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'Grovel' Controversy: कोनराड के विवादित बयान पर आई बावुमा की प्रतिक्रिया, 'बौना' शब्द के लिए बुमराह को भी घेरा
स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, गुवाहाटी
Published by: स्वप्निल शशांक
Updated Wed, 26 Nov 2025 04:44 PM IST
सार
बावुमा ने यह भी कहा कि इस सीरीज में केवल कोच ही नहीं, कुछ खिलाड़ी भी हद पार कर बैठे हैं। उन्होंने जसप्रीत बुमराह द्वारा कहे गए 'बौना' शब्द वाले वाकये का जिक्र भी किया।
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कोनराड, बावुमा और बुमराह
- फोटो : ANI
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विस्तार
भारत के खिलाफ 2-0 की ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज जीत के बाद दक्षिण अफ्रीका के मुख्य कोच शुकरी कोनराड की विवादित टिप्पणी 'मैं चाहता था भारत ग्रोवेल करे' ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए दक्षिण अफ्रीका के कप्तान तेम्बा बावुमा ने मामले को शांत अंदाज में लेते हुए कहा कि कोच अपनी टिप्पणी पर खुद विचार करेंगे।
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बावुमा की कोच कोनराड पर प्रतिक्रिया
गुवाहाटी में मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में बावुमा ने कहा, 'मुझे यह टिप्पणी आज सुबह पता चली। मैं मैच पर फोकस था और कोच से बात नहीं कर पाया। शुकरी लगभग 60 साल के हैं और वो खुद अपनी टिप्पणियों पर नजर डालेंगे।' बावुमा ने संकेत दिया कि कभी-कभी खेल की गर्मी में शब्द सीमाएं पार कर जाते हैं।
गुवाहाटी में मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में बावुमा ने कहा, 'मुझे यह टिप्पणी आज सुबह पता चली। मैं मैच पर फोकस था और कोच से बात नहीं कर पाया। शुकरी लगभग 60 साल के हैं और वो खुद अपनी टिप्पणियों पर नजर डालेंगे।' बावुमा ने संकेत दिया कि कभी-कभी खेल की गर्मी में शब्द सीमाएं पार कर जाते हैं।
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बावुमा-बुमराह
- फोटो : PTI
'लाइन तो सीरीज में दोनों तरफ से क्रॉस हुई है'
बावुमा ने यह भी कहा कि इस सीरीज में केवल कोच ही नहीं, कुछ खिलाड़ी भी हद पार कर बैठे हैं। उन्होंने जसप्रीत बुमराह द्वारा कहे गए 'बौना' शब्द का जिक्र करते हुए कहा, 'मैं यह नहीं कह रहा कि कोच ने सीमा पार की, लेकिन कुछ खिलाड़ियों ने भी किया है। यह बातें खेल का हिस्सा हैं, लेकिन कभी-कभी यह अनावश्यक हो जाती हैं।'
बावुमा ने यह भी कहा कि इस सीरीज में केवल कोच ही नहीं, कुछ खिलाड़ी भी हद पार कर बैठे हैं। उन्होंने जसप्रीत बुमराह द्वारा कहे गए 'बौना' शब्द का जिक्र करते हुए कहा, 'मैं यह नहीं कह रहा कि कोच ने सीमा पार की, लेकिन कुछ खिलाड़ियों ने भी किया है। यह बातें खेल का हिस्सा हैं, लेकिन कभी-कभी यह अनावश्यक हो जाती हैं।'
‘ग्रोवेल’ शब्द क्यों आपत्तिजनक है?
