जीवों में यह आंख के अधिकांश हिस्से में फैला होता है, क्योंकि उन्हें चारों ओर देखने की जरूरत होती है।
हालांकि, सुअर, पक्षी, सरीसृप और ज्यादातर चूहे और प्राइमेट में यह नहीं पाया जाता है। इनमें इन्सान भी शामिल हैं। जिन जानवरों में टेपेटम ल्यूसिडम होता है, उनकी दृष्टि रोशनी के बार-बार परावर्तित होने से थोड़ी धुंधली हो जाती है। यही कारण है कि किसी उजाले वाली जगह पर इन्सान जिस वस्तु को साफ देख सकता है, उसे उतनी ही स्पष्टता से देखने के लिए बिल्ली को उस वस्तु के सात गुना करीब जाना पड़ता है।- द कन्वर्सेशन से
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असल में, बिल्लियां इन्सानों की तुलना में 16 प्रतिशत कम रोशनी की मौजूदगी में भी देख सकती हैं। ऐसा वह अपनी आंखों की विशेष संरचना के कारण कर पाती हैं। उनकी पुतलियां रोशनी के अनुसार फैलती व सिकुड़ती हैं। बड़ी पुतलियों से आंख में ज्यादा रोशनी जाती है। वहीं कम रोशनी में उनकी पुतलियां इन्सानों की पुतलियों से लगभग पचास फीसदी तक बड़ी हो जाती हैं।
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इसके अलावा, उनकी आंखों के पिछले हिस्से में रोशनी को महसूस करने वाली विशेष कोशिकाएं अधिक होती हैं, जिन्हें ‘रॉड्स’ कहा जाता है। ये कोशिकाएं बहुत कम रोशनी को भी पकड़ सकती हैं। इनके अलावा, उनकी आंख के पिछले हिस्से में रेटिना के पीछे एक टेपेटम ल्यूसिडम होता है। यह पतली परत प्रकाश को ग्रहण कर उसे विद्युत संकेतों में बदलकर दिमाग को समझने के लिए भेजती है। टेपेटम ल्यूसिडम में मौजूद क्रिस्टल दर्पण की तरह रोशनी को वापस रेटिना की ओर परावर्तित कर देते हैं, जिससे रेटिना तक रोशनी दोबारा पहुंच जाती है।
टेपेटम ल्यूसिडम में परावर्तन करने वाला तत्व राइबोफ्लेविन होता है, जो विटामिन बी का ही एक प्रकार है। राइबोफ्लेविन में ऐसी विशेषताएं होती हैं, जो उस रोशनी की तरंगदैर्ध्य को बढ़ा देती है, जिसे बिल्लियां अच्छी तरह से देख सकती है। आमतौर पर बिल्लियों की आंखों की चमक पीले-हरे या पीले-नारंगी रंग की होती है, लेकिन यह रंग अलग-अलग हो सकता है। जंगली लोमड़ी से लेकर भेड़ और बकरी जैसे पालतू जानवरों में टेपेटम ल्यूसिडम पाया जाता है। मछलियां, डॉल्फिन और अन्य जलीय जीव इसकी मदद से गंदे और अंधेरे पानी में अच्छी तरह से देख सकते हैं। स्थलीय जीवों में टेपेटम आंख के ऊपरी हिस्से में होता है, जबकि जलीय जीवों में यह आंख के अधिकांश हिस्से में फैला होता है, क्योंकि उन्हें चारों ओर देखने की जरूरत होती है।
हालांकि, सुअर, पक्षी, सरीसृप और ज्यादातर चूहे और प्राइमेट में यह नहीं पाया जाता है। इनमें इन्सान भी शामिल हैं। जिन जानवरों में टेपेटम ल्यूसिडम होता है, उनकी दृष्टि रोशनी के बार-बार परावर्तित होने से थोड़ी धुंधली हो जाती है। यही कारण है कि किसी उजाले वाली जगह पर इन्सान जिस वस्तु को साफ देख सकता है, उसे उतनी ही स्पष्टता से देखने के लिए बिल्ली को उस वस्तु के सात गुना करीब जाना पड़ता है।- द कन्वर्सेशन से