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समाधान : जब जीवन के बदलाव दुख देने लगें, तो तनाव न लें; नए से समायोजन ही श्रेयस्कर
जांसी डन, द न्यूयॉर्क टाइम्स
Published by: दीपक कुमार शर्मा
Updated Sun, 04 May 2025 06:31 AM IST
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सांकेतिक तस्वीर
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विस्तार
मेरे एक मित्र जब सेवानिवृत्त हुए, जिसका वह वर्षों से सपना देख रहे थे, लेकिन ऑफिस से विदाई लेते वक्त फूट-फूटकर रोने लगे। यह सही है कि जीवन में कुछ बदलाव कठिन होते हैं, जैसे गंभीर बीमारी होना या संबंध टूटना। लेकिन अन्य बदलाव-जैसे नया घर, शादी, प्रमोशन-खुशी देते हैं, फिर भी आप क्यों दुखी होते हैं? फोर्ट कॉलिंस में लॉस एंड लाइफ सेंटर के निदेशक व सलाहकार डॉ. एलन वॉल्फेल्ट कहते हैं कि जीवन में जब आप कुछ नया हासिल कर रहे होते हैं, तो उसके पीछे कुछ छोड़ भी रहे होते हैं। यह छोड़ना ही दुख देता है। मैंने विशेषज्ञों से जानना चाहा कि अप्रत्याशित भावनाओं पर कैसे काबू पाया जाए?
मनोवैज्ञानिक एंथनी चैंबर्स कहते हैं, ‘हम अक्सर दुख को मृत्यु के साथ जोड़कर देखते हैं, लेकिन यह हमें कुछ खोने से भी होता है। डॉ. चैंबर्स के अनुसार, ‘अगर आप अपने किसी निर्णय से दुख महसूस करते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं कि आपने गलत चुनाव किया है, आपके दुख की वजह यह होती है कि आप अपने जीवन के नए अध्याय के साथ समायोजित हो रहे होते हैं।’ डॉ. वॉल्फेल्ट कहते हैं कि जब दुखी हों, तो उसे अपने भीतर से बाहर बहने दें, उसे रोकें नहीं। दुख को अपने बाहर फेंकने की प्रक्रिया हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग हो सकती है। कोई दूसरों से बात करके, तो कोई लिखकर और कोई संगीत के जरिये यह कार्य कर सकता है।
मनोवैज्ञानिक डॉ. डॉरिस वॉन कहती हैं कि जब भी लोग पूछें कि आप सेवानिवृत्त हो रहे हैं, अब आपको कैसा लगेगा, तो ईमानदारी से उनसे कहें कि खुशी भी है, तो दुख भी है। पता नहीं अब नई भूमिका में क्या होगा? न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान की प्रोफेसर गैब्रिएल ओटिंगेन कहती हैं, ‘जब हमारे जीवन में कोई नया अध्याय शुरू होना होता है, मन पहले से ही भविष्य का संकेत देता है। उन संकेतों के साथ यह समझने की भी कोशिश करें कि जीवन में एक स्तर पर आकर बदलाव होता ही है। लेकिन, यदि आपने पहले से ही इसकी तैयारी कर रखी है, तो आपको पछतावा कम और खुशी ज्यादा महसूस होगी।’
डॉ. वॉन अपना उदाहरण देते हुए कहती हैं, ‘हम अपनी पुरानी पहचान को फिर से नया बना सकते हैं। जैसे जब मैं ब्रूकलिन से न्यू जर्सी गई, तो मुझे वहां एक आइसक्रीम ट्रक की आवाज सुनाई दी और वह वैसा ही संगीत बजा रहा था, जैसा ब्रूकलिन की गर्मियों में मैंने सुना था। मैंने आइसक्रीम वाले को अपना मित्र बनाया और उससे कई तरह की आइसक्रीम खरीद लीं। अब वह जब भी मेरे घर के पार्क के सामने आता है, तो तब तक वही संगीत बजाता रहता है, जब तक कि मैं बाहर नहीं आ जाती।’