‘ग्रोवेल’ शब्द का मतलब होता है- 'घुटनों के बल सर झुकाकर रेंगना या यूं कहें जमीन के बल लेटना।' लेकिन क्रिकेट इतिहास में यह नस्लवाद और गुलामी की दर्दनाक पीड़ा से जुड़ा शब्द है, विशेषकर अश्वेत खिलाड़ियों के संदर्भ में। दक्षिण अफ्रीकी मूल के श्वेत क्रिकेटर ग्रेग ने यह शब्द दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद और कैरेबियाई खिलाड़ियों के संदर्भ में इस्तेमाल किया था जहां दासता का दर्दनाक इतिहास रहा है। अभी यह पता नहीं है कि क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका ने विरोधी टीम के बारे में आपत्तिजनक संदर्भ इस्तेमाल करने वाले अपने अश्वेत कोच से बात की है या नहीं।
‘ग्रोवेल’ शब्द का मतलब होता है- 'घुटनों के बल सर झुकाकर रेंगना या यूं कहें जमीन के बल लेटना।' लेकिन क्रिकेट इतिहास में यह नस्लवाद और गुलामी की दर्दनाक पीड़ा से जुड़ा शब्द है, विशेषकर अश्वेत खिलाड़ियों के संदर्भ में। दक्षिण अफ्रीकी मूल के श्वेत क्रिकेटर ग्रेग ने यह शब्द दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद और कैरेबियाई खिलाड़ियों के संदर्भ में इस्तेमाल किया था जहां दासता का दर्दनाक इतिहास रहा है। अभी यह पता नहीं है कि क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका ने विरोधी टीम के बारे में आपत्तिजनक संदर्भ इस्तेमाल करने वाले अपने अश्वेत कोच से बात की है या नहीं।
1976 का विवाद: जब पहली बार फूटा गुस्सा
यह विवाद पहली बार 1976 इंग्लैंड बनाम वेस्टइंडीज सीरीज के दौरान सामने आया था। तब इंग्लैंड के कप्तान टोनी ग्रेग, जो स्वयं दक्षिण अफ्रीका में पले-बढ़े थे, ने बीबीसी इंटरव्यू में कहा था, 'मैं चाहूंगा कि वेस्टइंडीज की टीम ग्रोवेल करे।' यह बयान अश्वेत खिलाड़ियों के लिए गुलामी और दास प्रथा की भाषा जैसा माना गया। वेस्टइंडीज कप्तान क्लाइव लॉयड ने कहा था, 'ग्रोवेल शब्द किसी भी अश्वेत व्यक्ति का खून खौला देने के लिए काफी है।' इसके बाद वेस्टइंडीज खिलाड़ियों ने इंग्लैंड को हराकर सीरीज 3-0 से जीत ली और मैच के दौरान ग्रेग को मजाक में घुटनों पर झुककर दर्शकों के सामने माफी मांगनी पड़ी थी।
यह विवाद पहली बार 1976 इंग्लैंड बनाम वेस्टइंडीज सीरीज के दौरान सामने आया था। तब इंग्लैंड के कप्तान टोनी ग्रेग, जो स्वयं दक्षिण अफ्रीका में पले-बढ़े थे, ने बीबीसी इंटरव्यू में कहा था, 'मैं चाहूंगा कि वेस्टइंडीज की टीम ग्रोवेल करे।' यह बयान अश्वेत खिलाड़ियों के लिए गुलामी और दास प्रथा की भाषा जैसा माना गया। वेस्टइंडीज कप्तान क्लाइव लॉयड ने कहा था, 'ग्रोवेल शब्द किसी भी अश्वेत व्यक्ति का खून खौला देने के लिए काफी है।' इसके बाद वेस्टइंडीज खिलाड़ियों ने इंग्लैंड को हराकर सीरीज 3-0 से जीत ली और मैच के दौरान ग्रेग को मजाक में घुटनों पर झुककर दर्शकों के सामने माफी मांगनी पड़ी थी।
कोनराड का बयान से वापस क्यों उभरा मुद्दा?
दक्षिण अफ्रीका का अतीत ही नस्लीय भेदभाव और अपार्थाइड से जुड़ा रहा है। ऐसे में उसी देश के कोच द्वारा यह शब्द इस्तेमाल करना कई लोगों को असंवेदनशील और गैरजरूरी लगा। क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि चाहे नीयत अपमान की न रही हो, लेकिन इस शब्द का इतिहास इतना विवादित है कि इसे बोलना ही भड़काऊ माना जाएगा।
दक्षिण अफ्रीका का अतीत ही नस्लीय भेदभाव और अपार्थाइड से जुड़ा रहा है। ऐसे में उसी देश के कोच द्वारा यह शब्द इस्तेमाल करना कई लोगों को असंवेदनशील और गैरजरूरी लगा। क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि चाहे नीयत अपमान की न रही हो, लेकिन इस शब्द का इतिहास इतना विवादित है कि इसे बोलना ही भड़काऊ माना जाएगा।
कुंबले, पुजारा और स्टेन ने आलोचना की
पांचवें दिन के खेल के शुरू होने से पहले अनिल कुंबले ने कहा कि जब आपकी टीम विश्व टेस्ट चैंपियन हो और किसी भी टेस्ट में मजबूत स्थिति में हो तो इस तरह के विवादित बयान से बचना चाहिए। तब आपको विनम्रता दिखानी चाहिए अपने शब्दों में क्योंकि आपने अपने खेल से जवाब दे दिया है और ऐतिहासिक जीत के करीब हैं। इस तरह के बेतुके बयान बाजी और शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
उन्होंने कहा, 'इस शब्द के साथ इतिहास जुड़ा है। पचास साल पहले एक इंग्लैंड कप्तान ने यही शब्द महान वेस्टइंडीज टीम के खिलाफ इस्तेमाल किया था, और हम सब जानते हैं कि उसके बाद क्या हुआ था।' कुंबले ने आगे कहा, 'हो सकता है कि दक्षिण अफ्रीका ने सीरीज जीत ली हो, लेकिन जब आप शीर्ष पर होते हैं, तो आपके शब्दों की अहमियत बढ़ जाती है। ऐसे समय में विनम्रता सबसे जरूरी होती है। मुझे कोच या सपोर्ट स्टाफ से ऐसी टिप्पणी की उम्मीद नहीं थी। जब आप जीत रहे होते हैं, तो सबसे पहले विनम्र रहना चाहिए, न कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐसी बातें कहना। टीम की जगह कोनराड खुद को हेडलाइन में लाना चाहते थे।'
वहीं, स्टेन ने भी आपत्ति जताई और कहा कि वह कोनराड के बयान से सहमत नहीं हैं और इसकी आलोचना करते हैं। पुजारा ने पांचवे दिन के खेल से पहले कहा, 'इस तरह की बात चोट पहुंचाती है। मुझे नहीं लगता कि यह बयान ड्रेसिंग रूम में किसी को अच्छा लगा होगा। इसका सबसे अच्छा जवाब शब्दों से नहीं, बल्कि मैदान पर प्रदर्शन से देना है। हम इस स्थिति में इसलिए हैं क्योंकि हमने अच्छा क्रिकेट नहीं खेला।
पांचवें दिन के खेल के शुरू होने से पहले अनिल कुंबले ने कहा कि जब आपकी टीम विश्व टेस्ट चैंपियन हो और किसी भी टेस्ट में मजबूत स्थिति में हो तो इस तरह के विवादित बयान से बचना चाहिए। तब आपको विनम्रता दिखानी चाहिए अपने शब्दों में क्योंकि आपने अपने खेल से जवाब दे दिया है और ऐतिहासिक जीत के करीब हैं। इस तरह के बेतुके बयान बाजी और शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
उन्होंने कहा, 'इस शब्द के साथ इतिहास जुड़ा है। पचास साल पहले एक इंग्लैंड कप्तान ने यही शब्द महान वेस्टइंडीज टीम के खिलाफ इस्तेमाल किया था, और हम सब जानते हैं कि उसके बाद क्या हुआ था।' कुंबले ने आगे कहा, 'हो सकता है कि दक्षिण अफ्रीका ने सीरीज जीत ली हो, लेकिन जब आप शीर्ष पर होते हैं, तो आपके शब्दों की अहमियत बढ़ जाती है। ऐसे समय में विनम्रता सबसे जरूरी होती है। मुझे कोच या सपोर्ट स्टाफ से ऐसी टिप्पणी की उम्मीद नहीं थी। जब आप जीत रहे होते हैं, तो सबसे पहले विनम्र रहना चाहिए, न कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐसी बातें कहना। टीम की जगह कोनराड खुद को हेडलाइन में लाना चाहते थे।'
वहीं, स्टेन ने भी आपत्ति जताई और कहा कि वह कोनराड के बयान से सहमत नहीं हैं और इसकी आलोचना करते हैं। पुजारा ने पांचवे दिन के खेल से पहले कहा, 'इस तरह की बात चोट पहुंचाती है। मुझे नहीं लगता कि यह बयान ड्रेसिंग रूम में किसी को अच्छा लगा होगा। इसका सबसे अच्छा जवाब शब्दों से नहीं, बल्कि मैदान पर प्रदर्शन से देना है। हम इस स्थिति में इसलिए हैं क्योंकि हमने अच्छा क्रिकेट नहीं खेला।